पहली बार भोजपुरी संगीत में हुआ अनोखा प्रयोग, कल्पना पटवारी ने गजल को दिया वेस्टर्न टच

नई दिल्ली: लोकप्रिय गायिका कल्पना पटवारी संगीत में नए प्रयोग की हिमायती रही हैं. उन्होंने कुछ साल पहले कोक स्टूडियो में लोक गीत ‘बिरहा’ का मॉडर्न गाने के साथ ऐसा फ्यूजन किया था कि गाना जमकर हिट हुआ. आज 27 अक्टूबर को अपने जन्मदिन पर फिर से एक नए प्रयोग के साथ हाजिर हुई हैं. पहली बार भोजपुरी में ब्लूज प्रोग्रेशन म्यूजिक का इस्तेमाल हुआ है. उन्होंने मशहूर गजलकार मनोज भावुक के गजल ‘राह बाटे कठिन, मगर बाटे’ को स्वर दिया है.

ध्रुव घनेकर के एल्बम ‘वॉयेज 2’ से भी कल्पना पटवारी जुड़ी हुई हैं, जिसकी ग्रैमी अवॉर्ड्स के लिए चर्चा हो रही है. मनोज भावुक भोजपुरी के मशहूर शायर हैं. मनोज को उनके भोजपुरी गजल-संग्रह के लिए गीतकार गुलजार और ठुमरी गायिका गिरिजा देवी के हाथों भारतीय भाषा परिषद द्वारा सम्मानित किया जा चुका है. उन्हें भोजपुरी साहित्य के लिए फिल्मफेयर और फेमिना द्वारा भी सम्मानित किया जा चुका है.

मनोज भावुक की गजल को दिया वेस्टर्न टच
कल्पना पटवारी ने गाने ‘राह बाटे कठिन’ को अपने सोशल मीडिया अकाउंट पर रिलीज किया है, जिसका संगीत काकुल भराली ने तैयार किया है. गाने में इस अनोखे प्रयोग को लोग खूब पसंद कर रहे हैं. मनोज भावुक की गजल पर आप भी गौर फरमाएं-
राह बाटे कठिन, मगर बाटे
चाह बाटे अगर, डगर बाटे

होखे खपरैल भा महल होखे
नेह बाटे तबे ऊ घर बाटे

तींत भा मीठ जे मिलल हक में
ऊ त भोगे के उम्र भर बाटे

दर्द खउलत बा दिल के अदहन में
यार के घात के असर बाटे

बात ऊ सब भुला दीं, जवना से
जिन्दगानी भइल जहर बाटे

आखिरी मान के जिहीं हर पल
का पता कब ले ई सफर बाटे

काल्ह होई बिहान ए भावुक
ई अन्हरिया त आज भर बाटे

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