Donald Trump Tariff Plan: हर एक क्षेत्र में चीन, अमेरिका की बादशाहत को चनौती दे रहा है. यह कहना पूरी तरह सही नहीं है. बल्कि यह कहा जाए कि चीन, अमेरिका को अपने जबड़े में ले चुका हो, को यह गलत नहीं होगा. दरअसल, अमेरिका को भले ही दुनिया का अंकल सैम कहा जाता हो लेकिन, वो अमेरिका अब अमेरिका नहीं रहा. बीते करीब साढ़े तीन दशक में दुनिया काफी बदल चुकी है. शीत युद्ध के बाद की दुनिया पूरी तरह अलग है. चीन, अमेरिका के धुर विरोधियों का केंद्र बन चुका है. इतना ही नहीं वह अमेरिका को पूरी तरह अपना शिकंजा कस चुका है. उस शिकंजे से निकलने के लिए अमेरिका के निर्वाचित राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप हों या कोई और… कोई भी फड़फड़ाने के अलावा कुछ खास नहीं कर पाएंगे.
दरअसल, चीन ने केवल सैन्य ताकत में बल्कि आर्थिक क्षेत्र में भी सीधे तौर पर अमेरिका के वर्चस्व को चुनौती दी है. आंकड़ों के मुताबिक बीते साल चीन और अमेरिका के बीच 575 अरब डॉलर का व्यापार हुआ. यह व्यापार पूरी तरह एकतरफा है. इसमें से चीन से अमेरिका को 501 अरब डॉलर का निर्यात हुआ जबकि अमेरिका से चीन ने केवल 74 अरब डॉलर का आयात किया.
भावनात्मक मुद्दा
व्यापार में इसी असंतुलन से निर्वाचित राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप चिढ़े हुए हैं. वह अमेरिका फर्स्ट की नीति पर चलने की बात कह रहे हैं. लेकिन, यह बात भावनात्मक ज्यादा है. वास्तविकता यह है कि वह चाहकर भी चीन के खिलाफ बहुत आक्रामक नहीं हो सकते हैं. हालांकि इस भावनात्कम मुद्दे पर उन्हें अमेरिका में फिर से शानदार जीत मिली है.
यूएसए टुडे की एक रिपोर्ट के मुताबिक सबसे अहम बात यह है कि कहने को यह अच्छा लगता है कि अमेरिका चीनी उत्पादों पर 100 फीसदी से अधिक का टैरिफ लगा देगा. इससे चीन के माल महंगे हो जाएंगे और वे फिर अमेरिकी बाजार में डंप नहीं किए जाएंगे. लेकिन, क्या आपको पता है कि इजरायल-हमास और रूस-यूक्रेन युद्ध के कारण महंगाई की मार झेल रही अमेरिकी जनता ट्रंप के इस कदम से खुश होगी?
डोनाल्ड ट्रंप सबसे मुखर तरीके से चीन की आलोचना करते हैं.
टैरिफ बढ़ाने का नहीं हुआ असर
रिपोर्ट के मुताबिक डोनाल्ड ट्रंप ने अपने पहले कार्यकाल में सोलर पैनल, वाशिंग मशीन और कई अन्य चीजों पर टैरिफ काफी बढ़ा दिया. फिर जो बाइडन की सरकार आई और उसने भी ट्रंप के इन फैसलों को बरकरार रखते हुए कई अन्य चीजों पर टैरिफ की दरें बढ़ा दी. अब ट्रंप कह रहे हैं कि वह सत्ता संभालने के साथ ही चीनी उत्पादों पर टैरिफ दर 60 फीसदी से बढ़ाकर 100 फीसदी कर देंगे. साथ ही अन्य देशों से होने वाले आयात पर भी शुल्क बढ़ाकर 20 फीसदी कर देंगे. उनका मानना है कि ऐसा करने से अमेरिकी निर्माताओं को राहत मिलेगी और अमेरिका में प्रोडक्शन बढ़ेगा. रोजगार बढे़गा.
दुनिया के अर्थशास्त्री चिंतिंत
लेकिन, दुनिया के अर्थशास्त्री ट्रंप के इस फैसले से चिंतित हैं. इससे अमेरिका में बेतहाशा महंगाई बढ़ेगी. इससे कंपनियों की लागत बढ़ेगी और अंततः इसका पूरा भार उपभोक्ताओं पर पड़ेगा. एक संस्था The Peterson Institute for international economics का कहना है कि ट्रंप अगर ऐसा करते हैं तो एक आम अमेरिकी परिवार पर हर साल 2600 अमेरिकी डॉलर 2.20 लाख रुपये का बोझ पड़ेगा. इस तरह अमेरिकी उपभोक्ताओं पर कुल 46 से 78 अरब डॉलर का बोझ पड़ेगा. इस रिपोर्ट में इस बात को एक उदाहरण से समझाया गया है. टैरिफ बढ़ाने से 50 डॉलर के एक जोड़ी स्पोर्टस जूते की कीमत 64 डॉलर हो जाएगी. एक मैट्रेस बॉक्स की कीमत 2000 डॉलर से बढ़कर करीब 2200 डॉलर हो जाएगी.
लंबी बहस की चीजें
यही कारण है कि डोनाल्ड ट्रंप के प्रस्ताव को लेकर अमेरिकी अर्थशास्त्रियों में बहस छिड़ी है. किसी को यह समझ में नहीं आ रहा है कि सस्ते चीनी समानों से कैसे छुटाकारा पाया जाए. अगर टैरिफ बढ़ाया जाता है तो सीधे पर जनता सफर करेगी.
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FIRST PUBLISHED : November 22, 2024, 10:53 IST