नई दिल्ली. महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव में भाजपा की अगुवाई वाले एनडीए को वापस सत्ता में लाने का श्रेय मुख्यमंत्री लड़की बहिन योजना को दिया जा रहा है. इसके तहत महाराष्ट्र की करीब ढाई करोड़ पात्र महिलाओं को हर महीने 1,500 रुपये की राशि दी जानी है. यह घोषणा तो खैर चुनाव के पहले की थी, जबकि चुनाव जीतने पर इस राशि को बढ़ाकर 2,100 रुपये प्रति माह करने का वादा भी किया था. अब जबकि एनडीए प्रचंड बहुमत के साथ महाराष्ट्र की सत्ता पर वापस आई है तो सरकार के सामने अपना वादा निभाने का दबाव होगा.
विश्लेषकों का कहना है कि सरकार अपने वादे को पूरा करने के लिए जरूर आगे बढ़ेगी, लेकिन असल चुनौती ये है कि इस पर आने वाले खर्च के लिए पैसे कहां से जुटाए जाएंगे. वैसे तो महाराष्ट्र पूरे देश में सबसे ज्यादा राजस्व वसूलने वाला राज्या है, लेकिन यहां का खर्चा भी इसी अनुपात में ज्यादा रहता है. जाहिर है कि महायुति गठबंधन वाली सरकार के सामने अपने इस वादे को पूरा करने के लिए फंड जुटाना सबसे बड़ी चुनौती होगी.
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अभी कितना पड़ता है बोझ
महाराष्ट्र की मौजूदा एकनाथ शिंदे सरकार ने जब लड़की बहिन योजना का ऐलान किया था तो प्रदेश की करीब 2.5 करोड़ महिलाओं के खाते में हर महीने 1,500 रुपये डालने की बात कही थी. इसके लिए सरकार ने करीब 35,000 करोड़ रुपये का आवंटन किया था. लेकिन, चुनावी समर में जाने के बाद इस गठबंधन ने वादा किया था कि अगर सत्ता में वापसी होती है तो यह राशि 2,100 रुपये तक बढ़ा दी जाएगी. जाहिर है कि 600 रुपये की रकम बढ़ाने पर इसके लिए ज्यादा फंड की भी जरूरत पड़ेगी.
रकम बढ़ी तो कितना आएगा बोझ
विश्लेषकों का कहना है कि अगर महिलाओं के खाते में जाने वाली रकम को बढ़ाया जाता है तो सरकारी खजाने पर पड़ने वाला बोझ भी 35 हजार करोड़ से बढ़कर करीब 46 हजार करोड़ रुपये हो जाएगा. ऐसे में सरकार को 11 हजार करोड़ का आवंटन और करना होगा. सवाल ये है कि इस रकम का जुगाड़ आखिर कहां से किया जाएगा और इसका विकल्प क्या हो सकता है.
इन विकल्पों पर होगा विचार
जैसा कि आपको पता है कि महाराष्ट्र देश का सबसे बड़ा औद्योगिक प्रदेश है. लिहाजा राज्य की कमाई का सबसे बड़ा सोर्स भी सर्विस सेक्टर है, जो पिछले वित्तवर्ष में महाराष्ट्र का कुल राजस्व करीब 4.50 लाख करोड़ रुपये था, जो देश में सबसे ज्यादा है. चूंकि, यहां सर्विस सेक्टर और इंडस्ट्रीज ही उत्पादन और कमाई का मुख्य जरिया हैं. लिहाजा आने वाले समय में ज्यादा राजस्व के लिए सर्विस टैक्स अथवा सेल्स टैक्स में बढ़ोतरी देखने को मिल सकती है. योजना के लिए फंड जुटाने का काम बाजार उधारी के जरिये भी किया जा सकता है, जबकि केंद्र में भी एनडीए की सरकार होने की वजह से वहां से भी राज्य को मदद दी जा सकती है. विश्लेषकों का कहना है कि इन तीनों विकल्पों में से सरकार जो भी मुफीद समझेगी, उस पर आगे बढ़ सकती है.
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FIRST PUBLISHED : November 25, 2024, 14:42 IST