महंगा कर्ज और घटती मांग बिगाड़ेगी काम, घट सकती है भारत की जीडीपी ग्रोथ रेट

नई दिल्‍ली. ग्लोबल रेटिंग एजेंसी एसएंडीपी ग्लोबल रेटिंग्स ने अगले दो वित्त वर्षों के लिए भारत की जीडीपी ग्रोथ का अनुमान घटा दिया है. इसकी वजह ऊंची ब्याज दर से शहरी मांग में कमी आना है. अमेरिकी चुनाव परिणामों के बाद एशिया-प्रशांत अर्थव्यवस्थाओं के लिए अपने आर्थिक पूर्वानुमान को अपडेट करने हुए रेटिंग एजेंसी ने वित्त 2025-26 (अप्रैल 2025 से मार्च 2026) में सकल घरेलू उत्पाद (GDP) ग्रोथ 6.7 फीसदी और वित्त 2026-27 में 6.8 फीसदी रहने का अनुमान लगाया है. यह पिछले अनुमानों क्रमशः 6.9 फीसदी और 5 फीसदी से कम है.

S&P ने चालू वित्त वर्ष 2024-25 में जीडीपी ग्रोथ रेट 6.8 फीसदी रहने का अनुमान लगाया है. रेटिंग एजेंसी को उम्मीद है कि वित्त वर्ष 2027-28 में जीडीपी ग्रोथ रेट 5 फीसदी रहेगी. एसएंडपी ने चीन के लिए 2024 में 4.8 फीसदी की ग्रोथ का अनुमान बरकरार रखा, लेकिन अगले वर्ष के लिए पूर्वानुमान को पहले के 4.3 फीसदी से घटाकर 4.1 फीसदी कर दिया. 2026 के लिए 4.5 फीसदी के पिछले अनुमान को घटाकर 3.8 प्रतिशत कर दिया.

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पहली तिमाही में कमजोर रहेगा इकोनॉमिक आउटलुक
एसएंडपी ग्लोबल रेटिंग्स के मुख्य अर्थशास्त्री (एशिया-प्रशांत) लुइस कुइज ने कहा कि बढ़ते जोखिम 2025 की पहली तिमाही में एशिया-प्रशांत के लिए इकोनॉमिक आउटलुक को कमजोर कर रहे हैं. जबकि इस क्षेत्र के ज्यादातर देश मजबूत ग्रोथ बनाए रखने में सक्षम हैं.

चीन के इन्सेंटिव्स से ग्रोथ को समर्थन मिलना चाहिए, लेकिन एसएंडपी को उम्मीद है कि उसके निर्यात पर अमेरिकी व्यापार शुल्क से उसकी अर्थव्यवस्था प्रभावित होगी. एशिया-प्रशांत विकास धीमी वैश्विक मांग और अमेरिकी व्यापार नीति से बाधित होगा. लेकिन कम ब्याज दरों और मुद्रास्फीति से खर्च करने की शक्ति पर उनका दबाव कम होना चाहिए.

Tags: Business news, GDP growth, India economy

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