क्या है लाल डोरा वाली प्रॉपर्टी, सस्ती बहुत पर जोखिम ज्यादा, समझें पूरी ABCD

हाइलाइट्स

लाल डोरा सिस्टम अंग्रेजों ने सन 1908 में शुरू किया था. लाल डोरा, शहर में ऐसी भूमि है, जिसका कोई राजस्व रिकॉर्ड तो नहीं होता. यह व्‍यवस्‍था दिल्‍ली, पंजाब और हरियाणा में लागू की गई थी.

Property Knowledge: प्रॉपर्टी खरीदने से पहले हर आदमी बड़ी छानबीन करता है. घर या फ्लैट लेने से पूरी तसल्ली करना चाहता है कि कहीं प्रॉपर्टी विवादित तो नहीं है. ऐसे में जब भी लाल डोरा प्रॉपर्टी खरीदने की बात आती है तो लोगों के कान खड़े हो जाते हैं. क्योंकि इस तरह की प्रॉपर्टी में कई पेंच फंसे होते हैं. हालांकि, लाल डोरा प्रॉपर्टी बहुत सस्ती होती है फिर भी ग्राहक इसे खरीदने से डरते हैं. लाल डोरा प्रॉपर्टी के बारे में अक्सर सुना होगा. लेकिन, क्या आप जानते हैं कि आखिर ये किस तरह की प्रॉपर्टी होती है. लाल डोरा प्रॉपर्टी का इतिहास सवा 100 साल पुराना है. लाल डोरा सिस्टम अंग्रेजों ने सन 1908 में शुरू किया था. आइये आपको बताते हैं आखिर क्या होती है लाल डोरा प्रॉपर्टी और इसके क्या फायदे व नुकसान हैं.

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क्या होती है लाल डोरा प्रॉपर्टी

दरअसल, लाल डोरा हर गांव में ऐसी भूमि है, जिसका कोई राजस्व रिकॉर्ड तो नहीं होता. आमतौर पर यहां लोग रहने और गैर कृषि उद्देश्यों के लिए उसका इस्तेमाल करते हैं. साल 1908 में अंग्रेजो नें लाल डोरा व्यवस्था को लागू किया था. उस समय गांवों में आवासीय तथा खेती की जमीन के अलावा जो भूमि होती थी, नक्शे पर उस भूमि को लाल लकीर खींचकर अलग दिखाया जाता था, जो जमीन इस लाल लकीर के दायरे में होती उसे लाल डोरा कहा जाने लगा. प्रॉपर्टी से जुड़ी यह व्‍यवस्‍था खास तौर पर दिल्‍ली, पंजाब और हरियाणा के आसपास के इलाकों में लागू की गई थी.

हालांकि, इस सिस्टम को बंद कर दिया गया लेकिन अब भी दिल्ली और उसके आसपास के इलाकों में बहुत जगह ऐसी प्रॉपर्टीज हैं जो लाल डोरा के तहत आती हैं. अब इन प्रॉपर्टी को सरकार मान्यता दे रही है. हाल ही में हरियाणा के शहरों को लाल डोरा से मुक्‍त करने के लिए राज्य सरकार सर्वे कराकर सपंत्ति मालिकों के नाम रजिस्‍ट्री करा रही है.

लाल डोरा प्रॉपर्टी के फायदे और नुकसान

-लाल डोरा के तहत आने वाली जमीनों को निर्माण कार्य के लिए नगरपालिका वन संबंधित प्राधिकरण से जुड़े नियमों में छूट रहती है. ऐसे में आप बिना नक्शा पास कराए भवन निर्माण कर सकते हैं.

-लाल डोरा के तहत आने वाली जमीन या मकान, रजिस्टर्ड प्रॉपर्टी की तुलना में काफी सस्ती होती हैं. यही वजह है कि यहां लोग मकान, फ्लैट खरीदने की सोचते है. हालांकि, यहां के रहवासियों को रजिस्टर्ड प्रॉपर्टी की तरह चौड़ी सड़कें और बड़े-बड़े पार्क नहीं मिलते हैं.

-लाल डोरा इलाके में स्थित प्रॉपर्टी पर हाउस टैक्स देने की जरूरत नहीं होती है.

-रजिस्ट्री नहीं होने के कारण लोग लाल डोरा की जमीन खरीदने से घबराते हैं. लाल डोरा प्रॉपर्टी पर बैंक लोन नहीं देते हैं.

-अक्सर लाल डोरा के तहत आने वाली प्रॉपर्टी पर किसी भी तरह का मालिकाना नहीं होता. इन प्रॉपर्टीज के सामूहिक हकदार होते हैं.

-लाला डोरा संपत्ति सालों पुरानी होती है. इन से जुड़े कागजात का ब्यौरा सरकारी ऑफिसेज में भी नहीं मिलता है इसलिए एक बार यहां प्रॉपर्टी खरीदना थोड़ा जोखिम भरा होता है, क्योंकि आप धोखाधड़ी के शिकार भी हो सकते हैं, साथ ही इस संपत्ति को दोबारा बेचने में मुश्किल भी आ सकती है.

निवेश से पहले क्या करें

लाल डोरा की जमीन या किसी हाउसिंग प्रोजेक्ट में पैसा लगाने से पहले प्रॉपर्टी के दस्तावेजों की प्रामाणिकता और स्वामित्व की अच्छे से जांच कर लें. इसके बाद ही निवेश के बारे में सोचें. दिल्ली और आसपास के राज्यों में आज भी लाल डोरा प्रॉपर्टीज हैं जिन्हें रजिस्टर्ड किए जाने की मांग की जा रही है.

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