आलू को लेकर क्‍यों भिड़े हैं प. बंगाल और ओडिशा! आम आदमी पर राज्यों की लड़ाई

नई दिल्ली. पश्चिम बंगाल और ओडिशा के बीच एक बार फिर आलू को लेकर टकराव शुरू हो गया है. प. बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने राज्य में बढ़ती आलू की कीमतों को नियंत्रित करने के लिए आलू से भरे ट्रकों के अन्य राज्यों में जाने पर रोक लगा दी. इससे ओडिशा में आलू की कीमतें बढ़कर 45-50 रुपये प्रति किलो हो गईं हैं, जिससे वहां की माझी सरकार पर दबाव बढ़ा है.

बंगाल सरकार ने शुक्रवार को राज्य से बाहर आलू की आपूर्ति पर रोक लगाने के आदेश दिए. आमतौर पर बंगाल का आलू ओडिशा, झारखंड, और पूर्वोत्तर राज्यों में जाता है. प्रतिबंध के कारण, आलू से लदे ट्रकों को सीमा पर ही रोक दिया गया और उन्हें वापस भेज दिया गया.

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ओडिशा का रुख
ओडिशा सरकार ने इस फैसले को अनुचित ठहराते हुए इसे राजनीति से प्रेरित बताया. खाद्य आपूर्ति मंत्री कृष्ण चंद्र पात्रा ने कहा कि बंगाल की इस नीति से राज्य को आर्थिक नुकसान हो रहा है, लेकिन वे बंगाल से कोई गुहार नहीं करेंगे. ओडिशा ने अब उत्तर प्रदेश से आलू मंगाना शुरू कर दिया है, जिससे उपभोक्ताओं को प्रति किलो 2 रुपये अधिक चुकाने पड़ेंगे.

महंगाई और संकट
तीन दिन पहले तक जो आलू 33-35 रुपये प्रति किलो था, वह अब 50 रुपये तक पहुंच गया है. पश्चिम बंगाल देश का दूसरा सबसे बड़ा आलू उत्पादक राज्य है और इसका बड़ा हिस्सा अन्य राज्यों को सप्लाई होता है. दूसरी ओर, ओडिशा अपनी जरूरत का केवल 20% आलू ही खुद उत्पादित कर पाता है.

आत्मनिर्भरता की दिशा में कदम
ओडिशा सरकार ने अगले दो वर्षों में आलू उत्पादन को बढ़ाकर आत्मनिर्भर बनने की योजना बनाई है. यह विवाद आलू की आपूर्ति के क्षेत्रीय निर्भरता को दर्शाता है, जिसे हल करने के लिए दीर्घकालिक रणनीतियों की जरूरत है.

यूपी से हो सकता है आयात
उत्तर प्रदेश आलू के उत्पादन के मामले में देश में पहला स्थान रखता है. हालांकि, प्रति हेक्टेयर उत्पादन बंगाल का आगे है लेकिन अधिक जमीन होने के कारण उपज यूपी में ज्यादा होती है. अगर आलू आयातक राज्य चाहें तो वह उत्तर प्रदेश से आलू का पर्याप्त आयात कर सकता है. ओडिशा सरकार ने इस दिशा में कदम उठा भी दिया है.

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