लगातार बेकाबू हुए हालात, अंदर-बाहर जारी थी जद्दोजहद, अचानक जगी उम्‍मीद की किरण

Airport Diary: दोपहर करीब पौने एक बजे मैं बेंगलुरु एयरपोर्ट से जुड़ी एक खबर में उलझा हुआ था. तभी फोन पर एक मैसेज फ्लैश हुआ. यह मैसेज इंडिगो की तरफ से भेजा गया एक X मैसेज था, जिसमें माइक्रोसॉफ्ट के सर्वर में आए एक आउटरेज के बारे में बताया गया था. साथ में, यह जानकारी दी गई थी कि इस आउटरेज की वजह से देश-दुनिया की तमाम फ्लाइट्स प्रभावित हुई है. मैसेज देखते ही मैंने दिल्‍ली एयरपोर्ट के कुछ अधिकारियों से बात की और वहां के हालात जानना चाहा. बातचीत के तरीके से यह बात साफ हो गई थी कि एयरपोर्ट पर सबकुछ ठीक नहीं है.

एयरपोर्ट के हालात पता करने के बाद मैं इस संबंध में खबर फाइल करने में लग गया. इसी बीच, ऑफिस से कॉल आया है और मुझे एयरपोर्ट जाकर आंखों देखी हाल जानने के लिए कहा गया. दोपहर करीब दो बजे मैं आईजीआई एयरपोर्ट के टर्मिनल थ्री के गेट नंबर 1 के सामने था. एयरपोर्ट पहुंचते ही मेरी पहली नजर टर्मिनल गेट पर लगी लंबी कतारों पर गई. इसके बाद, देखा कि कल तक टर्मिनल के बाहर लगे जिन चेकइन कियोस्‍क में लगी भीड़ लगी रहती थी, वे कियोस्‍क आज ऐसे वीरान पड़े थे, मानों उनके वहां होने का कोई मतलब ही नहीं था. अब तक मैं आगे बढ़ते हुए गेट नंबर चार तक पहुंच गया था.

तभी मेरी नजर गेट नंबर चार के सामने लगे लाइव चेकइन इंफार्मेशन डिस्‍प्‍ले बोर्ड पर पड़ी. डिस्‍प्‍ले बोर्ड की एक दो स्‍क्रीन पर भले ही विदेश की कुछ फ्लाइट्स की इंफार्मेशन थी, लेकिन बाकी सभी स्‍क्रीन ब्‍लू कलर के साथ टेक्निकल एरर दर्शा रही थीं. इन्‍हीं स्‍क्रीन के पास अपनी मां के साथ खड़ी नीतू नाम की युवती कभी डिस्‍प्‍ले स्‍क्रीन तो कभी अपने फोन पर कुछ खोजने की कोशिश कर रही थीं. इसी बीच, मैंने अपना परिचय देने के बाद उनसे पूछता कि आपकी फ्लाइट है. जवाब आया- हां. उन्‍हें इंडिगो की फ्लाइट से मुंबई के लिए रवाना होना था. मैंने सवाल किया आप अभी तक टर्मिनल के अंदर नहीं गईं.

आईजीआई एयरपोर्ट के टर्मिनल थ्री के बाहर बंद पड़े चेकइन कियोस्‍क.

जवाब आया- फ्लाइट का स्‍टेटस पता नहीं चल रहा है, वहीं पता करने की कोशिश कर रही हूं. मैंने उनसे कहा कि यह तो अब अंदर जाने के बाद ही पता चलेगा. इस पर उनका जवाब था कि पता नहीं फ्लाइट कितनी डिले है. कहीं अंदर जाकर फंस न जाऊं. इसीलिए फ्लाइट का स्‍टेटस पता करने की कोशिश कर रही हूं. नीतू से बातचीत के बाद मैं गेट नंबर आठ तक गया और देखा कि सभी गेट्स पर लगभग एक सी स्थिति थी. हर जगह यात्री असमंसज की स्थिति में खड़े थे. सूचना के नाम पर उनके हाथ सिर्फ हताशा ही लग रही थी. इसके बाद, मैं दोपहर करीब पौने तीन बजे विजिटर इंट्री गेट से टर्मिनल के अंदर दाखिल हुआ.

वहां लगे ग्‍लास गेट से चेकइन एरिया पर नजर डाली तो पूरा चेकइन का इलाका पूरी तरह से खचाखच भरा हुआ था. इंडिगो एयरलाइंस के काउंटर पर लंबी कतारें लगी हुई थीं. कुछ स्‍टाफ यात्रियों को मैनेज करने की कोशिश कर रहा था, तो कुछ बोर्डिंग पास में फ्लाइट की डिटेल भरने में लगे हुए थे. चूंकि पूरा प्रॉसेस मैनुअल हो चुका था, लिहाजा एक पैंसेजर को क्लियर करने में अंदाजन चार से पांच मिनट का टाइम लग रहा था. अब तक शाम के चार बज चुके थे. मेरे बुलावे पर एयरपोर्ट के कुछ अधिकारी वहां आ गए. उन्‍होंने जो बताया वह सुनकर अंदाजा लग गया कि आंखो से जो स्थिति दिख रही है, हालात उससे भी ज्‍यादा खराब थे.

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डिस्‍प्‍ले बोर्ड पर इंफार्मेशन आते ही यात्रियों में जागी उम्‍मीद की किरण.

उन्‍होंने बताया कि जद्दोजहद सिर्फ टर्मिनल के अंदर जाने के बाद बोर्डिंग पास हासिल करने की ही नहीं है, एक बड़ी जद्दोजहद यह भी है कि जिन यात्रियों की फ्लाइट कैंसिल हो गई है, उनको टर्मिनल से बाहर निकलने के लिए लंबा इंतजार करना पड़ रहा है. उन्‍होंने बताया कि जिस यात्रियों की फ्लाइट कैंसिल हुई है, उनको कागजी प्रक्रिया पूरी होने के बाद ही टर्मिनल से बाहर निकाला जा सकता है. चूंकि ज्‍यादातर स्‍टाफ पैसेंजर्स को बोर्डिंग कार्ड देने और मैनेज करने में व्‍यस्‍त है, लिहाजा टर्मिनल से बाहर आने वाले यात्रियों को भी खासी जद्दोजहद करनी पड़ रही है. जैसे जैसे समय बीत रहा था, एयरपेार्ट के बाहर और अंदर भीड़ लगातार बढ़ती जा रही थी.

देखते ही देखते शाम के सात बजे गए. तभी अचानक टर्मिनल के बाहर लगे सभी लाइव चेकइन इंफार्मेशन डिस्‍प्‍ले बोर्ड चालू हो गए. उन पर फ्लाइट्स की चेकइन इंफार्मेशन डिस्‍प्‍ले होने लगी. इसी के साथ यात्रियों में उम्‍मीद जागी कि अब शायद सबकुछ ठीक हो चुका है. जल्‍द ही एयरपोर्ट पर सबकुछ नार्मल हो जाएगा. लेकिन, हकीकत आशाओं से कुछ अलग थी. एयरपोर्ट के अंदर अभी भी पहले जैसे हालात बने हुए थे. इसी बीच, खबर आई कि इंडिगो ने सुबह पांच बजे तक ऑपरेट होने वाली सभी 192 फ्लाइट्स को कैंसिल कर दिया है. इस खबर के आने के बाद एयरपोर्ट पर हलचल काफी बढ़ गई. रात्रि दस बजे तक एयरपोर्ट पर हालात सुधरने की जगह बेकाबू हो चले थे. अब सभी को जल्‍द से जल्‍द हालात सुधरने का इंतजार है.

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