Who is Aloo Mistry: रतन टाटा के निधन के बाद टाटा ट्रस्ट ने नोएल टाटा को अपना उत्तराधिकारी नियुक्त किया है. नोएल, टाटा ट्रस्ट के नए चेयरमैन बन गए हैं. जब से नोएल ने टाटा ट्रस्ट की बागडोर संभाली है, लोगों की उनके परिवार को लेकर उत्सुकता बढ़ गई है. नोएल टाटा की पत्नी का नाम अलू मिस्त्री है. अलू मिस्त्री देश के बड़े बिजनेसमैन और टाटा संस में एक प्रमुख शेयरधारक पलोनजी मिस्त्री की बेटी हैं. साइरस मिस्त्री उनके भाई थे, जिन्होंने टाटा ग्रुप के अध्यक्ष के तौर पर काम किया था. नोएल और अलू के तीन बच्चे हैं – लिआ टाटा, माया टाटा और नेविल टाटा.
टाटा ट्रस्ट का चेयरमैन बनने से पहले नोएल टाटा, टाटा इंटरनेशनल लिमिटेड के प्रेसिडेंट और नॉन-एग्जिक्यूटिव डायरेक्टर के रूप में काम कर रहे थे. नोएल पिछले चार दशकों से टाटा समूह का हिस्सा हैं. वह टाटा समूह की कई कंपनियों में बोर्ड पदों पर हैं. जिनमें ट्रेंट, वोल्टास और टाटा इन्वेस्टमेंट कॉरपोरेशन के प्रेसिडेंट और टाटा स्टील और टाइटन कंपनी लिमिटेड के वाइस-प्रेसिडेंट का पद शामिल है.
1969 में किया था MBBS
टाटा ट्रस्ट ने मुंबई में शुक्रवार यानी 11 अक्टूबर को मुंबई में हुई बैठक के बाद नए उत्तराधिकारी का चयन किया. मुंबई में हुई बैठक में सर्वसम्मति से नोएल टाटा को नया चेयरमैन चुना गया. इसके बाद लोग अलू मिस्त्री को इंटरनेट पर खोजने लगे. अलू मिस्त्री ने 1969 में ग्रांट गवर्नमेंट मेडिकल कॉलेज से अपना एमबीबीएस पूरा किया था. वह एनाटॉमिक पैथोलॉजी एंड क्लिनिकल पैथोलॉजी की स्पेशलिस्ट हैं. उन्होंने 1972 और 1977 के बीच सेंट लुइस, मिसौरी के फॉरेस्ट पार्क अस्पताल में इंटर्नशिप की और अपनी रेजीडेंसी पूरी की. अलू मिस्त्री मीडिया की लाइमलाइट से दूर रहती हैं. अपने पति नोएल की तरह उनके पास भी आयरलैंड की नागरिकता है.
अलू के भाई थे साइरस मिस्त्री
साइरस मिस्त्री, अलू के छोटे भाई थे, जो टाटा ग्रुप के चेयरमैन रहे थे. साइरस मिस्त्री की सितंबर 2022 में एक सड़क हादसे में मौत हो गई. उनके निधन के बाद अलू के एक और भाई शापूर मिस्त्री कंस्ट्रक्शन कंपनी शापूरजी पलोनजी के मुखिया हैं. अलू की एक बहन हैं, लैला मिस्त्री. वह परिवार के बिजनेस और परोपकारी गतिविधियों से जुड़ी हुई हैं. फोर्ब्स के अनुसार शापूर मिस्त्री और उनके परिवार की नेटवर्थ लगभग 17 लाख करोड़ रुपये है. शापूरजी पलोनजी ग्रुप 159 साल पुराना बिजनेस ग्रुप है. शापूरजी पलोनजी ग्रुप ने भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) और भारतीय स्टेट बैंक (एसबीआई) के हेडक्वार्वर और नरीमन पॉइंट बनाया है. हालांकि कंपनी का पहला प्रोजेक्ट गिरगांव चौपाटी पर फुटपाथ बनाने का था.
1868 में रखी गई टाटा की नींव
टाटा की नींव जमशेदजी टाटा ने 1868 में रखी थी. इसका मुख्यालय मुंबई में है. यह एक फैमिली बिजनेस था. जिसकी कंट्रोलिंग स्टेक्स आज भी टाटा संस के पास ही हैं. टाटा संस का औपचारिक गठन 1904 में हुआ जब दोराब, रतन टाटा (बेटे) और आरडी टाटा (चचेरे भाई) ने अपनी कंपनियों का विलय कर टाटा संस की स्थापना की. अब तक यह एक परिवार का ही बिजनेस था. लेकिन आगे इसमें चलकर एक और परिवार की एंट्री होने वाली थी. यह है शापूरजी पलोनजी मिस्त्री परिवार. मिस्त्री परिवार के पास टाटा ग्रुप में 18.5 फीसदी हिस्सेदारी है.
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दिनशॉ ने दिया था टाटा को उधार
लेकिन मिस्त्री परिवार टाटा परिवार के साथ किस तरह जुड़ा, इसके लिए आपको एक और शख्स फ्रामरोज एडुलजी दिनशॉ के बारे में जानना होगा. एडुलजी दिनशॉ टाटा परिवार के करीबी थे. यह एक जमींदार थे और इनके पास अच्छी-खासी संपत्ति थी. 1924-26 के बीच जब टाटा समूह पर संकट के बादल मंडरा रहे थे तब दिनशॉ ने दो करोड़ रुपये देकर कंपनी को बचाया था. इसके बदले टाटा स्टील के मुनाफे में उन्हें 25 फीसदी और टाटा हाइड्रो के मुनाफे में 12.5 फीसदी हिस्सेदारी देना तय हुआ. आगे चलकर जब टाटा स्टील और हाइड्रो एक होकर टाटा संस में बदल गई तो एडुलजी दिनशॉ का दिया गया दो करोड़ रुपया 12.5 हिस्सेदारी में तब्दील हो गया. यह साल 1930 की बात है.
शापूरजी पलोनजी ने खरीदा दिनशॉ का हिस्सा
1936 में एडुलजी दिनशॉ का देहांत हो गया. तब शापूरजी पलोनजी ने उनके परिवार से यह 12.5 फीसदी की हिस्सेदारी खरीद ली. जमशेदजी टाटा के भाई आरडी टाटा (रतनजी दादाभाई टाटा) के बेटे जेआरडी टाटा थे. जेआरडी ने अपना हिस्सा अपने बच्चों सिला, दराब, जिम्मी और रोदाबेह में बराबर बांट दिया था. इनमें से सिला और दराब ने अपनी हिस्सेदारी शापूरजी पलोनजी ग्रुप को बेचकर टाटा संस में उनकी हिस्सेदारी 17.5 फीसदी पहुंचा दी. 1975 में शापूरजी पलोनजी के बेटे पलोनजी शापूरजी के हाथ में यह हिस्सेदारी आ गई. 1995 में टाटा समूह राइट्स इश्यू लाया और इसमें मिस्त्री परिवार ने अपनी हिस्सेदारी टाटा में एक फीसदी और बढ़ाकर इसे 18.5 फीसदी कर दिया.
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साइरस को हटाने के बाद पैदा हुआ विवाद
रतन टाटा के पिता का नाम नवल टाटा था. नवल को नवाजबाई ने गोद लिया था. नवाजबाई जमशेदजी टाटा के बेटे सर रतन टाटा की पत्नी थीं. नवल टाटा के तीन बेटे हुए रतन, जिमी और नोएल टाटा. रतन टाटा ने 1991 में टाटा संस के चेयरमैन का पदभार संभाला. 2012 में उनकी जगह साइरस मिस्त्री ने ले ली. वह पलोनजी शापूरजी के बड़े बेटे थे. हालांकि, विवादों के बाद 2016 में रतन टाटा ने साइरस मिस्त्री को चेयरमैन पद से हटा दिया था. उसके बाद एक बार फिर रतन टाटा चेयरमैन बन गए थे. इस समय एन. चंद्रशेखरन टाटा संस के चेयरमैन हैं.
शादी से दो बिजनेस घराने आए करीब
नोएल और अलू की शादी ने दो महत्वपूर्ण बिजनेस घरानों को करीब लाने का काम किया है. अलू के पिता, पलोनजी मिस्त्री, टाटा संस में सबसे बड़े व्यक्तिगत शेयरधारक थे, और अब नोएल टाटा का टाटा ट्रस्ट का चेयरमैन बनना इस रिश्ते को और भी मजबूत बनाता है. नोएल का नेतृत्व टाटा ग्रुप के लिए एक नया अध्याय साबित हो सकता है, जबकि अलू मिस्त्री की पारिवारिक पृष्ठभूमि इसमें महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकती है.
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FIRST PUBLISHED : October 15, 2024, 15:47 IST