Indian and American Express Ways: क्‍या सच में अमेरिका को टक्‍कर दे सकता है भारत का हाईवे सिस्‍टम

Indian and American Express Ways: मोदी सरकार में सबसे ज्‍यादा सुर्ख‍ियों में रहने वाले मंत्री कौन हैं? अगर आपसे कोई यह सवाल करे तो जवाब क्‍या होगा? नितिन गडकरी? शायद ज्‍यादातर लोगों का जवाब यही हो. गडकरी जिस भी कार्यक्रम में जाते हैं, कुछ ऐसा बोल ही आते हैं कि मीडिया उन्‍हें नजरअंदाज नहीं कर सकता. हाल ही में उन्‍होंने कहा कि उन्‍हें विपक्ष की ओर से पीएम बनाने का ऑफर था, लेकिन उन्‍होंने इनकार कर दिया. ऑफर किसने दिया, यह नहीं बताया. जितना बताने से उनका काम होना था, उतना बता दिया.

गडकरी कहते हैं कि उनका कोई पीआर मैनेजर नहीं है. फिर भी, मीडिया में लगातार वह चर्चा में बने ही रहते हैं. और, खास बात है कि यह नेगेटिव पब्‍ल‍िसिटी नहीं होती है. पीआर मैनेजर्स के लिए तो वह खुद एक ‘केस स्‍टडी’ हैं. उनके इस हुनर पर अलग से आलेख लिखा जा सकता है. यह मुद्दा इस आलेख का नहीं है.

गडकरी ने एक मंत्री के रूप में भी अपनी छवि ईमानदार और तेजी से सड़क-हाईवे बनवाने वाले मंत्री के रूप में बनाई है. वह जहां भी जाते हैं, अपने मंत्रालय की उपलब्‍धियां गिनवाते हैं और अमेरिका से तुलना करते हुए कहते हैं कि इतने समय में आपके यहां की सड़कें अमेरिका से मुकाबला करेंगी या अमेरिका से बेहतर हो जाएंगी….

25 सितंबर को हरियाणा विधानसभा चुनाव में बीजेपी के लिए वोट मांगने गुरुग्राम गए तो वहां भी यही कहा. उन्‍होंने अपने मंत्रालय के काम गिनवाते हुए कहा कि दिसंबर 2024 तक हरियाणा में दो लाख करोड़ रुपये के प्रोजेक्‍ट या तो पूरे हो चुके होंगे, या शुरू किए जा चुके होंगे या शुरू किए जाने की प्रक्र‍िया में होंगे. उन्‍होंने कहा, ‘हरियाणा में 2024 के अंत तक नेशनल हाईवे इंफ्रास्‍ट्रक्‍चर अमेरिका से बेहतर हो जाएगा.’

गडकरी ने भारत को अमेरिका जैसे या उससे बेहतर हाईवेज या हाईवेज इंफ्रास्‍ट्रक्‍चर देने की बात पहले भी कई मौकों पर कही है. पर, क्‍या ऐसा वास्‍तव में संभव है? क्‍या भारत-अमेरिका की यह तुलना सही भी है? हमने यहां ऐसे ही कुछ स्‍वाभाविक सवालों के जवाब तलाशने की कोशि‍श की है.

जवाब खोजने के लिए हमने मुख्‍य रूप से नितिन गडकरी के मंत्रालय, अमेरिकी परिवहन मंत्रालय (फेडरल हाईवे एडमिनिस्‍ट्रेशन – एफएचडब्‍ल्‍यूए), नेशनल हाईवे अथॉरिटी ऑफ इंडिया (एनएचएआई) की रिपोर्ट सहित कई जगह से आंकड़े खंगाल कर भारत और अमेरिका के हाईवेज इंफ्रास्‍ट्रक्‍चर के साथ-साथ दोनों की चुनौतियों को भी समझने की कोशिश की है. पहले दोनों देशों के तुलनात्‍मक आंकड़ों पर एक नजर डाल लेते हैं:

कुल सड़क नेटवर्क

  • भारत में कुल सड़क नेटवर्क 66.71 लाख किलोमीटर (2023 के आंकड़े) लंबा है.
  • राष्ट्रीय राजमार्गों की लंबाई 1,46,145 लाख किलोमीटर (कुल सड़क लंबाई का लगभग 2%) है.
  • प्रति 1000 व्यक्ति पर सड़कों की लंबाई भारत में लगभग 5.13 किलोमीटर है.
  • अमेरिका में कुल सड़क नेटवर्क: 68.03 लाख किलोमीटर है.
  • नेशनल हाईवे सिस्‍टम (एनएचएस) के तहत 2.64 लाख किलोमीटर लंबी सड़क है. इनमें से 78000
  • किलोमीटर इंटरस्टेट राजमार्ग (राष्ट्रीय राजमार्ग प्रणाली का हिस्सा) है.
  • प्रति 1000 व्यक्ति पर सड़कों की लंबाई लगभग 20.1 किलोमीटर है. भारत की तुलना में करीब चार गुना ज्‍यादा.

भारत में राष्ट्रीय राजमार्ग (1.43 लाख किलोमीटर) कुल सड़क नेटवर्क का मात्र 2.3% है, लेकिन इस पर 40% ट्रैफिक लोड है. अमेरिका में इंटरस्टेट राजमार्ग कुल सड़क नेटवर्क का लगभग 1.2% हैं, लेकिन वाहनों का करीब चौथाई सफर इन्‍हीं पर पूरा होता है.

नए राजमार्ग

  • भारत में ‘भारतमाला परियोजना’ के तहत 2027-28 तक 34,800 किलोमीटर नए राजमार्ग बनाए जाने की योजना है. 2023 तक 15043 किमी बना था.
  • भारत में औसतन रोज 40 किलोमीटर राजमार्ग बनाने का लक्ष्‍य रखा गया था, लेकिन 28.3 किलोमीटर (2022-23) के हिसाब से ही बन पाया. 2022-23 में भारत में 10331 किलोमीटर लंबा राजमार्ग बनाया गया.

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उधर, अमेरिका इस स्‍थ‍िति में है कि वहां नए राजमार्ग बनाने पर अब ज्‍यादा फोकस ही नहीं है. फोकस है राजमार्गों के रखरखाव करने की और उन्‍हें लगातार नई तकनीक की गाड़ि‍यों के लिए तैयार रखने की. मतलब, अपग्रेड करने की. वहां 2021 में सड़कों, राजमार्गों और पुलों को ठीक और अपग्रेड कराने के लिए 110 अरब डॉलर आवंटित किए गए.

बजट और निवेश

  • भारत में 2024-25 के केंद्रीय बजट में सड़कों और राजमार्गों के लिए 2.78 लाख करोड़ रुपये (करीब 33 अरब डॉलर) आवंटित किए गए.
  • अमेरिका में 2021 में बाइडेन प्रशासन ने 70 अरब डॉलर राजमार्गों के विस्‍तार और रखरखाव के लिए दिए.
  • निर्माण के लिए भारत में जहां पीपीपी मॉडल पर जोर है, वहीं अमेरिका में हाईवे ट्रस्ट फंड (HTF) पर विशेष निर्भरता है. यह फंड गाड़ि‍यों के ईंधन पर टैक्‍स लगा कर इकट्ठा किया जाता है.

सड़क सुरक्षा
भारत में 2022 में सड़क हादसों में 1.68 लाख से अधिक मौतें हुईं. इनका एक प्रमुख कारण खराब सड़कें भी हैं. यहां सड़कों पर गड्ढे होना आम बात है और नई बनी सड़कों पर गड्ढे बन जाना भी आम है.
अमेरिका में 2022 में सड़क हादसों में भारत की तुलना में काफी कम (42,500) मौतें हुईं. इन हादसों का कारण खराब सड़कें नहीं थीं. ज्‍यादातर हादसे तेज रफ्तार के चलते हुए.
अमेरिका में स्मार्ट राजमार्ग बनाने पर जोर है. बेहतर सड़क इंजीनियरिंग डिज़ाइन और सुरक्षा से जुड़ी तकनीकों में खासा निवेश किया जा रहा है.

तकनीक के मामले में तुलना
भारत में FASTag सिस्टम से टोल प्लाज़ा पर ट्रैफिक सुधरा है. सड़क निर्माण परियोजनाओं की निगरानी के लिए GIS मैपिंग और ड्रोन से सर्वे किए जा रहे हैं. साथ ही, ‘ग्रीन हाईवेज’ बनाने पर जोर है.

अमेरिका में स्मार्ट ट्रांसपोर्टेशन सिस्टम्स और इंटेलिजेंट हाईवे टेक्नोलॉजीज (ITS) का इस्‍तेमाल तेजी से हो रहा है. ऑटोमेटेड व इलेक्ट्रिक वाहनों (AVs और EVs) के लिए सड़कों पर बुनियादी ढांचा विकसित करने पर ध्यान दिया जा रहा है.

दोनों देशों की चुनौतियों की तुलना
राजमार्गों के क्षेत्र में अगर भारत और अमेरिका की चुनौतियों की तुलना की जाए तो वह भी एकदम अलग हैं. भारत में जमीन और पर्यावरण संबंधी मंजूरी मिलने में देरी, प्रोजेक्‍ट के लिए पैसों के इंतजाम में देरी, निर्माण में पूरी गुणवत्‍ता की गारंटी का अभाव और रखरखाव की समस्‍या जैसी बड़ी चुनौतियां पेश आती हैं.

उधर, अमेरिका की चुनौती दूसरी है. अमेरिकी राजमार्ग नेटवर्क का बड़ा हिस्सा 20वीं सदी के मध्य में बनाया गया था और अब इसमें भारी मरम्मत और अपग्रेड की आवश्यकता है. ईंधन कर वसूली में कमी के चलते राजमार्गों के लिए फंड जुटाना आसान नहीं रह गया है. इसके अलावा राजनीतिक गतिरोध और शहरी फैलाव जैसी चुनौतियां भी सामने आती हैं. अब इन आंकड़ों के आधार पर आप अनुमान लगा सकते हैं कि सड़कों के मामले में भारत की तुलना अमेरिका से करना अतिशयोक्‍त‍ि है, नेताओं द्वारा जनता को मीठे सपने दिखाना है या हकीकत है.

Tags: Ganga Expressway, National Highway 24, Nitin gadkari

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