विदेशी निवेशकों ने ढूंढ लिया भारत में पैसा बनाने का एक और तरीका!

नई दिल्ली. विदेशी निवेशकों ने भारतीय सरकारी बांड्स में पिछले चार दिनों में 90 अरब रुपये (1.06 अरब डॉलर) का निवेश किया है. कमजोर जीडीपी आंकड़ों के कारण आरबीआई की मौद्रिक नीति में राहत की उम्मीदें इस निवेश को बढ़ावा दे रही हैं. इन निवेशों में अधिकांश बांड Fully Accessible Route (FAR) के तहत आते हैं, जो जेपी मॉर्गन के डेट इंडेक्स में शामिल हैं.

रिपोर्ट्स के अनुसार, 10-वर्षीय बॉन्ड यील्ड तीन साल के निचले स्तर पर है, जिससे निवेशकों को हाई यील्ड्स पर निवेश का मौका मिल रहा है. इसके साथ ही भारतीय रुपया उभरते बाजारों की मुद्राओं में सबसे स्थिर रहा है, जो आकर्षण का एक और कारण है.

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आरबीआई का रुख महत्वपूर्ण
शुक्रवार को आरबीआई की नीति बैठक में नकद आरक्षित अनुपात (सीआरआर) में कटौती या ब्याज दरों में कमी की उम्मीद है. विशेषज्ञ मानते हैं कि यदि सीआरआर में 50 बेसिस पॉइंट की कटौती होती है, तो बैंकिंग प्रणाली में 1.1 लाख करोड़ रुपये तक की तरलता आ सकती है, जिससे बांड्स की मांग और बढ़ेगी.

निवेशकों का दृष्टिकोण
एएनजेड के अर्थशास्त्री धीरज निम का मानना है कि कमजोर आर्थिक वृद्धि के आंकड़े निवेशकों को आरबीआई से राहत की उम्मीद करने पर मजबूर कर रहे हैं. इस बीच, कुछ विश्लेषक बांड्स की ऊंची कीमत और जोखिमों के प्रति सतर्कता बरतने की सलाह दे रहे हैं.

लाभ और जोखिम
भारतीय सरकारी बांड्स के ऊंचे यील्ड्स कैरी ट्रेड के लिए आकर्षक बने हुए हैं, लेकिन बाजार में मौजूदा मूल्यांकन जोखिमपूर्ण है. अगर मौद्रिक राहत की उम्मीदें पूरी नहीं होतीं, तो निवेशकों को संभावित नुकसान झेलना पड़ सकता है. यह निवेश गतिविधि भारतीय बांड बाजार के प्रति बढ़ते वैश्विक विश्वास को दर्शाती है, लेकिन आरबीआई का फैसला निवेशकों की भविष्य की रणनीतियों को तय करेगा.

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