नई दिल्ली. देश के सिर्फ एक सेक्टर पर ही फोकस कर लिया जाए तो बेरोजगारी संकट पूरी तरह खत्म हो सकता है. प्रबंधन परामर्श कंपनी प्राइमस पार्टनर्स ने बृहस्पतिवार को जारी अपनी रिपोर्ट में यह दावा किया है. इसमें कहा गया है कि भारत के सहकारी क्षेत्र में ही साल 2030 तक प्रत्यक्ष रूप से 5.5 करोड़ नौकरियां और 5.6 करोड़ स्वरोजगार के अवसर सृजित करने की क्षमता है, जो देश से बेरोजगारी की समस्या को पूरी तरह समाप्त कर सकता है.
सहकारी क्षेत्र पर जारी इस रिपोर्ट में कहा गया है कि भारत का सहकारी तंत्र वैश्विक स्तर पर 30 लाख सहकारी समितियों में से करीब 30 प्रतिशत यानी करीब 9 लाख समितियों का प्रतिनिधित्व करता है. रिपोर्ट के अनुार, भारत 2030 तक 5,000 अरब डॉलर की अर्थव्यवस्था बनने के अपने महत्वाकांक्षी लक्ष्य की ओर आगे बढ़ रहा है और ऐसे में सहकारी क्षेत्र आशा और क्षमता की किरण बना हुआ है.
5.5 करोड़ प्रत्यक्ष लाभ
रिपोर्ट में कहा गया है कि विश्व स्तर पर सबसे बड़े सहकारी तंत्रों में से एक के साथ भारत आर्थिक वृद्धि, सामाजिक समानता और समावेशी विकास को बढ़ावा देने के लिए इस क्षेत्र की अपार क्षमताओं का लाभ उठाने के लिए तैयार है. भविष्य की ओर देखते हुए सहकारी समितियों में 2030 तक 5.5 करोड़ प्रत्यक्ष रोजगार और 5.6 करोड़ स्वरोजगार के अवसर उत्पन्न करने की क्षमता है, जिससे रोजगार सृजनकर्ता के रूप में उनकी भूमिका और बढ़ जाएगी.
जीडीपी में 5 फीसदी योगदान
यह रिपोर्ट भारत के सहकारी क्षेत्र के जीडीपी में योगदान को भी दर्शाती है. इसमें कहा गया है कि सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) पर उनका असर भी उतना ही प्रभावशाली है. इनका 2030 तक संभावित योगदान 3 से बढ़कर 5 प्रतिशत तक हो सकता है. प्रत्यक्ष तथा स्वरोजगार दोनों की बात करें तो यह 10 प्रतिशत से अधिक हो सकता है.
भारत सबसे बड़ा सहकारी क्षेत्र
भारत दुनिया का सबसे बड़ा सहकारी क्षेत्र है. यहां आनंद मिल्क यूनियन लिमिटेड यानी अमूल के रूप में दिग्गज सहकारी कंपनी है. इसके अलावा भारतीय किसान उर्वरक सहकारी समिति, बागवानी उत्पादक सहकारी विपणन और प्रसंस्करण सोसायटी और लिज्जत पापड़ जैसी जानी-मानी कंपनियां भी इस क्षेत्र में काम करती हैं. केंद्रीय सहकारी मंत्री अमित शाह ने देश के सहकारी सेक्टर को और मजबूत बनाने के लिए भी कई कदम उठाए हैं.
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FIRST PUBLISHED : November 28, 2024, 18:34 IST