भीलवाड़ा : प्रतिभा उम्र की मोहताज नहीं होती हौसला आसमान जैसा हो और इरादे फौलाद जैसे मजबूत हो तो कोई भी बड़ा लक्ष्य हासिल किया जा सकता है. इस कहावत को चरितार्थ किया है भीलवाड़ा के छोटी सी उम्र के बुलंद हौसले रखने वाले बेटे अंशित डाड ने.
भीलवाड़ा शहर के एक निजी छात्रावास में आयोजित हुई राज्य स्तरीय राजस्थान अंडर 9 बालक बालिका चेस प्रतियोगिता में भीलवाड़ा के रहने वाले अंशित डाड ने अपना परचम लहराया है. राज्य स्तरीय प्रतियोगिता में भीलवाड़ा के अंशित ने 6 राउंड में से 6 पॉइंट बनाते हुए अंडर-9 चैंपियनशिप में राजस्थान स्टेट के चैंपियन बने हैं. अंशित अब आने वाले दिनों में महाराष्ट्र में आयोजित होने वाली नेशनल चेस प्रतियोगिता में भाग लेकर राजस्थान का प्रतिनिधित्व करेंगे. राजस्थान स्टेट चैंपियन अंशित ने अपनी इस सफलता का श्रेय अपने कोच और माता-पिता को दिया है. अंशित अपने आने वाले भविष्य में इसी खेल में आगे बढ़ते हुए ग्रैंड मास्टर बनने का सपना देखते हैं.
चैंपियन अंशित ने कहा कि राजस्थान राज्य स्तरीय चैट्स चैंपियनशिप प्रतियोगिता का आयोजन किया गया, जिसमें 6 में से 6 राउंड में पॉइंट बना कर जीत हासिल की है. मैं अपनी जीत का क्रेडिट अपने माता-पिता और कोच को देना चाहता हूं और मैं आने वाले समय में इस गेम में ग्रैंड मास्टर बनना चाहता हूं. अंशित के पिता ने कहा कि मेरे बेटे को आज जो यह कामयाबी हासिल हुई है मुझे इस बात की काफी खुशी है और मैं गर्व महसूस कर रहा हूं. अंशित रोजाना 6 से 7 घंटे चेस खेल कर प्रैक्टिस करता है और अब अगला टारगेट नेशनल का खिताब हासिल करना है. अंशित अब महाराष्ट्र में आयोजित होने वाली नेशनल प्रतियोगिता में भाग लेगा.
दादा भी हैं शतरंज के मास्टर
अंशित के दादा और कोच कैलाश चंद्र का कहना हैं कि मैं खुद भी शतरंज का खिलाड़ी रहा हूं और मैं अब अन्य लोगों और बच्चों को शतरंज सीखा रहा हूं. मेरे से सीखे हुए आज कई खिलाड़ी शतरंज में महारथ हासिल कर चुके हैं तो कई खिलाड़ी ग्रांड मास्टर हैं.वहीं कोच कैलाश चंद्र ने यह भी कहा कि 5 साल की उम्र से ही अगर चेस खेलना शुरू करें तो यह एकदम सही उम्र है. इस खेल के माध्यम से बच्चों का मस्तिष्क का विकास भी होता है. जो पढ़ाई में भी बहुत काम आता हैं.
FIRST PUBLISHED : July 7, 2024, 18:38 IST