नायाब फिल्मकार, वहीदा रहमान के प्यार में हुए थे गिरफ्तार जिनकी फ्लॉप फिल्में भी बन जाती थीं कल्ट क्लासिक

नई दिल्ली. (वैशाली पांडे) हिंदी सिनेमा में गुरुदत्त का अहम योगदान रहा है. उन्होंने अपने करियर में कई ऐसी फिल्में की जिन्हें लोग आज सालों बाद भी नहीं भूल पाए हैं. उनकी कई फिल्में तो बॉक्सऑफिस पर फ्लॉप होने के बाद भी इंडस्ट्री में कल्ट क्लासिक साबित हुई. गुरुदत्त की फिल्म ‘कागज़ के फूल’ को तो आज भी मिसाल दी जाती है. यह मूवी गुरुदत्त की सबसे बेहतरीन फिल्मों में से एक मानी जाती है. इस फिल्म के जरिए गुरुदत्त ने अपनी जिंदगी के कुछ गहरे घावों को उजागर करने का प्रयास किया था.

हिंदी सिनेमा के दिग्गज निर्देशक और एक्टर रहे गुरुदत्त का जन्म आज ही के दिन यानि 9 जुलाई को हुआ था. महज 39 साल की उम्र में उन्होंने इस दुनिया को अलविदा कह दिया था. अपने करियर में उन्होंने कई कल्ट क्लासिक फिल्में दी हैं. उन्हीं में से एक है ‘कागज के फूल’. इस फिल्म के जरिए तो उन्होंने इतिहास रच दिया था.आज भी लोग उनकी इस फिल्म को देखना पसंद करते हैं.

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वहीदा रहमान के प्यार में हुए थे गिरफ्तार
गुरु दत्त जब फिल्म सीआईडी के लिए काम कर रहे थे, तो उन्हें एक नए चेहरे की तलाश थी, उन दिनों वहीदा साउथ की फिल्मों में काम कर रही थीं. इसी बीच एक इवेंट में पहली बार गुरु दत्त ने खूबसूरत वहीदा रहमान को देखा. इसके बाद उन्होंने एक्ट्रेस को सीआईडी के स्क्रीन टेस्ट के लिए बुलाया. किस्मत ऐसी चमकी उन्हें इस फिल्म में काम मिल भी गया. कहा जाता है कि इसी फिल्म के दौरान दोनों की नजदीकियां बढ़नी शुरू हुई थी.

फिल्म ‘कागज के फूल’ ने रच दिया था इतिहास
यूं तो गुरु दत्त ने अपने करियर में कई जबरदस्त फिल्में दीं. लेकिन फिल्म कागज के फूल इनकी भारत में बनी पहली सिनेमास्कोप फिल्म मानी जाती है. कहा तो ये भी जाता है कि इस फिल्म को बनाने से पहले गुरुदत्त निर्देशन मे इस बार कुछ नया और क्रांतिकारी करना चाहते थे. सौभाग्य से, हॉलीवुड प्रोडक्शन फर्म 20वीं सेंचुरी फॉक्स ने भारत में सिनेमास्कोप पिक्चर पूरी कर ली थी और अपने अतिरिक्त लेंस भूल गई थी, जैसे ही उन्हें पता चला, गुरु दत्त और उनके सिनेमैटोग्राफर वीके मूर्ति ने इस मौके का फायदा उठाया और लेंस के साथ प्रयोग किया और ये पहली फिल्म थी जिसमें अत्याधुनिक फॉर्मेट का इस्तेमाल किया गया था.

बता दें कि कागज के फूल सुरेश सिन्हा नाम के एक निर्देशक की कहानी है जो प्रसिद्धि और पहचान के पीछे इतना पागल हो जाता है की अपने ही प्यार को त्याग देता है. ये फिल्म रिलीज के बाद सिनेमाघरों में वो कामयाबी नहीं पा सकी थी. लेकिन बाद में कागज के फूल को कई क्रिटिक्स ने भी इस फिल्म की सराहना की थी.

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