नई दिल्ली. सरकार ने खाद्य तेल कंपनियों से कहा है कि वह तेल का खुदरा मूल्य न बढ़ाएं. यह आदेश सरकार द्वारा खाद्य तेल के आयात पर बढ़ाए गए शुल्क के बाद दिया गया है. ऐसी आशंका थी कि कंपनियां इस शुल्क का बोझ आम नागरिकों पर ट्रांसफर कर देंगी. सरकार ने साथ ही कंपनियों से कहा है कि उनके पास पहले से सस्ते आयात शुल्क के साथ मंगाया पर्याप्त खाद्य तेल है.
खाद्य मंत्रालय का कहना है कि कम शुल्क पर आयातित तेल आसानी से 45-50 दिनों तक चलेगा और इसलिए कंपनियों को अधिकतम खुदरा मूल्य (एमआरपी) बढ़ाने से बचना चाहिए. आपको बता दें कि पिछले सप्ताह, केंद्र ने घरेलू तिलहन कीमतों का समर्थन करने के लिए विभिन्न खाद्य तेलों पर मूल सीमा शुल्क में वृद्धि की थी. इस महीने की 14 तारीख से प्रभावी, कच्चे सोयाबीन तेल, कच्चे पाम तेल और कच्चे सूरजमुखी तेल पर मूल सीमा शुल्क को शून्य से बढ़ाकर 20 प्रतिशत कर दिया गया है. इससे कच्चे तेलों पर प्रभावी शुल्क 27.5 प्रतिशत हो गया है.
इसके अतिरिक्त, रिफाइंड पाम तेल, रिफाइंड सूरजमुखी तेल और रिफाइंड सोयाबीन तेल पर मूल सीमा शुल्क 12.5 प्रतिशत से बढ़ाकर 32.5 प्रतिशत कर दिया गया है, जिससे रिफाइंड तेलों पर प्रभावी शुल्क 35.75 प्रतिशत हो गया है.
मंगलवार को खाद्य सचिव संजीव चोपड़ा ने सॉल्वेंट एक्सट्रैक्शन एसोसिएशन ऑफ इंडिया (एसईए), इंडियन वेजिटेबल ऑयल प्रोड्यूसर्स एसोसिएशन (आईवीपीए) और सोयाबीन ऑयल प्रोड्यूसर्स एसोसिएशन (एसओपीए) के प्रतिनिधियों के साथ मूल्य निर्धारण रणनीति पर चर्चा करने के लिए एक बैठक की अध्यक्षता की. एक सरकारी बयान में कहा गया है, ‘‘प्रमुख खाद्य तेल संघों को यह सुनिश्चित करने की सलाह दी गई है कि जब तक 0 प्रतिशत और 12.5 प्रतिशत मूल सीमा शुल्क (बीसीडी) पर मंगाया गया खाद्य तेल स्टॉक में है तब तक प्रत्येक तेल का एमआरपी बरकरार रखा जाए और अपने सदस्यों के साथ इस मुद्दे को तुरंत उठाया जाए.’’ इसमें कहा गया है, ‘‘केंद्र सरकार को यह भी पता है कि कम शुल्क पर आयातित खाद्य तेलों का करीब 30 लाख टन स्टॉक है जो 45 से 50 दिनों की घरेलू खपत के लिए पर्याप्त है.’’
भारत घरेलू मांग को पूरा करने के लिए बड़ी मात्रा में खाद्य तेलों का आयात करता है. आयात पर निर्भरता कुल आवश्यकताओं का 50 प्रतिशत से अधिक है. खाद्य मंत्रालय ने कहा कि आयात शुल्क बढ़ाने का निर्णय घरेलू तिलहन (जिन फसलों से खाद्य तेल निकलता है) किसानों को बढ़ावा देने के लिए सरकार के चल रहे प्रयासों का हिस्सा है.
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FIRST PUBLISHED : September 17, 2024, 23:02 IST