बेंगलुरु में 3D प्रिटेंड 6 विला का निर्माण हो रहा है. यह प्रोजेक्ट कुल 24,000 वर्ग फुट के 6 हाई-एंड विला का एक कलेक्शन है. हर बंगले की कीमत 10 करोड़ रुपये से ज्यादा रहेगी.
नई दिल्ली. एक सामान्य-सा घर बनने में 6 महीने लग जाते हैं. बात अगर बंगला बनाने की आए तो इसमें सालभर लग जाता है. लेकिन, अब जमाना बदल गया है तो घर-बंगले एक महीने में तैयार होने लगे हैं. यह संभव हुआ है कंस्ट्रक्शन की 3D प्रिटेंड तकनीक से. देश की टॉप इंजीनियरिंग और कंस्ट्रक्शन ग्रुप ‘लार्सन एंड टुब्रो’ बेंगलुरु में अपना खास प्रोजेक्ट पूरा करने की तैयारी कर रहा है. खास बात है कि यह भारत का पहला 3डी प्रिंटेड विला होगा. यह प्रोजेक्ट कुल 24,000 वर्ग फुट के 6 हाई-एंड विला का एक कलेक्शन है, जिसे वर्थुर के में प्रेस्टीज कंस्ट्रक्शन प्रोजेक्ट द्वारा डेवलप किया गया है.
इंडस्ट्री सूत्रों का अनुमान है कि इस हर विला की कीमत 10 करोड़ रुपये से ज्यादा होगी. इस प्रोजेक्ट का 3D प्रिंटिंग भाग लगभग पूरा हो चुका है, और शेष मैकेनिकल, इलेक्ट्रिकल और प्लंबिंग इंजीनियरिंग (एमईपी) का काम साल के अंत तक पूरा होने की उम्मीद है. आइये आपको बताते हैं इस प्रोजेक्ट से जुड़ी खासियतें…
पहला प्रतिष्ठित 3D प्रिंटिंग प्रोजेक्ट
बेंगलुरु में बन रहे इस 3D प्रिंटिंग प्रोजेक्ट में 6 विला शामिल हैं. इनमें हर एक विला का क्षेत्रफल 4000 वर्ग फीट है. इस परियोजना की लागत 60 करोड़ रुपये (प्रत्येक विला के लिए 10 करोड़ रुपये) से अधिक होने की उम्मीद है. इसके साथ ही यह भारत का सबसे प्रतिष्ठित 3D प्रिंटिंग प्रोजेक्ट बन जाएगा.
क्या है 3D प्रिंटिंग तकनीक
3D प्रिंटिंग तकनीक का नाम सुनकर लोग थ्री डी पेंटिंग के बारे में सोचने लगते हैं. लेकिन, कंस्ट्रक्शन की दुनिया में 3D प्रिंटिंग टेक्नोलॉजी में रोबोटिक्स के जरिए पर्त दर पर्त दीवार और छत का निर्माण किया जाता है. आमतौर पर घर बनाने में ईंट का इस्तेमाल होता है लेकिन इस तकनीक में पहले से तैयार ब्लॉक का उपयोग किया जाता है इसलिए घर का निर्माण जल्दी से पूरा हो जाता है. 3D प्रिंटिंग को एडिटिव मैन्युफैक्चरिंग के रूप में भी जाना जाता है.
3D प्रिंटिंग तकनीक में कई मशीनों को इस्तेमाल होता है. इनमें पंपिंग यूनिट, नॉजिल और फिडिंग सिस्टम व ऑपरेटिंग सॉफ्टवेयर शामिल हैं. इस तकनीक के जरिए मकान का निर्माण कंप्यूटराइज्ड तरीके से होता है.
कम लागत और कम समय में निर्माण
एलएंडटी के एक्जीक्यूटिव कमिटी के मेंबर एम वी सतीश ने कहा, “3D-प्रिंटिंग तकनीक को अपनाने के कारण निर्माण लागत में बहुत अधिक अंतर नहीं है. हालाँकि, लेबर कॉस्ट और समय-सीमा क्रमशः 50% और 60% तक कम हो जाती है. 3D प्रिंटिंग तकनीक से बने घरों का एक और अतिरिक्त फायदा मकान के बाहर और अंदर के बीच 3-4 डिग्री सेंटीग्रेड तापमान का अंतर है इसलिए, यह गर्मियों में ठंडा और सर्दियों में गर्म होगा.
Tags: Bengaluru News, Business news, Construction work, Property market
FIRST PUBLISHED : September 2, 2024, 15:15 IST