नई दिल्ली. ट्रेन से सफर करने जा रहे हैं तो यह खबर आपके लिए जरूरी है. अगले दो महीने तक लोकोपायलट पर पर ट्रेन चलाने में कोई नियम कानून लागू नहीं होते हैं. यानी कार-बस की तरह अपनी मर्जी से ट्रेन चला सकता है. यह छूट कोहरे की वजह से दी जाती है. जब तक कोहरा पड़ेगा. वह ट्रेनों की तय स्पीड चलाने के लिए बाध्य नहीं हो सकता है. चूंकि अब उत्तर भारत में कोहरा पड़ना शुरू होगा या हो चुका है. आइए जानें कोहरे के दौरान नियम क्या होते हैं?
लोकोपायलट को ट्रेन में चढ़ने से पूर्व उसे एक रूट प्लान दिया जाता है, जिसमें ट्रेन चलाने के नियम लिखे होते हैं, जिसे मानना अनिवार्य होता है. अगर किसी जगह तय स्पीड से कम या ज्यादा करता है या अधिक समय के लिए रोकता है तो उसे ड्यूटी ऑफ करने से पहले जवाब देना होता है.
लोकोपायलट को दिया जाता है रूट प्लान
रेल मैन्युअल में ट्रेनों के चलाने के नियम दर्ज हैं, मसलन लोकोपायलट कहां पर हार्न बजाएगा, कितनी दूरी पर पहले हार्न बजाएगा, कहां पर कितनी स्पीड में ट्रेन चलेगी और कहां पर धीमी होगी. उसे नियमों का पालन करना अनिवार्य होता है. अगर नियमों का पालन नहीं कर पाता तो उसे ड्यूटी ऑफ करने से पहले जवाब देना होता है. इसी वजह से ट्रेनों की पंक्चुअलिटी मेंटेन की जाती है. लेकिन कोहरे के दौरान उसे स्पीड को लेकर नियमों का पालन करना अनिवार्य नहीं होता है. ट्रेनों की स्पीड उसके विवेक पर छोड़ दिया जाता है. वो तय करता है कि कहां पर तेज स्पीड से और कहां पर धीमी ट्रेन चलाई जा सकती है.
इस वजह से नहीं लागू होते नियम
किसी सेक्शन में ट्रेन की स्पीड अधिकतम 60 किमी.प्रति घंटे निर्धारित है, लेकिन कोहरे की वजह से वहां पर तय स्पीड से ट्रेन चलाना खतरे से खाली नहीं है. क्योंकि किसी किसी स्थान पर अचानक घना कोहरा आ जाता है, जहां पर विजिबिलिटी बहुत कम हो जाती है. ऐसे में अगर तय स्पीड से ट्रेन चलाएगा तो हादसा होने की आशंका रहती है, इस वजह से लोकोपायलट को उसके विवेक पर स्पीड तय करने की छूट होती है. कहां पर धीमी चलानी है और कहां पर स्पीड से. क्योंकि यात्रियों की सुरक्षा रेलवे की प्राथमिकता है.
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FIRST PUBLISHED : December 11, 2024, 16:56 IST