इंट्रा-डे ट्रेडिंग में मुनाफा क्वीन बनीं महिलाएं, 75 फीसदी अविवाहित ट्रेडर घाटे में

नई दिल्ली. शेयर बाजार में दैनिक आधार पर शेयर की खरीद-बिक्री (इंट्रा-डे) करने वाले शादी-शुदा कारोबारी अविवाहित कारोबारियों की तुलना में कहीं बेहतर नतीजे हासिल करने में सफल रहे हैं. बाजार नियामक सेबी ने ‘इंट्रा-डे’ कारोबारियों के बीच कराए गए एक अध्ययन में यह पाया है. इसके अलावा ‘इंट्रा-डे’ कारोबार के मामले में महिलाएं, पुरुष कारोबारियों के मुकाबले अधिक मुनाफा कमाने में सफल रहती हैं. यह दिलचस्प विश्लेषण ‘इंट्रा-डे’ कारोबार को लेकर भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड (सेबी) के एक अध्ययन में सामने आया है. एक कारोबारी सत्र में ही किसी शेयर की खरीद और बिक्री दोनों गतिविधियों का संचालन ‘इंट्रा-डे’ कारोबार कहा जाता है.

इस अध्ययन के मुताबिक, विवाहित और एकल कारोबारियों के अलावा पुरुष और महिला कारोबारियों के बीच सौदा संबंधी व्यवहार और परिणामों के बीच बहुत अंतर है. सेबी ने पाया है कि इक्विटी नकदी खंड में ‘इंट्रा-डे’ कारोबार करने वाले विवाहित लोग कई प्रमुख क्षेत्रों में अविवाहितों से बेहतर प्रदर्शन करते हैं. वित्त वर्ष 2018-19, 2021-22 और 2022-23 के दौरान अविवाहित कारोबारियों के मुकाबले विवाहित कारोबारियों ने ‘इंट्रा-डे’ सौदों में कम नुकसान उठाया.

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वित्त वर्ष 2022-23 के दौरान 75 प्रतिशत अविवाहित कारोबारी घाटे में रहे जबकि घाटे में रहने वाले विवाहित कारोबारियों की संख्या 67 प्रतिशत थी. इसके अतिरिक्त, विवाहित कारोबारियों ने कहीं अधिक संख्या में सौदे भी किए. सेबी के अध्ययन का एक महत्वपूर्ण पहलू पुरुष और महिला कारोबारियों का तुलनात्मक विश्लेषण है. इन सभी वर्षों में लगातार लाभ कमाने वालों के बीच महिला कारोबारियों का पुरुष कारोबारियों की तुलना में अधिक अनुपात था.

अध्ययन रिपोर्ट के मुताबिक, ‘तीनों वर्षों में महिला कारोबारियों के समूह में लाभ कमाने वालों का अनुपात पुरुष कारोबारियों के समूह की तुलना में अधिक था.’ वित्त वर्ष 2022-23 के दौरान एक करोड़ रुपये से अधिक वार्षिक ‘इंट्रा-डे’ कारोबार वाले पुरुष कारोबारियों को औसतन 38,570 रुपये का घाटा हुआ जबकि इस दौरान महिला कारोबारियों को औसतन 22,153 रुपये का घाटा हुआ.

हालांकि ‘इंट्रा-डे’ सौदे करने वाले कारोबारियों के बीच महिलाओं का अनुपात वित्त वर्ष 2018-19 के 20 प्रतिशत से घटकर वित्त वर्ष 2022-23 में 16 प्रतिशत रह गया. सेबी ने अपने अध्ययन में यह पाया है कि कारोबारियों का आयु समूह जितना कम होगा, उनमें नुकसान उठाने वालों का अनुपात उतना ही अधिक होगा. वहीं अधिक आयु समूह वाले कारोबारियों में नुकसान उठाने वालों का अनुपात कम था. इस अध्ययन ने यह भी पता चला है कि वित्त वर्ष 2022-23 में इक्विटी नकदी खंड में 10 में से सात ‘इंट्रा-डे’ कारोबारियों को घाटा हुआ था.

Tags: Business news, Stock market

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