पानी के विशालकाय जहाजों का अड्डा बना रहा भारत, खर्च करेगा ₹41,000 करोड़

हाइलाइट्स

ग्रेट निकोबार पोर्ट का पहला चरण 2028 में शुरू हो जाएगा. ग्रेट निकोबार पोर्ट हर साल 1.6 करोड़ कंटेनरों को हैंडल करने में सक्षम होगा.. पहले चरण की क्षमता 40 लाख से अधिक कंटेनरों को हैंडल करनी की होगी.

नई दिल्‍ली. बंगाल की खाड़ी में ग्रेट निकोबार में प्रस्तावित इंटरनेशनल कंटेनर ट्रांसशिपमेंट पोर्ट (International Container Transhipment Port- ICTP) के निर्माण की ओर सरकार ने एक कदम और बढा दिया है. सरकार वाणिज्यिक और रणनीतिक रूप से अति महत्‍वपूर्ण प्रोजेक्‍ट डिटेल्ड प्रोजेक्ट रिपोर्ट (DPR) को सरकार अंतिम रूप दे दिया है. पोर्ट के निर्माण के लिए नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (NGT) से पर्यावरण संबंधी मंजूरी भी मिल गई है. इस पूरी परियोजना पर 41 हजार करोड़ रुपये खर्च होंगे. इसका पहला चरण साल 2028 तक पूरा होने की उम्‍मीद है. ग्रेट निकोबार ट्रांस शिपमेंट पोर्ट के बन जाने से सभी विशालकाय जहाज भी माल लेकर सीधे भारत आ सकेंगे. अभी तक बड़े जहाज श्रीलंका के कोलंबो, सिंगापुर और मलेशिया की कलौंग बंदरगाह पर आते हैं. फिर वहां से छोटे जहाजों में माल को लादकर भारत लाया जाता है.

ग्रेट निकोबार पोर्ट एक प्रमुख परियोजना है जिसका उद्देश्य विभिन्न बंदरगाहों के बीच कंटेनरों के ट्रांसशिपमेंट को सुविधाजनक बनाना है. ग्रेट निकोबार द्वीप के गैलाथिया खाड़ी में प्रस्तावित ICTP, रणनीतिक रूप से अंतर्राष्ट्रीय शिपिंग व्यापार मार्ग से केवल 40 समुद्री मील की दूरी पर स्थित है. भारत के लगभग 75 फीसदी ट्रांसशिप्ड कार्गो की व्यवस्था विदेशी बंदरगाहों पर की जाती है. यानी भारत के लिए बड़े जहाजों में आया माल पहले कोलंबो, सिंगापुर और क्लैंग जैसे बंदरगाहों पर आता है. वहां से फिर छोटे जहाजों में भारत आता है. वर्तमान में भारत का ट्रांसशिप्‍ड कार्गो में से 85 फीसदी ये तीनों बंदरगाह संभालते हैं. अकेले कोलंबो बंदरगाह भारत का 45 फीसदी ट्रांसशिप्‍ड कार्गो मैनेज करता है.

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टाइम, पैसा बचेगा, दूसरों पर निर्भरता होगी कम
ग्रेट निकोबार पोर्ट हर साल 1.6 करोड़ कंटेनरों को हैंडल करने में सक्षम होगा. इसके पहले चरण को 2028 तक 18000 करोड़ रुपये की लागत से चालू किया जाएगा. पहले चरण की क्षमता 40 लाख से अधिक कंटेनरों को हैंडल करनी की होगी. ट्रांसशिपमेंट पोर्ट के आसपास एक एयरपोर्ट, एक टाउनशिप और एक पावर प्लांट लगाने की भी योजना है. आईसीटीपी के बन जाने से भारत की बड़े कार्गो के ट्रांसशिपमेंट के लिए विदेशी बंदरगाहों पर निर्भरता कम होगी. सामान के आयात और निर्यात में खर्च कम होगा और टाइम भी बचेगा.

41 हजार करोड़ रुपये होंगे खर्च
ग्रेट निकोबार इंटरनेशनल कंटेनर ट्रांसशिपमेंट पोर्ट की लागत 41000 करोड़ रुपये है. एक वरिष्ठ अधिकारी ने कुछ दिन पहले ही दावा किया था कि कुछ महीनों में प्रोजेक्ट का काम शुरू होगा. पत्तन, पोत परिवहन और जलमार्ग मंत्रालय के सचिव टी के रामचंद्रन ने पीटीआई से बातचीत में कहा, ‘‘इस प्रोजेक्ट को नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (NGT) से पर्यावरण संबंधी मंजूरी मिल गई है और अब इसके क्रियान्‍वयन में कोई बाधा नहीं है.’’

11 कंपनियों ने दिखाई रुचि
पोर्ट का निर्माण सरकारी निवेश और पब्लिक-प्राइवेट पार्टनरशिप के माध्‍यम से किया जाएगा. मंत्रालय ने बताया है कि ग्रेट निकोबार द्वीप पर इंटरनेशनल ट्रांसशिपमेंट पोर्ट प्रोजेक्ट के लिए 11 कंपनियों ने एक्सप्रेशन ऑफ इंटरेस्ट प्रस्तुत किए हैं. इन कंपनियों में लार्सन एंड टुब्रो लिमिटेड, एफकॉन्स इन्फ्रास्ट्रक्चर लिमिटेड और जेएसडब्ल्यू इन्फ्रास्ट्रक्चर लिमिटेड शामिल हैं.

Tags: Business news, Infrastructure Projects

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