US-India trade: हाल ही में अमेरिकी राजदूत एरिक गार्सेटी ने 20 दिसंबर को यूएस-इंडिया बिजनेस काउंसिल के एक कार्यक्रम में भारत से आयात शुल्क घटाने की बात कही. उनका कहना था कि व्यापार को “न्यायसंगत और समान” बनाने के लिए शुल्क कम करना जरूरी है. यह बयान राष्ट्रपति चुनाव जीत चुके डोनाल्ड ट्रंप के हालिया बयान के बाद आया है, जिसमें उन्होंने भारत पर ऊंचा आयात शुल्क लगाने का आरोप लगाया और इसके बदले वैसा ही टैक्स भारत के उत्पादों पर भी लगाने की बात कही.
डोनाल्ड ट्रंप कई बार इस बात को दोहरा चुके हैं. उन्होंने हाल ही में भारत और ब्राजील पर अमेरिकी उत्पादों पर ज्यादा टैक्स लगने की बात कही थी. लेकिन ट्रंप ने इसको लेकर कोई आंकड़ा नहीं दिया. आंकड़ा सामने हो तो विश्लेषण करना आसान हो जाता है. हमारी सहयोगी वेबसाइट मनीकंट्रोल ने इस बाबत के विश्लेषण कर दिया है. यदि डोनाल्ड साहब इन आंकड़ों पर एक नजर डाल लें तो उनका सारा वहम दूर हो जाएगा.
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मनीकंट्रोल के विश्लेषण के मुताबिक, 2023-24 के लिए उपलब्ध 3,638 टैरिफ के आंकड़ों से पता चला कि जब अमेरिकी प्रोडक्ट भारत में आते हैं तो 63.5 परसेंट आइटमों पर 10 फीसदी से कम शुल्क लगता है. 17.9 परसेंट (651 आइटम्स) पर 10-20 फीसदी का शुल्क लगता है, जबकि 30 फीसदी से अधिक शुल्क केवल 4 परसेंट उत्पादों पर लगता है.
सबसे अधिक शुल्क किन उत्पादों पर?
अमेरिकी कारों और मोटरसाइकिलों पर भारत में 125 फीसदी शुल्क लगता है. इसी वजह से इलेक्ट्रिक वाहन (EVs) भारत में महंगे हो जाते हैं. उदाहरण के लिए, हार्ले-डेविडसन मोटरसाइकिल और टेस्ला के इलेक्ट्रिक वाहनों को भारत में लाने पर भारी शुल्क लगता है. वर्ल्ड बैंक के आंकड़ों के अनुसार, शराब जैसे उत्पादों पर 150 फीसदी तक का शुल्क लगता है.
बेवजह का हल्ला मचा रहे
2023-24 में भारत ने अमेरिका से 40 बिलियन डॉलर (लगभग ₹3.3 लाख करोड़) का आयात किया, जिसमें 81.8 परसेंट वस्तुएं 10 फीसदी या उससे कम शुल्क वाली श्रेणी में थीं. 10-20 फीसदी शुल्क वाली वस्तुओं का हिस्सा 15 फीसदी था. 5.12 बिलियन डॉलर (₹42,000 करोड़) की ऊंचे शुल्क वाली श्रेणियों में अमेरिका का योगदान केवल 160 मिलियन डॉलर (₹1,300 करोड़) था. इस हिसाब से देखा जाए तो डोनाल्ड ट्रंप बेवजह हो-हल्ला कर रहे हैं. केवल 1,300 करोड़ रुपये के शुल्क पर उन्हें चिंता हो रही है, लेकिन 42,000 करोड़ की वस्तुओं तो टैक्स कुछ भी नहीं है.
मनीकंट्रोल का ये एनालिसिस बताता है कि आयात शुल्क में कटौती से भी अमेरिका का भारत में व्यापार केवल 5 बिलियन डॉलर (₹41,000 करोड़) तक बढ़ सकता है, वह भी यदि अमेरिका पूरी मार्केट पर कब्जा कर ले.
देखा जाए तो यह विवाद केवल ट्रेड टैरिफ का मामला नहीं है, बल्कि ग्लोबल ट्रेड बैलेंस और राजनीतिक नीतियों का भी हिस्सा है. भारत और अमेरिका को अपने व्यापारिक संबंधों को और मजबूत बनाने के लिए साझा हितों पर ध्यान देना चाहिए.
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FIRST PUBLISHED : December 23, 2024, 18:08 IST