शेयर बाजार में संकट मोचन है ‘स्टॉपलॉस’, बड़े नुकसान से बचने का रामबाण तरीका

Share Market Knowledge: शेयर बाजार में ज्यादातर लोग शेयर खरीदने के बाद नुकसान उठाते हैं और शिकायत करते हैं कि मैं जो स्टॉक लेता हूं वह गिर जाता है. चूंकि, स्टॉक मार्केट में निवेश बाजार जोखिमों के अधीन है इसलिए यहां कुछ भी संभव है. ऐसे में आर्थिक नुकसान से बचने के लिए ‘स्टॉपलॉस’ लगाना बहुत जरूरी है. अब सवाल है कि स्टॉपलॉस होता क्या है. शायद कई लोगों के इसके बारे में जानकारी ना हो. हैरानी की बात है कि जो लोग स्टॉपलॉस के बारे में जानते हैं वो इसे फॉलो नहीं करते हैं.

शेयर मार्केट जैसे जोखिम भरे बाजार में स्टॉपलॉस नुकसान से बचने का एक रामबाण तरीका है. आइये आपको बताते हैं आखिर कैसे स्टॉपलॉस के जरिए आप बड़े नुकसान से बच सकते हैं.

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क्या होता है स्टॉपलॉस?

शेयर बाजार में नफा और नुकसान दोनों होते हैं इसलिए हर समझदार निवेशक को शेयर खरीदन के बाद मुनाफे के साथ-साथ नुकसान की सीमा भी तय कर लेनी चाहिए. स्टॉपलॉस, नुकसान को सीमित करने के लिए निवेशकों द्वारा उपयोग की जाने वाली एक विधि है, जिसमें एक निश्चित सीमा तक नुकसान की स्थिति में शेयरों को बेच दिया जाता है.

उदाहरण से समझें

मान लीजिए, आपने ABC कंपनी के 300 रुपये के भाव पर 1000 शेयर खरीदे. ऐसे में आपने शेयरों में 3 लाख रुपये का निवेश किया. आपको लगता है कि यह शेयर 350 रुपये तक जाएगा. ऐसा हुआ तो आपको 50,000 रुपये का मुनाफा होगा. यहां तो आपने टारगेट फिक्स करके मुनाफे के बारे में सोच लिया. लेकिन, अगर शेयर 300 रुपये के नीचे जाने लगा तो आपको नुकसान होगा. इस स्थिति में आपको स्टॉपलॉस लगाना होगा, यानी एक लेवल तय करना होगा कि अगर शेयर 280 रुपये आ जाता है तो मैं इसे बेचकर निकल जाऊंगा. ऐसे में आपको 20,000 रुपये नुकसान उठाना पड़ेगा.

सिस्टम में स्टॉप लॉस लगाने से अगर शेयर तय लेवल से नीचे चले जाता है तो स्टॉप लॉस हिट हो जाएगा यानी आपके शेयर बिक जाएंगे. भले ही घाटा हो लेकिन आप बड़े नुकसान से बच जाएंगे. बड़े निवेशक  हमेशा स्टॉप लॉस के नियम को सख्ती से फॉलो करते हैं.

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