उन्हें 50,000 रुपये का मुआवजा दें, मोबाइल कंपनी पर बिफरी कोर्ट, ग्राहक के पक्ष में फैसला

नई दिल्ली. असम में लगभग नौ साल पहले एक महिला का मोबाइल फोन ठीक नहीं कर पाने के एक मामले में यहां एक उपभोक्ता अदालत ने सोनी मोबाइल कम्युनिकेशन और इसके दो बिक्री एवं सेवा केंद्रों को निर्देश दिया है कि वह पीड़ित महिला को 50,000 रुपये से अधिक का भुगतान करें. कामरूप जिला उपभोक्ता विवाद निवारण आयोग ने 26 जुलाई को एक आदेश में सोनी मोबाइल कम्युनिकेशन, क्रिश्चियन बस्ती स्थित इसकी खुदरा दुकान ‘सोनी सेंटर’ और राजगढ़ मेन रोड स्थित सोनी सर्विस सेंटर को 45 दिन के भीतर मुआवजा देने का निर्देश दिया.

आयोग ने तीनों पक्षों को निर्देश दिया कि वे शिकायतकर्ता नीना बैरागी को मामला दर्ज करने की तारीख से ‘शारीरिक उत्पीड़न और मानसिक पीड़ा’ के लिए 40,000 रुपये की राशि 10 प्रतिशत ब्याज के साथ अदा करें. आदेश में कहा गया कि इसके अलावा, उन्हें कार्यवाही की लागत के रूप में शिकायतकर्ता को 10,000 रुपये की राशि का भुगतान करना होगा.

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आयोग ने फैसले में यह भी उल्लेख किया है कि यदि कंपनी व अन्य इकाइयों द्वारा 45 दिन के भीतर मुआवजा राशि का भुगतान नहीं किया जाता है, तो उन्हें राशि की वसूली तक उसपर 12 प्रतिशत ब्याज देना होगा. वर्ष 2016 में मामला दर्ज होने के बाद से चली लंबी सुनवाई और कार्यवाही के बाद आयोग ने सोनी मोबाइल को सेवा में कमी का दोषी ठहराया और मुआवजा देने के अलावा 45 दिन के भीतर मोबाइल हैंडसेट की मरम्मत करने का भी निर्देश दिया.

बैरागी ने 10 अगस्त 2015 को सोनी सेंटर से 52,990 रुपये का भुगतान करके सोनी मोबाइल हैंडसेट खरीदा था. एक महीने बाद, फोन उनके हाथ से गिर गया और उसने काम करना बंद कर दिया था. इसके बाद शिकायतकर्ता ने सोनी सर्विस सेंटर से संपर्क किया, लेकिन सर्विस इंजीनियर ने उन्हें बताया कि उक्त मॉडल की मरम्मत फिलहाल नहीं हो सकती है और एकमात्र विकल्प 25,000 रुपये की लागत से नया मॉडल लेना है.

बैरागी ने सोनी मोबाइल के नई दिल्ली स्थित मुख्यालय के सेवा प्रमुख से भी कई बार ईमेल के माध्यम से संपर्क किया, लेकिन 48 घंटे के भीतर शिकायत का निवारण करने के आश्वासन के बावजूद ऐसा नहीं किया गया. इसके बाद उन्होंने असम के उपभोक्ता कानूनी संरक्षण फोरम में शिकायत दर्ज कराई। उस शिकायत के आधार पर फोरम ने कामरूप के जिला उपभोक्ता विवाद निवारण आयोग में मामला दर्ज कराया.

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