15 दिन की ट्रेनिंग और इनकम अपार…आदिवासी महिला का धांसू बिजनेस आइडिया

गुमला: कहते हैं ना अगर दिल में कुछ करने की जिद हो तो मंजिल मिल ही जाती है. गुमला के बिशुनपुर प्रखंड के छोटे से गांव कोको टोली में रहने वाली आदिवासी महिला शीला उरांव ने यह कथन को सच करके दिखाया है. शीला के पति की 1996 ई में आकस्मिक मृत्यु हो गई .इसके बाद मानो शीला के ऊपर मुसीबत का पहाड़ टूट गया हो. वह बिल्कुल अकेले पड़ गई. लेकिन उसने हिम्मत नहीं हारी थी.

जीवन के मुश्किल परिस्थितियों का डट कर सामना की है. कुछ साल बाद कोको टोली गांव में खादी ग्राम उद्योग विभाग द्वारा लोगों को लघु उद्योग का प्रशिक्षण दिया जा रहा था. जिसमें शीला ने शामिल होकर लगभग 15 दिनों का प्रशिक्षण प्राप्त की है. यहां से उसके जीवन में एक नया मोड़ आया. इसके बाद उसने खुद से पहले घर में केंचुआ खाद बनाना शुरू किया. फिर वर्ष 2004 संजुक्ता महिला मंडल ग्रुप का निर्माण कर 10 महिलाओं के साथ केंचुआ खाद बनाना शुरू की. उस समय मात्र 40 से 50 किलो ही खाद की बिक्री हो पाती थी .अब सालाना लाखों रुपए कमा रही है.

क्या होता है केंचुआ खाद
गोबर खाद में पोषक तत्व की मात्रा कम होती है. जबकि,केंचुआ खाद में पोषक तत्व की मात्रा अधिक होती है. केंचुआ जब साधारण गोबर खाता है. जो मल का त्याग करता है .उसी से केंचुआ खाद का निर्माण किया जाता है. पौधों को जिस पोषक तत्व की आवश्यकता होती है. केंचुआ खाद में वह पर्याप्त मात्रा में पाई जाती है. इसलिए इसकी डिमांड और बिक्री अच्छी होती है.

2005 से बना रही है केंचुआ खाद
आदिवासी महिला शीला उरांव ने बताई कि साल 2000 में ट्रेनिंग ली. साल2004 में 10 महिलाओं का ग्रुप बना. वहीं साल 2005 से हमलोग केंचुआ खाद बनाने का काम शुरू किए.इस काम के शुरुआत करने की प्रेरणा मुझे खुद से मिली.वह प्रेरणा मेरे खुद के अंदर था. मैं सोचते रहती थी कि मुझे कुछ करना है. मुझे अपने आप में लग रहा था कि कैसे पैसा कमाना होगा. केंचुआ खाद निर्माण का कार्य मेरे दिमाग में आया. मुझे उम्मीद था कि एक न एक दिन यह कम जरूर बढेगा ऐसा मुझे अंदर से फीलिंग आ रही थी. हमारे साथ एक सहयोगी थी अनीता दीदी वह पढ़ी-लिखी समझदार थी. उसने ग्रुप बनाने के काफी सहयोग किया.

सालाना कमा रही है लाखों रुपये
हम लोग खाद की बिक्री 2 रुपये से होलसेल रेट से शुरू की थी अभी वर्तमान में 10 रुपये होलसेल रेट बिक्री करती हूं.ज्यादातर लोग होलसेल ही ले जाते हैं. शुरुआत में बहुत कम खाद की बिक्री होती थी. 2009 तक मात्र 50 Kg से 100 Kg खाद की ही बिक्री हो पाती थी. मैं केंचुआ जीवाणु का भी निर्माण करती थी. जिस कारण मेरे पास पूंजी की कमी थी. 2009 के बाद खाद की बिक्री में इजाफा होना शुरू हुआ. शुरुआत में खाद का निर्माण प्लास्टिक बांध कर करती थी. आसपास के बहुत ही कम लोग लेते थे. ज्यादातर हमारा खाद बाहर जाता था. विशेष रूप से रांची जाता था.इसके साथ ही 2009 से विकाश भारती विशुनपुर में भी हमारे यहां खाद जाने लगा. पहले सालाना 30 से 40 हजार कमाती थी. फिर एक वर्ष 84 हजार रुपए हुए. इस तरह से पूजी के साथ साथ उत्पादन भी बढ़ता गया. अभी मैं सालाना मेरे लिए अच्छा पूंजी हो गया. अभी तो लाखों रुपए कमा लेती हूं. कुटीर उद्योग के नाम से मेरा स्टोर चल रहा है.

1500 रुपये प्रति किलो के दर से बिक्री
मेरे यहां केंचुआ खाद के अलावा केंचुआ जीवाणु की भी बिक्री करती हूं जो 1500 रुपये प्रति किलो के दर से उपलब्ध है. इसके अलावा जामुन सिरका की भी बिक्री करती है.जो 200 प्रति लीटर के दर से उपलब्ध है. शीला 1 साल में लगभग 100 किलो जामुन सिरका की भी बिक्री कर लेती है. अधिक जानकारी के लिए हमारे यहां उपलब्ध चीजों की खरीदारी के लिए 9006804946 पर संपर्क कर सकते हैं.

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