1955 के नॉवेल पर 250 करोड़ में बनी फिल्म, 2022 में छाप लिए 500 करोड़, 7.6 है आईएमडीबी रेटिंग

फिल्मों को भी साहित्य का हिस्सा माना जाता है. फिल्ममेकर्स ने समय-समय पर बड़े-बड़े लेखकों की कहानियों और उपन्यासों पर फिल्में बनाई हैं. भारतीय सिनेमा की शुरुआत में रामायण, महाभारत समेत अन्य पुराणों पर फिल्में बनती थीं. बदलते समय के साथ मेकर्स की च्वॉइस बदली और अपने दौर के चर्चित और ट्रेंडिंग किताबों पर कहानी बनाई.

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