बाड़मेर का पहला स्कूल म्यूजिक बैंड, अब बड़े मंच को जीतने का है सपना, परफॉर्मेंस देखते ही हर कोई हो जाता है कायल

मनमोहन सेजू/बाड़मेर. पश्चिमी राजस्थान के बाड़मेर-जैसलमेर को सुरों की खान कहा जाता है. यहां के कई फनकारों ने अपनी सुरमई आवाज से सात समंदर पार तक अपनी पहचान बनाई है. अब इसी मरुधरा के बाड़मेर में बच्चों का एक अनूठा म्‍यूजिक बैंड इन दिनों लोगों के दिलों में राज कर रहा है. बाड़मेर के इस पहले स्कूली म्‍यूजिक बैंड में दो दर्जन के करीब द मॉर्डन स्कूल के विद्यार्थी है जिनके हाथ जब साज को छूते हैं और लब गुनगुनाने लगते है तो समां बन्ध जाता है.

द मॉर्डन स्कूल के इन बच्चों को श्याम सिंह के मार्गदर्शन में ट्रेंड किया गया है. इस म्यूजिक ग्रुप के सदस्यों में अवनी माथुर, पूर्वी, खुशी, महेंद्र, हिया, तिशा, मोहित, राहुल, रौनक, खुशी, भाव्या, दिव्यांश, विनीत, पलक, सौम्या, दिव्येश, सौम्या सिंह, दिव्यांशी, प्रांस, भावना और गुंजन का यह ग्रुप गिटार, ड्रम कीट, की बोर्ड, तबला, ढोल सहित विभिन्न वाद्य यंत्रों को ना केवल बखूबी बजाते है साथ ही पूरा ग्रुप एक साथ विभिन्न पैरोडी सॉन्ग की बहुत शानदार आवा भी देता है.

एक दिन देश में मिलेगी पहचान
बाड़मेर के इस पहले म्यूजिक बैंड की सदस्य अवनी माथुर लोकल 18 से बातचीत करते हुए बताती हैं कि वह और उसका पूरा बैंड चाहता है कि वह किसी बड़े म्यूजिक रियल्टी शो में जाकर उसे जीतकर बाड़मेर ही नहीं पूरे राजस्थान का नाम रोशन करें. वह बताती है कि शुरू शुरू में बैंड के सामने कुछ मुश्किलें आई थी लेकिन अब एक साथ सभी बहुत अच्छी तैयारी के साथ अपनी प्रस्तुति देते हैं. म्यूजिक बैंड को सिखाने वाले श्याम सिंह लोकल 18 को बताते हैं कि उन्होंने 18 महीने पहले इस बैंड के सदस्यों को म्यूजिक सीखाना और उसी के साथ विभिन्न गानों पर परफॉर्मेंस देना शुरू किया था. शुरुआती मुश्किलों के बाद अब किसी रोमांचक अनुभव से कम नहीं है. स्कूल के हर आयोजन में अब यह म्यूजिक बैंड अपने झंडे गाड़ता नजर आता है. वह बताते है कि वह दिन दूर नहीं जब इस म्यूजिक बैंड को पूरा देश पहचानेगा.

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