SEBI चीफ माधबी पुरी बुच ने कहा कि डेरिवेटिव ट्रेडिंग को बैन करने का कोई इरादा नहीं है.F&O ट्रेडिंग का वॉल्युम पिछले 6 साल में बढ़कर 500 लाख करोड़ रुपये हो गया है.फ्यूचर एंड ऑप्शन ट्रेडिंग में 10 में से 9 निवेशक पैसा गंवाते हैं.
F&O Trading: 1000 रुपये से एक लाख रुपये कमाने का शॉर्ट तरीका है फ्यूचर एंड ऑप्शन ट्रेडिंग. जेब में ज्यादा पैसा नहीं है लेकिन शेयर बाजार से लाखों कमाना है तो F&O ट्रेडिंग में किस्मत आजमाओ. इस ट्रेडिंग में जिसने पैसा लगाया उसने अपने हाथ जलाए. पिछले 3-4 सालों में फ्यूचर एंड ऑप्शन ट्रेडिंग में लोगों का रुझान तेजी से बढ़ा लेकिन 10 में से 9 फीसदी लोगों ने पैसा गंवाया. F&O ट्रेडिंग की बढ़ती लत को लेकर सरकार, सेबी से लेकर आरबीआई तक परेशान है और इस ट्रेडिंग पर बैन या ज्यादा टैक्स लगाने की बातें कही जा रही है. लेकिन, शेयर बाजार नियामक, सिक्योरिटीज एक्सचेंज बोर्ड ऑफ इंडिया (SEBI) की चेयरपर्सन माधबी पुरी बुच ने कहा है कि डेरिवेटिव ट्रेडिंग को बैन करने का कोई इरादा नहीं है.
हालांकि, इससे पहले रिटेल निवेशकों को डेरिवेटिव ट्रेडिंग में हो रहे लगातार नुकसान को लेकर सेबी ने F&O ट्रेडिंग के बढ़ते वॉल्युम पर अंकुश लगाने के लिए एक कंस्लटेशन पेपर जारी किया था. इस पर करीब 6000 लोगों ने अपने सुझाव दिए हैं. अब सवाल है कि डेरिवेटिव ट्रेडिंग को लेकर सेबी का रुख क्या होगा? आखिर फ्यूचर एंड ऑप्शन ट्रेडिंग में रिटेल निवेशकों को बर्बादी होने से रोकने के लिए बाजार नियामक क्या कदम उठाएगा. क्या F&O ट्रेडिंग को बैन करना सही फैसला होगा?
क्या होती है F&O ट्रेडिंग?
फ्यूचर एंड ऑप्शन ट्रेडिंग, अच्छी है या बुरी इस पर राय बनाने से पहले इसके बारे में विस्तार से जानना जरूरी है. F&O या डेरिवेटिव ट्रेडिंग, एक प्रकार का कॉन्ट्रेक्ट होता है जिसमें किसी स्टॉक, करंसी या अन्य सिक्योरिटीज के प्राइस में उतार-चढ़ाव पर दांव लगाया जाता है. शेयरों में ऑप्शन ट्रेडिंग के लिए कॉल और पुट का विकल्प होता है. इसमें कॉल तेजी तो पुट मंदी का सूचक है. वहीं, स्टॉक फ्यूचर में लॉट साइज के साथ शेयरों की खरीदी की जा सकती है.
क्यों लगती F&O ट्रेडिंग की लत?
फ्यूचर एंड ऑप्शन ट्रेडिंग में कम पैसों में बड़े सौदे के जरिए ज्यादा पैसा कमाया जा सकता है. हर बिजनेस की तरह शेयर बाजार में भी बड़ी पूंजी की जरूरत होती है. लेकिन, हर रिटेल निवेशक के पास लाखों में पैसा नहीं होता है इसलिए वह डेरिवेटिव ट्रेडिंग की ओर रुख करता है. आइये इसे एक उदाहरण से समझते हैं.
मान लीजिये आपको ABC नाम की एक कंपनी के 1000 शेयर खरीदने हैं और एक शेयर की कीमत एक हजार रुपये है. ऐसे में 1000 शेयर खरीदने के लिए आपको 10 लाख रुपये की जरूरत होगी, लेकिन आपके पास महज 50,000 रुपये हैं.
इस स्थिति में आप ABC कंपनी के शेयरों का एक कॉल ऑप्शन खरीद सकते हैं. इसमें आपको 1000 शेयरों का एक लॉट मिलेगा. जैसे-जैसे शेयर का भाव ऊपर जाएगा वैसे-वैसे आपके ऑप्शन के प्राइस में बढ़ोतरी होगी. अगर ABC के शेयर का भाव 1000 रुपये है और आपने 1000 के स्ट्राइक प्राइस की कॉल खरीद ली जो कि 50 रुपये में मिल रही है और 50,000 रुपये (50×1000) में आ जाएगी.
अब अगर शेयर का भाव ऊपर की ओर जाता है तो कॉल ऑप्शन का भाव 50 रुपये से धीरे-धीरे बढ़ने लगा. अगर यह 60 रुपये पर पहुंच जाता है तो आपको सीधे 10,000 रुपये का फायदा हो जाएगा. यही देखकर रिटेल निवेशक फ्यूचर एंड ऑप्शन ट्रेडिंग में पैसा लगाते हैं. लेकिन, वे यह भूल जाते हैं कि यह एक कॉन्ट्रेक्ट है अगर शेयर का भाव गिरता है तो कॉल ऑप्शन का प्राइस भी घटता है और एक महीने की कॉन्ट्रेक्ट अवधि के आखिरी तक इसका प्राइस शून्य भी हो सकता है. ऐसे में निवेशक का पूरा पैसा (50,000 रुपये) डूब जाता है. हालांकि, F&O ट्रेडिंग में तेजी और मंदी दोनों की जा सकती है.
क्यों जरूरी है F&O ट्रेडिंग
डेरिवेटिव ट्रेडिंग, एक हेजिंग टूल है यानी यह शेयरों में होने वाले नुकसान से बचाती है. लेकिन, कम पूंजी में ज्यादा मुनाफा कमाने के चक्कर में लोगों ने इसे ट्रेडिंग टूल के रूप में इस्तेमाल किया है. चूंकि, शेयर बाजार में निवेश, मार्केट जोखिम के अधीन है इसलिए जब भी कोई निवेशक किसी शेयर में बड़ी पूंजी लगाता है तो सुरक्षा के तौर पर F&O टूल का इस्तेमाल करता है. फ्यूचर एंड ऑप्शन एक प्रकार से शेयर बाजार में नुकसान से बचाने के लिए बीमा की तरह काम करता है. क्योंकि, किसी शेयर में 1 लाख या 10 लाख लगाने के बाद उसके गिरने या चढ़ने दोनों की संभावना बनी रहती है. ऐसी स्थिति में कॉल ऑप्शन और पुट ऑप्शन के जरिए निवेशक अपनी कैश पॉजिशन को हेज करके यानी उसकी सुरक्षा करके चलते हैं.
क्या F&O ट्रेडिंग पर लगना चाहिए बैन?
सेबी की स्टडी के अनुसार, 10 में से 9 F&O ट्रेडर नुकसान में रहते हैं. एक रिपोर्ट के अनुसार, फाइनेंशियल ईयर 2023-24 में 78 लाख डेरिवेटिव ट्रेडर्स ने 52,000 करोड़ रुपये फ्यूचर एंड ऑप्शन ट्रेडिंग में गंवाए हैं. सरकार, आरबीआई से लेकर मार्केट एक्सपर्ट ने इस पर चिंता जताई है. क्योंकि, लोगों की बचत का पैसा शेयर बाजार की इस ट्रेडिंग में बर्बाद हो रहा है. इतना नुकसान होने के बावजूद हर साल F&O ट्रेडिंग का वॉल्युम बढ़ रहा है जो और चिंताजनक है.
फाइनेंशियल ईयर 2017-18 में F&O सेगमेंट का टर्नओवर 210 लाख करोड़ था लेकिन 2023-24 में यह बढ़कर 500 लाख करोड़ रुपये हो गया है. इस अवधि में F&O सेगमेंट में रिटेल इन्वेस्टर्स की संख्या 2 फीसदी से बढ़कर 40 प्रतिशत तक हो गई.
SEBI ने प्रस्ताव में क्या कहा?
F&O ट्रेडिंग में निवेशकों को लगातार हो रहे नुकसान से जुड़ी चिंताओं के बीच सेबी ने जुलाई में इस पर एक कंस्लटेशन पेपर जारी किया. इसमें सेबी ने फ्यूचर एंड ऑप्शन ट्रेडिंग को लेकर 7 रेगुलेटरी उपायों का प्रस्ताव दिया. इनमें मिनिमम कॉन्ट्रेक्ट साइज बढ़ाना, ऑप्शन प्रीमियम के एडवांस कलेक्शन को लागू करना, स्ट्राइक प्राइस को तर्कसंगत बनाना समेत अन्य उपाय शामिल हैं. हालांकि, इन उपायों पर अब फैसला आना बाकी है.
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FIRST PUBLISHED : August 30, 2024, 12:19 IST