नई दिल्ली. देश के 11 राज्यों में अब ज्वैलर्स गलत आभूषण या मिलावटी सोने वाली ज्वैलरी नहीं बेच सकेंगे. सरकार ने इन राज्यों में हॉलमार्किंग को अब अनिवार्य कर दिया है. इन 11 राज्यों के 18 जिलों में अब बिना हॉलमार्क वाले आभूषणों की बिक्री पर रोक लग चुकी है. सरकार ने सोने के आभूषणों पर हालमार्किंग को 23 जून, 2021 से ही अनिवार्य बना दिया है. इसके बाद से ही देशभर में चरणबद्ध तरीके से हालमार्किंग लागू की जा रही है.
सरकार ने गुरुवार को सोने के आभूषणों और सोने की कलाकृतियों की अनिवार्य हॉलमार्किंग के चौथे चरण की शुरुआत की है. चौथे चरण में देश के अतिरिक्त 18 जिलों को शामिल किया गया है. अनिवार्य हॉलमार्किंग का काम 23 जून, 2021 को शुरू हुआ था. उसके बाद से अबतक 40 करोड़ से अधिक सोने के आभूषणों की विशिष्ट पहचान (आईडी) के साथ हॉलमार्किंग की गई है. इस कदम से उपभोक्ताओं के लिए अधिक विश्वास और पारदर्शिता सुनिश्चित हुई है.
5 नवंबर से शुरू हो गया चौथा चरण
एक सरकारी बयान में कहा गया है कि चौथा चरण पांच नवंबर से प्रभावी हो गया है. चौथे चरण में आंध्र प्रदेश, बिहार, हरियाणा, हिमाचल प्रदेश, केरल, ओडिशा, पुडुचेरी, राजस्थान, तमिलनाडु, उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड के 18 जिले शामिल किए गए हैं. चौथे चरण के कार्यान्वयन के साथ, अनिवार्य हॉलमार्किंग के अंतर्गत आने वाले जिलों की कुल संख्या अब 361 हो गई है.
अब तक 1.94 ज्वैलर्स शामिल
सरकार की पहल से पंजीकृत ज्वैलर्स की संख्या 34,647 से बढ़कर 1,94,039 हो गई है और परख व हॉलमार्किंग केंद्रों की संख्या भी 945 से बढ़कर 1,622 हो गई है. उपभोक्ता ‘बीआईएस केयर मोबाइल ऐप’ का उपयोग करके हॉलमार्क वाले सोने के आभूषणों की प्रामाणिकता को सत्यापित कर सकते हैं और उत्पाद की गुणवत्ता या बीआईएस के निशान के दुरुपयोग के बारे में शिकायत दर्ज कर सकते हैं.
क्यों जरूरी है हॉलमार्किंग
सरकार ने मिलावटी ज्वैलरी और टैक्स चोरी को रोकने के लिए सोने के सभी गहनों पर अनिवार्य हालमार्किंग को शुरू किया था. इसके तहत हर ज्वैलरी पर हॉलमार्क लगाया जाता है, जो न सिर्फ सोने की शुद्धता की गारंटी देता है, बल्कि इस बात का भी प्रमाण देता है कि यह गहना कहां और कब बनाया गया है. छोटे शहरों से लेकर गांव-कस्बों तक में इस कदम से मिलावटी गहनों की बिक्री पर रोक लगाने में कामयाबी मिली है.
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FIRST PUBLISHED : November 15, 2024, 07:58 IST