रांची. झारखंड की राजधानी रांची के खूंटी-चाईबासा रोड पर एक ऐसा ढाबा है, जहां सिर्फ महिलाएं ही काम करती हैं. इस ढाबे को संभालने, खाना बनाने और ग्राहकों तक खाना परोसने का काम सिर्फ महिलाएं करती हैं. इस ढाबे में किसी पुरुष के लिए नौकरी नहीं है. यहां बावर्ची से लेकर बर्तन धोने के लिए स्टाफ तक सब काम महिलाएं करती हैं. यही नहीं, उनकी अच्छी-खासी कमाई भी हो रही है. वे अपने घर का खर्च भी उठा रही हैं.
ढाबा के मालिक कपिल बताते हैं, हमने इस ढाबे की पूरी जिम्मेदारी सिर्फ महिलाओं को दी है. यहां की मैनेजर शालिनी से लेकर बावर्ची मीना और एक गिलास भी उठाने के लिए यहां महिला को ही रखा गया है. इसके पीछे का कारण यह है कि महिला को सशक्त करना चाहते थे, जो सिर्फ कमाई ही नहीं करेगी बल्कि, वह आत्मनिर्भर बनेगी और अपने घर को भी चलाएगी. अब यहां काम कर रही महिलाएं आत्मनिर्भर हैं.
असली स्वाद महिलाओं के हाथ में
कपिल ने बताया, दरअसल किचन में खाने का जो स्वाद होता है, वह महिला के हाथ से ही सबसे अच्छा निकल कर आता है. क्योंकि, मां या महिला के हाथ का जो खाना होता उसकी तुलना दुनिया का किसी भी हाथ से नहीं की जा सकती. यही कारण है कि जब भी बात खाने की आती है तो महिला का होना हमारे लिए जरूरी होता है.
रोज 2000 प्लेट की बिक्री
यहां पर दोपहर में खाने के लिए तो लाइन लग जाती है. 2000 प्लेट तक की बिक्री हो जाती है. दिनभर में मटन-चावल, चिकन-चावल व पनीर-चावल छोले, धुस्का आप जो चाहेंगे वैसा नाश्ता मिलेगा. समोसा से लेकर ब्रेड चाप तक सब यहां महिलाएं मिलकर तैयार करती हैं. बदले इन्हें अच्छी खासी सैलरी मिलती है. हम उन्हें 20,000 तक की सैलरी देते हैं.
पहले से अधिक सशक्त हो हूं
मीना देवी बताती हैं, जब यह काम करने आई थी तो घर के हालात ठीक नहीं थे. आज घर की सारी जिम्मेदारी उठती हूं. बच्चे की स्कूल फीस भर्ती हूं, राशन लाती हूं, अपना खर्च उठती हूं. पहले से बहुत अच्छा लगता है. सशक्त हो गई हूं. वहीं, प्रियंका बताती हैं कि मैं यहां पर बर्तन धोने और साफ सफाई का काम करती हूं. बदले में मुझे ₹12000 तक सैलरी मिलती है. इतने में न सिर्फ मेरे घर का गुजारा चलता है, बल्कि जरूरी काम निपट जाते हैं.
यहां डर नहीं लगता, रात तक काम करती हूं…
शालिनी बताती हैं कि मैं यहां पर बावर्ची के तौर पर हूं और मैनेजर भी हूं. ऐसे में मेरा काम होता है सब चीज को देखना और व्यवस्थित करना. यहां पर आती हूं तो मन बड़ा खुश रहता है. एक तो महिलाओं के बीच में काम करना है तो एक सुरक्षा का भावना आता है. डर भी नहीं लगता. कई बार तो रात 11:00 बजे तक भी काम कर लेते हैं और जो पैसे आते हैं उससे मैं अपने बच्चों को अच्छी शिक्षा देती हूं. आज हम सारी महिलाएं अपने पैर पर खड़ी हैं.
FIRST PUBLISHED : December 15, 2024, 14:53 IST