2007 की वो फिल्म, जिसके नेगेटिव रिस्पांस देख अस्पताल में भर्ती हुआ डायरेक्टर, फिर निकली सुपरहिट

मुंबई. ‘भूल भुलैया 3’ के डायरेक्टर अनीस बज्मी ने कई कॉमेडी फिल्में बनाई हैं, जिनमें ‘एंट्री’, ‘वेलकम’ और ‘सिंह इज किंग’ भी शामिल हैं. ये तीनों ही बॉलीवुड की यादगार फिल्में बन गई हैं. अनीस ने कहा कि ये फिल्में भले ही अच्छी और ब्लॉकबस्टर साबित हुईं. यादगार फिल्में भी बनी लेकिन कुछ फिल्मों के लिए शुरुआत में पॉजिटिव रिस्पांस नहीं मिला. उन्होंने बताया एक फिल्म के लिए उन्हें शुरुआत में अच्छा रिस्पांस नहीं मिला, तो उन्हें स्ट्रेस हो गया और इसकी वजह से उन्हें अस्पताल में भर्ती होना पड़ा.

अनीस बज्मी ने हिंदुस्तान टाइम्स को दिए इंटरव्यू में इसका खुलासा किया. उन्होंने काम के प्रति पॉजिटिव और नेगेटिव रिएक्शन पर बात करते हुए कहा कि उनकी कई पॉपुलर फिल्मों की शुरुआत खराब रही. उन्होंने कहा, “मैंने जो फिल्में बनाईं, उनमें से कुछ को मैंने लोगों को पूरा दिखाया. और लोगों के रिएक्शन थे कि ‘हे भगवान, यह बहुत ही भयानक फिल्म है’.”

‘वेलकम’ के मिले नेगेटिव रिस्पांस से परेशान थे अनीस बज्मी

अनीस बज्मी साल 2007 में आई अक्षय कुमार, अनिल कपूर, नाना पाटेकर, कैटरीना कैफ, परेश रावल, फिरोज खान और मल्लिका शेरावत स्टारर कॉमेडी ‘वेलकम’ का उदाहरण देते हैं. अनीस कहते हैं, “जब मैंने ‘वेलकम’ बनाई थी, तो लोगों की एक ही शिकायत थी – कि यह कॉमेडी नहीं है. मैंने उनसे कहा कि मैंने यही बनाया है और अब मैं थिएटर में जाकर लोगों को गुदगुदा नहीं सकता.”

‘वेलकम’ 2007 की सुपरहिट फिल्मों से एक थी. (फिल्म पोस्टर)

‘वेलकम’ के ट्रायल रन में नहीं हंसा था कोई

अनीस बज्मी ने आगे कहा, “यह एकमात्र ऐसी कॉमेडी है जिसे मैं बनाना जानता हूं. मैं इसमें तमाशा, डबल मीनिंग बातें और सब कुछ नहीं डाल सकता. ये शॉर्टकट हैं और मैं इनमें विश्वास नहीं करता. मैं कॉमेडी लिखने में विश्वास करता हूं. ‘वेलकम’ के पूरे ट्रायल रन में थिएटर में एक भी आदमी नहीं हंसा. लेकिन जब फिल्म रिलीज़ हुई, तो लोगों ने इसे कल्ट कहा.”

‘वेलकम’ को कल्ट मानते हैं अनीस बज्मी

अनीस बज्मी ने आगे कहा, “आज, रिलीज के 16-17 साल बाद भी लोग इसे रिलेवेंट कहते हैं और इस पर मीम्स बनाते हैं. तो हमने ज़रूर कुछ सही किया होगा.” अनीस ने स्वीकार किया कि जब यह सब हो रहा था, तो वह कुछ समय के लिए कन्फ्यूज हो गए थे. उन्होंने कहा “एक व्यक्ति कन्फ्यूज हो सकता है और सोचने पर मजबूर हो सकता है कि उसने कुछ गलत किया है या नहीं. क्योंकि हमारे समाज में, लोग यह भी कहते हैं कि अगर पूरी दुनिया कुछ कह रही है, तो उसे सच मान लें. मैं इस पर विश्वास करता हूं और मैं रिएक्शन के लिए खुला हूं.”

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