कोई नहीं पूछ रहा सस्‍ते मकान! सबको चाहिए लग्‍जरी घर, क्‍या कहती है रिपोर्ट

हाइलाइट्स

मिडिल क्‍लास के लोग भी अब 1 करोड़ से ज्‍यादा का ही मकान खरीदना चाहते हैं. फर्म की यह रिपोर्ट देश के 8 बड़े शहरों में प्रॉपर्टी की डिमांड पर आधारित है. 1 करोड़ के जिन मकानों को कभी लग्‍जरी माना जाता था, वे तेजी से आम हो गए हैं.

नई दिल्‍ली. भारतीय रियल एस्‍टेट सेक्‍टर में लगता है कि वह दिन अब लद गए जब लोगों को सस्‍ते मकान चाहिए थे. कम से कम Housing.com और PropTiger.com की हालिया रिपोर्ट तो यही कहती है. अब लोगों को सस्‍ते नहीं लग्‍जरी मकान चाहिए. भले ही इसके लिए करोड़ों रुपये क्‍यों न चुकाने पड़े. मिडिल क्‍लास के लोग भी अब 1 करोड़ से ज्‍यादा का ही मकान खरीदना चाहते हैं. यह रिपोर्ट देश के 8 बड़े शहरों में प्रॉपर्टी की डिमांड पर आधारित है, जो बताती है कि कैसे कोरोनाकाल के बाद लोगों का मकान को लेकर नजरिया पूरी तरह बदल गया है.

Housing.com और PropTiger.com के ग्रुप सीएफओ विकास वाधवा का कहना है कि बड़े शहरों में बीते कुछ सालों में लग्‍जरी मकान की अवधारणा में महत्वपूर्ण बदलाव आए हैं. 1 करोड़ के जिन मकानों को कभी लग्‍जरी माना जाता था, वे तेजी से आम हो गए हैं. लोगों की डिमांड अब बढ़ गई है और यही कारण है कि बिल्‍डर भी अब 1 से 3 करोड़ वाली प्रॉपर्टी बनाने पर ज्‍यादा जोर दे रहे हैं.

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क्‍या कहते हैं आंकड़े
प्रॉपर्टी और रियल एस्‍टेट सेक्‍टर पर रिपोर्ट जारी करने वाली भरोसेमंद फर्म PropTiger.com के अनुसार, साल 2019 की पहली तिमाही में भारत के शीर्ष-8 मार्केट्स में हुई मकानों की कुल बिक्री में 1-3 करोड़ रुपये कीमत की प्रीमियम संपत्तियों की हिस्सेदारी केवल 16% थी. अब 2024 में मार्च की तिमाही के आंकड़े देखें तो ऐसे मकानों की हिस्सेदारी बढ़कर 37% हो गई है. दूसरी ओर, 45 लाख रुपये से कम कीमत वाली प्रॉपर्टी की मांग में गिरावट आई है. इस कीमत की हिस्सेदारी 2019 की पहली तिमाही में 25% थी, जो अब महज 5% हो गई है.

डेवलपर्स ने भी बदला पैंतरा
ग्राहकों की डिमांड के पैटर्न को देखते हुए भारत में डेवलपर्स भी अब प्रीमियम और लग्‍जरी सेगमेंट पर ज्यादा ध्यान दे रहे हैं. 2024 की पहली तिमाही में प्रमुख आठ शहरों में कुल नई आपूर्ति में देखा जाए तो 1-3 करोड़ रुपये तक की कीमत वाले घरों की हिस्सेदारी 33% रही है. इसका सीधा मतलब है कि अब लोगों को सस्‍ते मकान नहीं, बल्कि लग्‍जरी घर चाहिए.

दुबई और सिंगापुर से होगा मुकाबला
रिपोर्ट बताती है कि अगर यह ट्रेंड जारी रहा तो भारत ऐसा देश बनकर उभरेगा जहां साल 2034 तक निवेश योग्य संपत्ति में 22.5 ट्रिलियन डॉलर की वृद्धि हो सकती है. भारतीय रियल एस्‍टेट बाजार दुबई और सिंगापुर जैसे विकसित हाउसिंग मार्केट के साथ प्रतिस्पर्धा करना शुरू कर सकता है. इसका प्रमुख कारण लग्‍जरी हाउसिंग का डेवलप होना है.

किफायती मकानों के दिन अभी गए नहीं
ऊपर की बात तो ज्‍यादा कमाई वालों की थी, अब बात करते हैं देश की बड़ी जनसंख्‍या की जो आज भी निम्‍न मध्‍य वर्ग में जीवन यापन करती है. भारत में आर्थिक विसंगति काफी ज्‍यादा है. लिहाजा आज भी किफायती और सस्‍ते मकानों की मांग है. हालांकि, अब यह बड़े शहरों से शिफ्ट होकर छोटे और टीयर 2 व टीयर 3 शहरों की तरफ जा रहा है.

इस साल 7 फीसदी बढ़ेगी घरों की महंगाई
हाल में कराए रॉयटर्स के पोल के अनुसार, भारत में घरों की औसत कीमतों में इस साल और अगले साल 7% की वृद्धि हो सकती है. दुनिया के सबसे अधिक आबादी वाले देश में अपने गरीबों और सुविधाओं से वंचित लोगों को घर देने के लिए प्रधानमंत्री आवास योजना जैसी सामाजिक कल्याणकारी योजनाओं की आवश्यकता बनी रहेगी. इससे पूरे रियल एस्‍टेट सेक्‍टर में तेजी बनी रहने का अनुमान है.

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