गाड़ी उठाओ और चलते जाओ, भारत में ही मैक्सिको-टेक्सस वाला फील देगा ये एक्सप्रेसवे

नई दिल्ली. रेगिस्तान के बीच से निकलती एक लंबी सड़क है, जिस पर आप बिना ट्रैफिक की चिंता किए आराम से गाड़ी चलाते जा रहे हैं. दिमाग में यह किसी फिल्मी नजारे से कम नहीं लग रहा होगा. ऐसा इसलिए भी क्योंकि ये नजारे वाकई कई विदेशी फिल्मों में ही दिखते हैं. जिसमें गाड़ी टेक्सास या मैक्सिको के बड़े खाली इलाकों के बीच से गुजरती दिखती है. अब इस नजारे के लिए आपको विदेश जाने की जरूरत नहीं है. देश में बन रहे जामनगर-अमृतसर एक्सप्रेसवे पर आपको ऐसे ही दृश्य देखने को मिलेंगे. यह देश का दूसरा सबसे लंबा एक्सप्रेसवे होगा.

अमृतसर-जामनगर एक्सप्रेसवे देश के चार प्रमुख राज्यों पंजाब, हरियाणा, राजस्थान और गुजरात को जोड़ेगा. यह ग्रीनफील्ड प्रोजेक्ट 1,316 किलोमीटर लंबा है और इसमें लगभग 85% निर्माण कार्य पूरा हो चुका है. इसे दिसंबर 2025 तक पूरी तरह चालू करने का लक्ष्य है. एक्सप्रेसवे बनने के बाद अमृतसर से जामनगर की यात्रा मात्र 13 घंटे में पूरी हो सकेगी, जबकि वर्तमान में यह सफर 23-24 घंटे का है. इसके साथ ही अमृतसर से कांडला पोर्ट की दूरी भी 216 किलोमीटर कम हो जाएगी​.

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विशेषताएं और कनेक्टिविटी
यह एक्सप्रेसवे बठिंडा, बाड़मेर और जामनगर की तीन प्रमुख तेल रिफाइनरियों के अलावा अमृतसर, बीकानेर, जोधपुर और कच्छ जैसे पर्यटन स्थलों को बेहतर कनेक्टिविटी प्रदान करेगा. यह दिल्ली-अमृतसर-कटरा एक्सप्रेसवे से भी जुड़ जाएगा, जिससे यात्रियों के लिए जम्मू-कश्मीर और दिल्ली तक की यात्रा सुगम होगी. इस हाई-स्पीड कॉरिडोर पर वाहनों की अधिकतम गति 100 किमी प्रति घंटा होगी. इसमें 26 इंटरचेंज, 5 रेलवे ओवरब्रिज, 20 नदी पुल, 55 वाहन अंडरपास और 311 छोटे अंडरपास बनाए जा रहे हैं. साथ ही, हर 20-30 किलोमीटर पर इलेक्ट्रिक वाहन चार्जिंग स्टेशन होंगे, और प्रत्येक किलोमीटर पर सीसीटीवी और आपातकालीन कॉलिंग बूथ की सुविधा होगी​.

इस एक्सप्रेसवे की लंबाई 1200 किलोमीटर से अधिक है.

​कुल लागत और प्रभाव
इस परियोजना पर लगभग ₹26,000 करोड़ की लागत आने की संभावना है. एक्सप्रेसवे के माध्यम से न केवल राज्यों की कनेक्टिविटी सुधरेगी, बल्कि माल ढुलाई का समय भी कम होगा, जिससे देश की आर्थिक गति को बल मिलेगा. इसके साथ ही यह सड़क परिवहन को नई ऊंचाइयों पर ले जाने वाला प्रोजेक्ट साबित होगा. अमृतसर-जामनगर एक्सप्रेसवे न केवल चार राज्यों के बीच दूरी कम करेगा बल्कि पूरे पश्चिमी भारत को नई आर्थिक संभावनाओं से भी जोड़ देगा. यह परियोजना, जिसे राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण (NHAI) द्वारा ग्रीनफील्ड कॉरिडोर के तहत विकसित किया जा रहा है, भारत के विकासशील बुनियादी ढांचे की दिशा में एक बड़ा कदम है. इसकी खासियतें, लागत और पर्यावरण पर पड़ने वाले प्रभाव को ध्यान में रखते हुए इसे एक आदर्श प्रोजेक्ट माना जा रहा है.

परियोजना की प्रगति और खंड
इस 1,316 किलोमीटर लंबे एक्सप्रेसवे के कई खंड चालू हो चुके हैं. इनमें हरियाणा और राजस्थान के कुछ हिस्सों का निर्माण 2022 में ही पूरा कर लिया गया था. यह 6-लेन एक्सप्रेसवे 8-लेन तक विस्तारित किया जा सकता है, जिससे यह भविष्य के यातायात को भी संभालने के लिए सक्षम होगा. दिसंबर 2025 तक पूरी परियोजना को चालू करने का लक्ष्य है, जिसमें 85% से अधिक कार्य पहले ही पूरा हो चुका है.

Tags: Business news, Expressway New Proposal

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