फुल पेमेंट एग्रीमेंट पर प्रॉपर्टी की खूब खरीद-फरोख्त होती है. फुल पेमेंट एग्रीमेंट से संपत्ति का मालिकाना हक नहीं मिलता है. इससे आपके नाम म्यूटेशन यानी दाखिल-खारिज भी नहीं हो सकता है.
नई दिल्ली. किसी भी तरह की संपत्ति खरीदने के लिए उसकी रजिस्ट्री (Registry of Property) कराना जरूरी है. रजिस्ट्री और दाखिल-खारिज होने के बाद ही आप प्रॉपर्टी के मालिक बनते हैं. भारत में रजिस्ट्री के अलावा फुल पेमेंट एग्रीमेंट के जरिये भी प्रॉपर्टी की खरीद-फरोख्त खूब होती है. लेकिन, संपत्ति खरीदने का यह किसी भी लिहाज से सही नहीं है. केवल फुल पेमेंट रेंट एग्रीमेंट के जरिए कोई भी प्रॉपर्टी खरीदना आपके लिए बड़े घाटे का सौदा साबित हो सकता है. फुल पेमेंट एग्रीमेंट से आप किसी संपत्ति के मालिक नहीं बन सकते. ऐसे में आपको उस संपत्ति से हाथ भी धोना पड़ सकता है, जिसे आपने अपनी खून-पसीने की कमाई से खरीदा है.
पंजाब और हरियाणा हाईकोर्ट के वकील सुधीर सहारण का कहना है कि फुल पेमेंट एग्रीमेंट करके प्रॉपर्टी खरीदना ठीक नहीं है. अपनी गाढ़ी कमाई को प्रॉपर्टी में लगाना है तो आपको हमेशा ऐसी संपत्ति ही खरीदनी चाहिए जिसकी रजिस्ट्री हो सके. स्टॉम्प ड्यूटी बचाने के चक्कर में या फिर सस्ते के लालच में फुल पेमेंट एग्रीमेंट या वसीयत जैसे तरीकों को अपनाने से बचना ही श्रेयकर है.
फुल पेमेंट एग्रीमेंट नहीं देता मालिकाना हक
पावर ऑफ अटॉर्नी या फुल पेमेंट एग्रीमेंट से आपको किसी भी प्रॉपर्टी का कानूनन मालिकाना हक नहीं मिल जाता. फुल पेमेंट एग्रीमेंट मालिकाना हक का दस्तावेज नहीं है. इससे संपत्ति की म्यूटेशन यानी दाखिल खारिज भी नहीं होता. ऐसे मामले कोर्ट में हमेशा कमजोर होते हैं और बिना रजिस्ट्री आप प्रॉपर्टी पर अपना मालिकाना हक नहीं पेश कर पाते. संपत्ति आपके हाथ से जाने का जोखिम ज्यादा होता है.
आए दिन ऐसे मामले आते रहते हैं जिसमें सिर्फ फुल पेमेंट एग्रीमेंट बनवाकर किसी ने प्रॉपर्टी पर कब्जा ले लिया. कुछ समय बाद प्रॉपर्टी बेचने वाले व्यक्ति ने ही उस संपत्ति पर दावा ठोक दिया. इतना ही नहीं, कई बार तो प्रॉपर्टी बेचने वाले की मृत्यु के बाद उसके बच्चे या करीबी रिश्तेदार ही ऐसी प्रॉपर्टी पर अपना दावा जता देते हैं. ऐसी परिस्थितियों में फुल पेमेंट एग्रीमेंट कराने वाला पैसे लगाकर मुसीबत में फंस जाता है.
क्या फुल पेमेंट एग्रीमेंट से करवा सकते हैं रजिस्ट्री?
एडवोकेट सुधीर सहारण का कहना है कि फुल पेमेंट एग्रीमेंट के आधार पर रजिस्ट्री कराई जा सकती है. अगर खरीदार और विक्रेता के बीच कोई विवाद नहीं है तो रजिस्ट्री आसानी से हो जाती है. अगर हरियाणा की बात करें तो फुल पेमेंट एग्रीमेंट के बाद अगर संपत्ति बेचने वाला रजिस्ट्री कराने से मुकर जाए तो कोर्ट का दरवाजा खटखटाया जा सकता है और एग्रीमेंट को पूरा कराया जा सकता है. लेकिन, ऐसा करने के लिए कुछ शर्तों को पूरा करना होता है.
फुल पेमेंट एग्रीमेंट निर्धारित स्टॉम्प पेपर पर होना चाहिए. इस पर खरीदार और विक्रेता दोनों के हस्ताक्षर तथा साथ ही गवाहों के साइन भी होने चाहिए. साथ ही संपत्ति की 2 लाख रुपये से ज्यादा की पेमेंट चेक या बैंक ट्रांसफर के माध्यम से होनी चाहिए. सहारण का कहना है कि अगर फुल पेमेंट एग्रीमेंट उक्त शर्तों को पूरा करता है तो खरीदार का दावा मजबूत हो जाता है और विक्रेता को रजिस्ट्री कराने को कोर्ट के माध्यम से मजबूर किया जा सकता है.
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FIRST PUBLISHED : October 20, 2024, 20:58 IST