आप भी टटोल लो अपने दादा-परदादा के रखे कागजात, क्या पता खुल जाए किस्‍मत का ताला

नई दिल्‍ली. आपके घर में भी अगर दादा-परदाता का लाया कोई संदूक या अटैची है, तो उसे जरूर खंगाल लें. हो सकता है कि प्रिया शर्मा की तरह आपको भी उसमें कोई ‘खजाना’ मिल जाए और आप भी प्रिया की तरह करोड़पति बन जाएं. बेंगलुरु की रहने वाली प्रिया शर्मा को भी शायद यह खजाना कभी नहीं मिलता, अगर वह कोरोना काल में घर न आती. खाली बैठे उसने एक दिन अपने दादा के रखे कुछ पुराने कागजात खंगालने शुरू कर दिए. कुछ ही देर में उसके हाथ में दादा द्वारा साल 2004 में खरीदे गए 500 शेयर थे. दादा ने इनके बारे में परिवार में किसी को बताया नहीं था और उनकी मौत के बाद ये यूं ही पड़े थे. स्टॉक स्प्लिट और बोनस के चलते यह 500 शेयर बढकर 4500 हो चुके थे, जिनकी कीमत अब 1.72 करोड़ रुपये हो चुकी थी.

हालांकि, दादा का यह खजाना तो उन्‍हें कुछ साल पहले ही मिल गया था, लेकिन इस खजाने पर लगे ‘ताले’ को खोलने को उन्‍हें खूब पापड़ बेलने पड़े. पुराने शेयरों का पैसा अब हासिल करना आसान नहीं था. प्रिया को मुंबई में प्रोबेट प्रक्रिया शुरू करनी पड़ी. लार्सन एंड टुब्रो के साथ पत्राचार किया और शेयर समाधान (Share Samadhan) की सहायता ली. कई सारी औपचारिकताएं पूरी करने के बाद आखिरकार प्रिया को अपने दादा की ‘विरासत’ मिल गई और वो करोड़पति बन गईं.

ये भी पढ़ें- IPO Alert :14,880 रुपये में बन सकते हैं इस कंपनी में ‘पार्टनर’! सचिन तेंदुलकर और रतन टाटा ने भी लगाया है पैसा

ऐसे मिला खजाना
बेंगलुरु में रहने वाली प्रिया शर्मा को कोरोना के चलते साल 2020 में घर लौटना पड़ा. घर की सफाई करते वक्‍त एक दिन उनकी नजर अपने दादाजी के सामान पर पड़ी. कौतुहलवश उन्‍होंने उसकी जांच शुरू कर दी. कागजों के ढेर में उन्‍हें जो मिला, उसे देखकर वो चौंक गई. दादाजी द्वारा साल 2004 में लार्सन एंड टुब्रो (Larsen & Toubro) कंपनी के खरीदे गए 500 शेयरों के कागजात भी इस सामान में थे. प्रिया अपने दादा की अकेली वारिस थी. वो समझ गई की अब ये 500 शेयर बढ गए होंगे और इनकी कीमत काफी हो गई है. फिर क्‍या था, प्रिया जुट गई लार्सन एंड टूब्रो के इन शेयरों को हासिल करने में.

बेलने पड़े खूब पापड़
इतने पुराने शेयरों का पैसा हासिल करना आसान नहीं था. उन्हें मुंबई में प्रोबेट प्रक्रिया शुरू की. शेयरहोल्डिंग स्टेटमेंट हासिल करने के लिए एलएंडटी से संपर्क किया. कंपनी ने उनसे कई औपचारिकताएं पूरी करने को कहा. इसके बाद उन्होंने दादाजी की वसीयत को कानूनी प्रक्रिया से प्रोबेट किया. उन्‍हें वसीयत को अदालत में साबित भी करना पड़ा. सारी प्रक्रियाएं पूरी होने में एक साल लग गया और फिर कंपनी ने उन्‍हें डुप्‍लीकेट शेयर्स जारी किए.

Tags: Business news, Stock market

Source link