‘मेरा बेटा है, तो वे…’ मिथुन चक्रवर्ती को आज भी होता है अफसोस, किसी के आगे नहीं की दोनों बेटों की पैरवी

मुंबई. मिथुन चक्रवर्ती को हाल में राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार में सबसे बड़ा सम्मान दादासाहेब फाल्के पुरस्कार से सम्मानित किया गया. मिथुन ने फिल्म इंडस्ट्री में एक से बढ़कर सुपरहिट और ब्लॉकबस्टर फिल्में दीं. 50 दशक लंबे करियर वाले मिथुन इंडस्ट्री में अपने बच्चों को खुद मेहनत कर नाम बनाने की सीख दी. मिथुन इंडस्ट्री में अपना रास्ता खुद बनाने देने में विश्वास करते हैं. यही वजह है कि उन्होंने अपने चारों बच्चों को रोल दिलाने में कभी किसी से मदद नहीं मांगी. हालांकि उनके बच्चे एक्टिंग दुनिया में आए लेकिन उन जैसा मुकाम हासिल नहीं कर सके.

मिथुन चक्रवर्ती ने एनडीटीवी से एंटरटेनमेंट इंडस्ट्री में पर नजरिया पेश किया. उन्होंने कहा कई लोग इसे फैमिली इंडस्ट्री बताते हैं, लेकिन मैं ऐसा नहीं मानता. उन्होंने खुलासा किया, “आज तक, मैंने कभी किसी प्रोड्यूसर या किसी से भी अपने बेटों को काम देने के लिए नहीं कहा.” उन्होंने अपने बच्चों को योग्यता के आधार पर अपना काम और मुकाम हासिल करने की सलाह ही दी.

मिथुन चक्रवर्ती ने अपने बेटों, नमाशी और मिमोह चक्रवर्ती के करियर के बारे में भी बात की. नमाशी ने राजकुमार संतोषी की ‘बैड बॉय’ में भूमिका के लिए ऑडिशन दिया, जबकि मिमोह ने विक्रम भट्ट की ‘हॉन्टेड’ में अभिनय किया. मिथुन ने कहा कि इन फिल्मों की सफलता एक और बात है, लेकिन उन्होंने कभी अपने बच्चों को बढ़ावा नहीं दिया.

मिथुन चक्रवर्ती ने कहा, “मैंने उनसे कहा कि आपको अपनी लड़ाई खुद लड़नी होगी.” उन्होंने कहा कि इंडस्ट्री में एक स्टार पेरेंट्स के होना ही सफलता की गारंटी नहीं है. सिर्फ टैलेंट ही राज करता है. उन्होंने कहा कि इसके बिना वे इस कंपीटिश से भरी इंडस्ट्री में टिक नहीं पाएंगे. पिंकविला के साथ एक साक्षात्कार में, मिथुन ने अपने बेटे नमाशी को अपनी पहली फिल्म ‘बैड बॉय’ में आने से पहले सामना किए गए संघर्षों के बारे में बताया.

मिथुन चक्रवर्ती ने कहा,”नमाशी ने बहुत दर्द झेले हैं. मैं सब कुछ जानता था. वह ऑडिशन के लिए गया, और लोगों ने उसे खड़े होने तक नहीं दिया. जब उन्हें पता चला कि वह मेरा बेटा है, तो वे चौंक गए.” मिथुन ने यह भी माना कि नमाशी की मदद करने के लिए अपने प्रभाव का इस्तेमाल न करने के कारण उन्हें कुछ अपराधबोध महसूस हुआ. हालांकि उन्होंने तय किया कि वह कुछ नहीं करेंगे जैसे नए लोग संघर्ष करते हैं, उसका अनुभव भी उन्हें होना चाहिए.

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