नई दिल्ली. ताइवान का वित्तीय क्षेत्र हाल ही में एक बड़े साइबर हमले का शिकार हुआ है, जिसमें ताइवान स्टॉक एक्सचेंज और मेगा फाइनेंशियल होल्डिंग कंपनी जैसी प्रमुख प्लेटफार्म्स को निशाना बनाया गया है. यह DDoS (डिस्ट्रीब्यूटेड डिनाइल ऑफ सर्विस) हमला था जिसकी वजह से इन वेबसाइट्स पर इतना ज्यादा ट्रैफिक आया कि इन्होंने काम करना बंद कर दिया. नतीजतन, वेबसाइट्स की स्थिरता प्रभावित हुआ और उन्हें चलाने में कठिनाइयों का सामना करना पड़ा.
डिजिटल मंत्रालय के अनुसार, ताइवान स्टॉक एक्सचेंज पर विदेशी IP एडरेस से सवालों की बौछार देखी गई. इसके चलते सामान्य स्तर की तुलना में ट्रैफिक में भारी वृद्धि हुई. स्थानीय मीडिया के मुताबिक, लिबर्टी टाइम्स ने रिपोर्ट किया है कि एक रूसी हैकिंग समूह ने टेलीग्राम पर इस घटना की जिम्मेदारी ली है, जैसा कि साइबर सुरक्षा फर्म Radware द्वारा विश्लेषण से पता चला है.
हालांकि, ताइवान के डिजिटल मंत्रालय ने इस बारे में टिप्पणी करने से परहेज किया कि हमले वास्तव में कहां से हुआ है. लेकिन इस हमले ने ताइवान के कंप्यूटिंग इंफ्रास्ट्रक्चर की सुरक्षा में कमजोरी को उजागर किया है. गौरतलब है कि वैश्विक सेमीकंडक्टर उद्योग में ताइवान का एक बेहद महत्वपूर्ण स्थान है. यह अमेरिका और चीन के बीच बढ़ते तनाव का एक केंद्रीय बिंदु है. मंत्रालय ने इस हमले की पुष्टि की है और आश्वासन दिया है कि स्थिति की निगरानी जारी रखी जाएगी. मंत्रालय ने कहा कि इस मामले से संबंधित एजेंसियों को सुरक्षा बढ़ाने और जवाबी रणनीति बनाने में मदद की जाएगी.
हाल ही में साइबर सिक्योरिटी पर नजर रखने वाले कुछ विशेषज्ञों ने खुलासा किया था कि चीनी सरकार से संभावित संबंध रखने वाले एक हैकिंग ग्रुप ने ताइवान के सरकार-संबंधित रिसर्च सेंटर से पासवर्ड और दस्तावेज चुरा लिए थे. यह उल्लंघन ताइवान के लिए साइबर हमलों के लगातार खतरे को उजागर करता है, जो अमेरिका-चीन संबंधों के बढ़ते तनाव का केंद्र है. बीजिंग ताइवान को अपना हिस्सा मानता है और उस पर नियंत्रण स्थापित करने के लिए प्रयासरत है. यह हमला दिखाता है कि ताइवान की डिजिटल और आर्थिक प्रणालियों की मजबूती बनाए रखना कितना महत्वपूर्ण है.
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FIRST PUBLISHED : September 13, 2024, 16:00 IST