जनवरी से शुरू होने वाली कटड़ा-श्रीनगर रेल लाइन में क्‍यों हुई देरी, जानें

नई दिल्‍ली. माता वैष्‍णो देवी कटड़ा-श्रीनगर रेल लाइन जनवरी से शुरू होने जा रही है. यानी लोग अगले माह से माता के दर्शन के बाद ट्रेन से श्रीनगर की खूबसूरत वादियों का भी मजा ले सकेंगे. इस रेल लाइन के निर्माण में रेलवे के सामने कई चैलेंज थे, जिसकी वजह से काफी देरी हुई है. वरना काफी पहले इस रेल लाइन में सफर शुरू हो जाता. आइए जानें इस लाइन के निर्माण में क्‍या चैलेंज आए?

रेलवे ने कश्‍मीर को पूरे देश से रेल मार्ग से जोड़ने के लिए 272 किमी. उधमपुर-श्रीनगर-बारामूला रेल लाइन (यूएसबीआरएल) का निर्माण किया है. यूएसबीआरएल परियोजना के महत्व को देखते हुए 2002 में “राष्ट्रीय परियोजना” घोषित की गयी थी. जो आज़ादी के बाद भारतीय रेलवे द्वारा किया गया सबसे चुनौतीपूर्ण कार्य रहा है.

सबसे बड़े चैलेंज ये रहे

चिनाब ब्रिज और कटड़ा-संगलदान के बीच में पड़ने वाली टी-33 टनल रही. दोनों के निर्माण में काफी समय लगा है. चिनाब ब्रिज का निर्माण तो हो चुका है लेकिन टी 33 का आम अभी भी जारी है जो अगले माह पूरा हो जाएगा.

टनल के दोनों ओर चल रही हैं ट्रेनें

कटड़ा और संगलदान के बीच रेलवे लाइन (17 किमी.) का काम लगभग पूरा हो गया है, बस टनल टी33 का काम अंतिम चरण पर है. उत्‍तर रेलवे के अनुसार पहाड़ में इस टनल को बनाने में लगातार चैलेंज आते रहे. जिस पत्‍थर का पहाड़ था, उसमें मुकिश्‍ले खूब आयीं. अभी कन्याकुमारी से कटड़ा तक और कश्मीर घाटी में बारामुला से संगलदान तक भी ट्रेनें दौड़ती हैं. कटड़ा से संगलदान के बीच ट्रैक तैयार होने के बाद कश्मीर से कन्याकुमारी रेल मार्ग से जुड़ जाएगा. इस तरह देश के किसी भी ट्रेन के माध्यम से कश्मीर पहुंचा जा सकेगा. कुल 272 किमी. लंबी उधमपुर-श्रीनगर-बारामूला रेल लिंक लाइन 255 किमी. पहले हो चुकी है. नई रेल लाइन को सीआरएस की क्‍लीयरेंस भी मिल चुकी है.

चिनाब ब्रिज का निर्माण भी था चैलेंजिंग

तेज हवाओं के बीच चिनाब ब्रिज का निर्माण भी कम चैलेंजिंग नहीं था. यह एफिल टॉवर से लगभग 35 मीटर लंबा है. दुनिया का सबसे ऊंचा ब्रिज है. इसकी कुल कुल लंबाई 1315 मीटर, आर्क 467 मीटर और नदी तल से ऊंचाई 359 मीटर शामिल है. ब्रिज 260 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से चलने वाली हवाओं का सामना करने में भी सक्षम है. इसकी उम्र120 साल होगी.

 रेल लाइन की खासियत

यूएसबीआरएल परियोजना में 38 सुरंगें (संयुक्त लंबाई 119 किमी) हैं. सबसे लंबी सुरंग (टी-49) की लंबाई 12.75 किमी है और यह देश की सबसे लंबी ट्रांसपोर्ट सुरंग है. कुल 927 पुल हैं,

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