अमेजन को खरी-खरी सुनाने के बाद आया पीयूष गोयल का एक और बयान

नई दिल्ली. वाणिज्य मंत्री पीयूष गोयल ने गुरुवार को कहा कि भारत ई-कॉमर्स कंपनियों के खिलाफ नहीं है, बल्कि चाहता है कि वे निष्पक्ष और ईमानदार रहें. ई-कॉमर्स कंपनियों के बारे में चिंता जताने के अगले दिन गोयल ने कहा कि ऑनलाइन कारोबार करने वालों को प्रतिस्पर्धा करने का ‘उचित अवसर’ सुनिश्चित करने की आवश्यकता है. गोयल ने बुधवार को ई-कॉमर्स कंपनियों की बाजार खराब करने वाली कीमतों के बारे में चिंता जताई और देश में छोटे खुदरा विक्रेताओं पर पड़ने वाले प्रभाव के बारे में बात की थी. उन्होंने अपनी आशंकाओं को सार्वजनिक रूप से भी व्यक्त किया और ई-कॉमर्स क्षेत्र के बड़े पैमाने पर वृद्धि के साथ ‘बड़े सामाजिक व्यवधान’ की चेतावनी दी.

गोयल ने यहां एक कार्यक्रम में कहा, “इस बात को लेकर बहुत स्पष्ट हैं कि हम एफडीआई (प्रत्यक्ष विदेशी निवेश) लाना चाहते हैं, हम प्रौद्योगिकी को आमंत्रित करना चाहते हैं, हम दुनिया का सर्वश्रेष्ठ चाहते हैं और हम ऑनलाइन के बिल्कुल भी खिलाफ नहीं हैं.” उन्होंने कहा, “देश हमेशा यही चाहता है कि ग्राहकों के प्रति निष्पक्ष व्यवहार हो, ईमानदारी बरती जाए, वस्तुओं और सेवाओं के आपूर्तिकर्ताओं के प्रति ईमानदारी हो और यह सुनिश्चित हो कि अन्य लोगों को भी ऐसे ऑनलाइन व्यापार के खिलाफ प्रतिस्पर्धा करने का उचित अवसर मिले.” गोयल ने कहा कि ई-कॉमर्स क्षेत्र में गति और सुविधा जैसे ‘बड़े लाभ’ हैं. गोयल ने स्पष्ट किया कि सरकार चाहती है कि ऐसी कंपनियां देश के लोगों की सेवा करें.

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अमेजन को सुनाई थी खरी-खरी
पीयूष गोयल ने दिग्गज ई-कॉमर्स कंपनी अमेजन की भारत में एक अरब डॉलर के निवेश की घोषणा पर बुधवार को सवाल उठाते हुए कहा था कि अमेरिकी कंपनी भारतीय अर्थव्यवस्था के लिए कोई बड़ी सेवा नहीं कर रही है, बल्कि देश में हुए नुकसान की भरपाई कर रही है. उन्होंने कहा था कि भारत में अमेजन को हुआ भारी घाटा असल में बाजार बिगाड़ने वाली बेहद कम कीमतों पर उत्पादों की बिक्री के तौर-तरीकों को बयां करता है लेकिन यह भारत के लिए अच्छा नहीं है क्योंकि इसका असर करोड़ों छोटे खुदरा विक्रेताओं पर पड़ता है.

उन्होंने कहा, ‘‘जब अमेजन भारत में एक अरब डॉलर का निवेश करने की घोषणा करती है तो हम जश्न मनाते हैं. हम यह भूल जाते हैं कि ये अरबों डॉलर भारतीय अर्थव्यवस्था की बड़ी सेवा या निवेश के लिए नहीं आ रहे हैं. कंपनी को उस साल अपने बही-खाते में एक अरब डॉलर का घाटा हुआ था और उन्हें उस घाटे की भरपाई करनी थी.’’ वाणिज्य मंत्री ने कहा, ‘‘यह घाटा पेशेवरों को 1,000 करोड़ रुपये का भुगतान करने की वजह से हुआ था. मुझे नहीं पता कि ये पेशेवर कौन हैं. मुझे यह जानना अच्छा लगेगा कि कौन से चार्टर्ड अकाउंटेंट, पेशेवर या वकील 1,000 करोड़ रुपये पाते हैं, जबतक कि आप उन्हें रोकने के लिए सभी बड़े वकीलों को भुगतान नहीं करते हैं ताकि कोई भी आपके खिलाफ मुकदमा न लड़ सके.’’ उन्होंने अचरज जताते हुए कहा कि एक साल में 6,000 करोड़ रुपये का घाटा होने से क्या कीमतों को बेहद कम रखने के संकेत नहीं मिल रहे हैं. यह सिर्फ एक ई-कॉमर्स मंच है और उन कंपनियों को सीधे ग्राहकों को बेचने (बी2सी) की अनुमति नहीं होती है.

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