पीएम मोदी का सिंगापुर दौरा मलक्‍का स्‍ट्रेट में और बढ़ाएगा चीन का दर्द

हाइलाइट्स

सिंगापुर के साथ भारत का रक्षा सहयोग हमें चीन पर बढत देता है. मलक्का स्‍ट्रेट चीन की जीवन रेखा है जिस पर है भारत का दबदबा. सिंगापुर भारत का सबसे बड़ा आसियान व्यापार साझेदार है.

नई दिल्‍ली. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (PM Narendra Modi) ब्रुनेई और सिंगापुर की तीन दिवसीय यात्रा के दौरान आज सिंगापुर पहुंचेंगे. वे सिंगापुर के राष्ट्रपति थर्मन शानमुगरत्नम, प्रधानमंत्री लॉरेंस वोंग और अन्य वरिष्ठ नेताओं से मुलाकात करेंगे. व्‍यापारिक और रणनीतिक लिहाज से सिंगापुर भारत के लिए काफी महत्‍वपूर्ण देश है. सिंगापुर आने वाले वक्त में भारत की एक्ट ईस्ट पॉलिसी को आगे बढ़ाने और हिन्द-प्रशांत क्षेत्र में भारतीय हितों को सुरक्षित करने में अहम भूमिका निभा सकता है. क्‍योंकि सिंगापुर सिंगापुर मल्लका स्ट्रेट चोकपॉइंट पर स्थित है, इसलिए यह चीन की विस्‍तारवादी नीतियों पर लगाम लगाने और हिंद महासागर और दक्षिण चीन सागर में पहुंच के लिए यह एक अहम देश बन जाता है.

सिंगापुर के साथ भारत का रक्षा सहयोग हमारी क्षेत्रीय रणनीतिक समुद्री पहुंच को दक्षिण चीन सागर तक बढ़ाता है और हिंद महासागर में सुरक्षा भागीदार के रूप में सिंगापुर की भूमिका को मजबूत करता है. चीन का अधिकांश कारोबार मलक्का स्ट्रेट से ही होता है. चीन को आयात होने वाले करीब 80 फीसदी ईंधन की आपूर्ति मलक्का स्‍ट्रेच से ही होती है. यानी चीन के ग्रोथ इंजन के पहिए इसी जलमार्ग से जाने वाले तेल से ही घूमते हैं.

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कहां है मलक्‍का जलडमरूमध्य?
मलक्का जलडमरूमध्य दक्षिण-पूर्व एशिया में स्थित है. यह इंडोनेशिया के सुमात्रा द्वीप और मलेशिया के मलय प्रायद्वीप के बीच में है. यह हिंद महासागर को प्रशांत महासागर से जोड़ता है.यह भारतीय उपमहाद्वीप को दक्षिण-पूर्व एशियाई देशों से जोड़ता है.यह जलडमरूमध्य, इंडोनेशिया, मलेशिया, और सिंगापुर के प्रादेशिक जलक्षेत्र में आता है. यह एक उथला और संकरा समुद्री मार्ग है, जो करीब 800 किलोमीटर लंबा और 65 से 250 किलोमीटर चौड़ा है. यह दुनिया के सबसे भीड़भाड़ वाले व्यापारिक समुद्री मार्गों में से भी एक है. यहां से करीब 75 हजार जहाज हर साल गुजरते हैं. यह हिंद महासागर में स्थित अंडमान सागर को दक्षिण चीन सागर से भी जोड़ता है.

चीन की गर्दन पर है भारत का पैर
भारत का अंडमान और निकोबार द्वीप समूह मलक्का जलडमरूमध्य से मात्र 200 किलोमीटर की दूरी पर है. यह द्वीप समूह मलक्का जलडमरूमध्य के पश्चिमी तट पर स्थित है, जिसका अर्थ है कि यह दुनिया के सबसे व्यस्त, रणनीतिक और वाणिज्यिक जलमार्ग के बेहद करीब है. इन द्वीपों का स्थान 10 डिग्री चैनल और छह डिग्री चैनल पर अपना प्रभुत्व रखता है, जिन्हें बहुत रणनीतिक माना जाता है.
मलक्का जलडमरूमध्‍य चीन की जीवन रेखा है. उसके उद्योग और कारोबार इसी रास्ते पर निर्भर है. इस पतली सी गर्दन वाले रास्ते की चाबी भारत के पास है.

भारत की इसी पकड़ को मजबूत बनाने को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी सिंगापुर का दौरा कर रहे हैं. चीन को हमेशा ये डर सताता रहा है कि किसी दिन लड़ाई हुई तो भारत ये रास्ता बंद कर देगा और उसे दिन में तारे दिखा देगा. ऐसा न हो इसके लिए चीन लंबे समय से हाथ पांव मार रहा है. उसकी कोशिश एक इमरजेंसी रूट बनाने की है. चीन के लिए मलक्‍का स्‍ट्रेट पर भारत का प्रभुत्‍व कितनी बड़ी फांस बनी हुई, इस बात को चीन के पूर्व राष्‍ट्रपति हू जिंताओ के उसे बयान से समझा जा सकता है, जिसमें उन्‍होंने इस जलडमरूमध्‍य को ‘मलक्का दुविधा’ के रूप में संर्दिभत किया था.

भारत अमेरिका का प्रभाव
सिंगापुर, चीन के दो धुर विरोधियों यानी संयुक्त राज्य अमेरिका और भारत का सहयोगी है. दोनों देशों का ही सिंगापुर पर जबदरस्‍त प्रभाव है. यही वजह है कि चीन हमेशा इस बात से डरा रहता है कि भविष्य में गतिरोध की स्थिति में इस मार्ग पर भारत का नियंत्रण हो जाएगा तो उसे बर्बाद होने से कोई नहीं बचा पाएगा. ऐसा नहीं है कि चीन हाथ पर हाथ धर कर बैठका है. वह मलक्‍का स्‍ट्रेट की के विकल्‍प के तौर पर सुंडा जलडमरूमध्य, लोम्बोक और मकासर जलडमरूमध्य से व्‍यापार करने को हाथ-पैर मारे, लेकिन उसे सफलता नहीं मिली.

सिंगापुर के साथ भारत के मजबूत आर्थिक संबंध
सिंगापुर भारत का सबसे बड़ा आसियान व्यापार साझेदार है। इसके अलावा एफडीआई का सबसे बड़ा स्रोत है, जो वित्त वर्ष 24 में 11.77 बिलियन डॉलर था. भारत और सिंगापुर ने आखिरी बार 2015 में संबंधों को रणनीतिक साझेदारी में बढ़ाया था. पीएम मोदी ब्रूनेई के बाद आज सिंगापुर पहुंचेंगे. प्रधानमंत्री सिंगापुर के उद्योगपतियों के साथ एक बिजनेस राउंडटेबल सम्मेलन में भी भाग लेंगे। इस दौरान खाद्य सुरक्षा, डिजिटलीकरण, कौशल, स्वास्थ्य, एडवांस विनिर्माण और कनेक्टिविटी जैसे क्षेत्रों में कई समझौता ज्ञापनों पर हस्ताक्षर होने की भी उम्मीद है.

विदेश मंत्रालय के सचिव (ईस्ट) जयदीप मजूमदार के अनुसार, प्रधानमंत्री की सिंगापुर यात्रा में समुद्री सुरक्षा पर चर्चा पर भी ध्यान केंद्रित किया जाएगा. मजूमदार ने बताया कि मोदी और उनके सिंगापुर समकक्ष के बीच आसियान-भारत मुक्त व्यापार समझौते (एफटीए), समुद्री सुरक्षा और म्यांमार की स्थिति पर चर्चा होने की संभावना है.

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