डीजल-पेट्रोल सस्‍ता होने की तगड़ी आस, एक-दो नहीं तीन कारण बंधा रहे राहत की आस

हाइलाइट्स

करीब छह महीने पहले घटे थे पेट्रोल-डीजल के दाम. कच्‍चे तेल की कीमतों में अब भारी गिरावट आई है. सरकारी तेल कंपनियां भी अब मुनाफे में आ गई हैं.

नई दिल्‍ली. ब्रेंट फ्यूचर्स 2021 के बाद पहली बार $70 प्रति बैरल से नीचे गिर गए हैं. सरकारी तेल कंपनियां भी मुनाफे में आ गई हैं. हरियाणा और जम्‍मू कश्‍मीर चुनाव भी अब होने हैं. ये तीन ऐसे कारण हैं जो अब आम आदमी को महंगे डीजल-पेट्रोल से राहत मिलने की उम्‍मीद बंधा रहे हैं. ब्लूमबर्ग एनर्जी इंडेक्‍स के मुताबिक, बुधवार को ब्रेंट क्रूड नवंबर वायदा 69.58 डॉलर प्रति बैरल पर आ गया. इसी तरह WTI क्रूड अक्टूबर वायदा भी 66.18 डॉलर प्रति बैरल के रेट हो गए. जब रूस-यूक्रेन युद्ध शुरू हुआ था उस समय कच्चे तेल का भाव उछल कर 130 डॉलर प्रति बैरल के करीब पहुंच गया था. उस लिहाज से देखें तो अब कच्‍चे तेल की कीमत लगभग आधी रह गई है.

सरकारी तेल कंपनियों ने भी वित्‍त वर्ष 2024 की पहली तिमाही में खूब मुनाफा कमाई है. तेल कंपनियों के मुनाफे में होने और कच्‍चे तेल के दाम में गिरावट के बाद अब देश के हर आदमी के मन में अब ये सवाल जरूर उठ रहा है कि सरकार आम आदमी को महंगे पेट्रोल-डीजल से कब राहत देगी? गौरतलब है कि आखिरी बार इसी साल आम चुनाव से पहले मार्च में पेट्रोल और डीजल के रेट घटाए गए थे. तब पेट्रोल और डीजल दोनों की कीमतों में 2-2 रु की कटौती की गई थी. तब 22 महीनों बाद पेट्रोल और डीजल के दाम घटे थे. अब पिछली कटौती को 6 महीने बीत चुके हैं और सरकार ने रेट में कोई बदलाव नहीं किया है.

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कब होगी कटौती?
cnbc TV18 हिंदी की एक रिपोर्ट में एनर्जी एनालिस्ट्स के हवाले से कहा गया है कि सरकारी ऑयल मार्केटिंग कंपनियों की ओर से पेट्रोल और डीजल की कीमतों में कटौती का फैसला ब्रेंट की कीमतों को कुछ और हफ्तों तक रिव्यू करने के बाद लिया जा सकता है. इस साल कच्चे तेल की कीमतों में काफी उतार-चढ़ाव देखा गया है. भारत में रिटेल फ्यूल की कीमतें अंतरराष्ट्रीय तेल कीमतों पर आधारित होती हैं क्योंकि भारत अपनी लगभग 87% कच्चे तेल की जरूरतों के लिए आयात पर निर्भर है.

मुनाफे में हैं कंपनियां
कच्‍चे तेल की कीमतों में गिरावट से इंडियन ऑयल कॉर्पोरेशन लिमिटेड (IOCL), भारत पेट्रोलियम कॉर्पोरेशन लिमिटेड (BPCL) और हिंदुस्तान पेट्रोलियम कॉर्पोरेशन लिमिटेड (HPCL) सहित सरकारी ऑयल मार्केटिंग मुनाफे में आ गई हैं. इस वित्त वर्ष की पहली तिमाही में तीनों सरकारी स्वामित्व वाली OMCs का कंबाइंड नेट प्रॉफिट 7,371 करोड़ रुपए रहा. हालांकि, कम सकल रिफाइनिंग मार्जिन (GRMs) और एलपीजी या रसोई गैस सिलेंडर की बिक्री पर अंडर-रिकवरी के कारण तिमाही में कंपनियों का परफॉरमेंस पिछले साल की तुलना में कमजोर रहा. हाल की तिमाहियों में कंपनियों ने अच्‍छा मुनाफा कमाया है.

एक्यूइट रेटिंग्स एंड रिसर्च की चीफ इकोनॉमिस्ट और रिसर्च हेड सुमन चौधरी ने कहा कि अगर कच्चे तेल की कीमतें 80 डॉलर प्रति बैरल से नीचे रहती हैं, तो OMCs की वित्तीय स्थिति में काफी सुधार होगा और कीमतों में कटौती की संभावना बन सकती है. हरियाणा और जम्मू-कश्मीर में होने वाले आगामी चुनावों को देखते हुए भी यह फैसला लिया जा सकता है. OMCs ने पिछली बार लोकसभा चुनाव से पहले मार्च में देशभर में पेट्रोल और डीजल की कीमतों में 2 रुपये प्रति लीटर की कटौती की थी.

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