वित्त वर्ष 2024 में कृषि ऋण लक्ष्य था 20 लाख करोड़. किसानों को ज्यादा ऋण देने को लोन टार्गेट में हो सकती है वृद्धि. टार्गेट में इजाफा होता है तो इससे किसानों को होगा फायदा.
नई दिल्ली. इसी महीने पेश होने वाले केंद्रीय बजट में वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण किसानों का ‘खास ख्याल’ रख सकती हैं. केंद्रीय बजट में 2024-25 के लिए कृषि ऋण के लक्ष्य में 25 फीसदी की वृद्धि की घोषणा की जा सकती है. अगर ऐसा होता है तो कृषि ऋण लक्ष्य 25 लाख करोड़ रुपये हो जाएगा. इस वृद्धि से किसानों को आसानी से ऋण मिल सकेगा और किसान क्रेडिट कार्ड के दायरे में ज्यादा किसानों को लाया जा सकेगा. यह संभावित वृद्धि राष्ट्रीय कृषि और ग्रामीण विकास बैंक (NABARD) द्वारा ब्लॉक स्तर पर किए गए आकलन पर आधारित है.
मनीकंट्रोल की एक रिपोर्ट के अनुसार, वित्त वर्ष 24 में सरकार ने कृषि ऋण टार्गेट 20 लाख करोड़ रुपये रखा था. लेकिन, इस लक्ष्य से ज्यादा ऋण बांटा गया और पिछले वित्त वर्ष में कृषि लोन राशि 24.84 लाख करोड़ रुपये रही. एक अधिकारी ने नाम न छापने की शर्त पर बताया कि किसी भी ब्लॉक में एक जिला-एक फसल पहल सहित क्षेत्र की कृषि गतिविधियों की पहचान करने के बाद, ऋण क्षमता का लक्ष्य तय किया जाता है. नाबार्ड पोटेंशियल लिंक्ड क्रेडिट प्लान (PLCP) के माध्म से ऋण क्षमता का पता लगाता है और फिर इसे वित्त मंत्रालय के साथ साझा किया जाता है.
वित्त मंत्रालय को भेजा पीएलसीपी आंकलन
नाबार्ड के पीएलसीपी आंकलन में इस बार 25 लाख करोड़ रुपये के संभावित ऋण जरूरत का पता चला है. नाबार्ड ने इस आंकलन को वित्त मंत्रालय के साथ सांझा किया है. अब कृषि ऋण लक्ष्य में परिवर्तन करने का निर्णय वित्त मंत्रालय द्वारा लिया जाएगा. एक जिला, एक फसल पहल, एक जिला एक उत्पाद (ओडीओपी) योजना को बढ़ावा देने की व्यापक रणनीति का हिस्सा है. इसका उद्देश्य अद्वितीय उत्पादों की पहचान और उन्हें बढ़ावा देकर क्षेत्रीय विकास को संतुलित करना है.
कृषि ऋण प्रवाह में है असमानता
कृषि ऋण प्रवाह में क्षेत्रीय असमानता है. किसी क्षेत्र में ज्यादा ऋण लिया जा रहा है तो किसी में कम. इस क्षेत्रीय असमानता को दूर करने के लिए नाबार्ड और बैंक काम कर रहे हैं. वित्तीय वर्ष 2023-24 में, 50.5 फीसदी से अधिक कृषि ऋण पाँच दक्षिणी राज्यों- आंध्र प्रदेश, तेलंगाना, कर्नाटक, तमिलनाडु और केरल को वितरित किया गया. पाँच उत्तरी राज्यों- राजस्थान, पंजाब, हरियाणा, जम्मू और कश्मीर और हिमाचल प्रदेश को कुल कृषि ऋण का लगभग 15 फीसदी ही प्राप्त हुआ. बिहार, झारखंड, ओडिशा और पश्चिम बंगाल वाले पूर्वी क्षेत्र को कुल कृषि ऋण प्रवाह का केवल 8.5 फीसदी प्राप्त हुआ, जबकि आठ पूर्वोत्तर राज्यों को देश के कुल वितरण का केवल 0.66 फीसदी ही मिला.
Tags: Agriculture, Bank Loan, Budget session
FIRST PUBLISHED : July 8, 2024, 15:01 IST