राजेश खन्ना के साथ की 91 फिल्में, 1972 में मुमताज संग दी सुपरहिट, सुनील दत्त के साथ तो रच दिया था इतिहास

नई दिल्ली. किशोर कुमार का फिल्मी सफर किसी फिल्मी कहानी से कम नहीं है. किशोर बॉलीवुड के सबसे प्रतिभाशाली कलाकारों में से एक है. किशोर जितने अच्छे सिंगर थे. उतने ही बेहतरीन एक्टर भी थे. किशोर ने 16 हजार फिल्मी गाने गाए और 8 बार फिल्मफेयर अवार्ड से सम्मानित किया था.

किशोर कुमार ने एक बार खुद कहा था कि वो लता मंगेशकर की एक आदत से असहज महसूस करते हैं और ये आदत थी स्वर कोकिला का अनुशासन में रहना. एक किस्सा खुद किशोर कुमार ने साझा किया था. उन्होंने कहा, मुझे आश्चर्य हुआ जब लता ने लंदन में मेरे साथ स्टेज शो करने के लिए हामी भरी।मैं रोमांचित था, लेकिन मुझे एक बात की चिंता थी उनका अनुशासन.

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स्टेज पर जाने से पहले डरे हुए थे किशोर कुमार
अपनी बात रखते हुए किशोर कुमार ने बताया था, वो तो बिना रिहर्सल के कभी स्टेज पर नहीं जाती थी और मैं चीजों को बेहद नॉर्मल तरीके से लेता था. मंच पर हमें पांच डुएट गीत गाने थे. सबसे बड़ी परेशानी तब आई जब स्टेज पर जाने का समय आया. हम तय नहीं कर पा रहे थे कि पहले कौन जाएगा? मैंने सुझाव दिया कि लता पहले गाएं क्योंकि वह मेरी सीनियर हैं. लेकिन उन्होंने ऐसा नहीं किया. इसके बजाय वह मेरा परिचय कराने के लिए स्टेज पर चली गईं. उसने मेरी जमकर तारीफ की. लेकिन यह भी कहा, ‘मैं उन्हें दा कहती हूँ क्योंकि वो मुझसे उम्र में बड़े है. मैं उनसे एक महीने और 24 दिन बड़ी हूं! इसके बाद हमने तीन शो किए.

किशोर दा को गलत समझ बैठी थीं लता मंगेशकर
लता और किशोर ने कई बेजोड़ गीत गाए. दोनों की आवाज में अलग सी रवानगी थी. बॉन्डिंग अच्छी थी शायद यही एक वजह रही कि किशोर दा ने आखिरी इंटरव्यू भी लता दीदी को दिया. लता ने एक रिपोर्टर बनकर उनसे बात की. इसमें उन्होंने कई मुद्दों पर बात की. जिसमें से एक मजेदार किस्सा दोनों की पहली मुलाकात से जुड़ा था. किशोर दा ने बताया था कि कैसे दोनों ने ट्रेन और तांगे में एक साथ सफर किया. फिर दोनों एक ही जगह पहुंचे और वो था बॉम्बे टॉकीज. लता सोचती रहीं कि किशोर कुमार उन्हें फॉलो कर रहे हैं लेकिन कुछ देर बाद ही पर्दा उठाया खेमचंद प्रकाश ने. उन्होंने फॉर्मल इंट्रोडक्शन कराया और इसके बाद दोनों खूब हंसे.

पहली पति के निधन के बाद लीना चंदावरकर ने किशोर कुमार को अपना हमसफर बनाया.                                                            

बता दें कि किशोर दा जितने हंसमुख और मजाकिया थे उतने ही आदर्शों को लेकर अटल रहने वाले इंसान ऊभी थे. एक दौर (1982-87) था जब सब अमिताभ बच्चन के पीछे कतारबद्ध थे लेकिन इस महान गायक ने राजेश खन्ना का साथ नहीं छोड़ा. काका जी की 91 फिल्मों में अपनी आवाज दी. सुनील दत्त और सायरा बानो की फिल्म पड़ोसन में तो उन्होंने इतिहास ही रच दिया था.

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