कभी 25 कमरों के बंगले में रहता था सुपरस्टार, राज कपूर के बराबर करता था फीस चार्ज, फिर भी चॉल में बीता अंतिम समय

नई दिल्ली. एक्टिंग की दुनिया में कब किसकी किस्मच चमक उठे और कब किसकी किस्मत का सितारा डूब जाए, कोई नहीं बता सकता. बॉलीवुड में कई ऐसे कई सितारे रहे हैं जिन्होंने अपनी जिंदगी में एक्टिंग की दुनिया पर राज किया. खूब नाम और शोहरत भी कमाई. लेकिन अंतिम समय गरीबी में गुजरा. ऐसे ही एक अभिनेता भगवान दादा भी थे.

भगवान दादा का जन्म टेक्सटाइल मिल मजदूर के घर में हुआ था. शुरुआती दिनों में उन्होंने भी मजदूरी की, लेकिन बचपन से ही उन्हें एक्टिंग में भी इंट्रेस्ट था. फिल्मी दुनिया में उन्होंने फिल्म ‘क्रिमिनल’ से बॉलीवुड में कदम रखा था. अपने सिने करियर में उन्होंने ‘बहादुर’, ‘किसान’ जैसी कई हिट फिल्मों में काम किया. उनकी फिल्म ‘अलबेला’ बॉक्स ऑफिस पर सुपरहिट साबित हुई थी. अपने करियर में भगवान दादा ने पैसे तो खूब कमाए लेकिन एक वक्त ऐसा भी आया जब वे पूरी तरह बर्बाद हो गए. 1940 और 50 के दशक में इस अभिनेता की हालत भी ऐसी हो गई थी कि अंतिम समय उन्हें मुंबई के चॉल में बिताना पड़ा था.

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सबसे अमीर हस्तियों में होती थी गिनती
भगवान दादा ने अपने जीवन में काफी पैसा कमाया था. उनकी गिनती सबसे अमीर अभिनेताओं में होती थी. समुद्र किनारे 25 कमरों का आलीशान बंगला, लग्जरी गाड़ियां, नौकर चाकर सब कुछ था उनके पास. एक्टर और डायरेक्टर के तौर पर भगवान दादा ने नाम भी खूब कमाया. दिलीप कुमार, देव आनंद और राज कपूर के बाद यही थे, जो उस वक्त सबसे ज्यादा फीस चार्ज किया करते थे. लेकिन भगवान दादा को जुए और शराब की लत थी.

देखते ही देखते हाथ से निकल गई सफलता
40 के दशक में भगवान दादा ने छोटे-छोटे रोल निभाकर पहचान बनाई. साल 1942 में उन्होंने जागृति प्रोडक्शंस बनाया और वह प्रोड्यूसर बन गए।. मेनस्ट्रीम सिनेमा से दूर फिल्में बनाना उनका पैशन था. इसके लिए उन्हें राज कपूर ने भी समझाया था. साल 1951 में उन्होंने ‘अलबेला’ बनाई जो उस दौर की बड़ी हिट साबित हुई. ‘शोला जो भड़के’ गाने के बाद वह पॉपुलर ही हो गए थे. इसके बाद उन्होंने ने ‘झमेला’ और ‘भागम भाग’ जैसी ब्लॉकबस्टर फिल्में दीं. लेकिन देखते ही देखते उनके हाथों से सफलता निकलती गई.

एक फिल्म ने किया बर्बाद
कहा जाता है कि जब उन्होंने फिल्म हंसते रहना का निर्माण किया वो उनका सबसे गलत फैसला था. भगवान ने इस फिल्म के लिए अपना सब कुछ दांव पर लगा दिया था. लेकिन उनको ये फिल्म बीच में ही बंद करनी पड़ गई थी. इसकी वजह से उन्हें अपना सब कुछ बेचना पड़ गया था. वह तकरीबन पूरी तरह बर्बाद हो गए थे.

बता दें कि 60 का दशक आते-आते भगवान दादा कैरेक्टर रोल निभाने लगे थे. अपना घर चलाने के लिए मजबरी में उन्हें सब कुछ बेचकर ये काम करना पड़ा. आखिर में उन्होंने अपना बंगला भी बेच दिया और वह दादर में एक चॉल में रहने लगे. फिर एक वक्त ऐसा आया जब इंडस्ट्री ने उन्हें पूरी तरह भुला दिया और वह गुमनामी के अंधेरे में खो गए. साल 2002 में हार्ट अटैक के चलते उनका निधन हो गया.

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