धीमी हो रही भारत की रफ्तार? आईएमएफ ने घटाया वृद्धि दर का अनुमान

नई दिल्ली. अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ) की वर्ल्ड इकोनॉमिक आउटलुक रिपोर्ट में भारत की विकास दर घटने का अनुमान जताया गया है. रिपोर्ट के अनुसार, भारत की आर्थिक वृद्धि दर 2023 के 8.2% से घटकर 2024 में 7% और 2025 में 6.5% होने की आशंका है. रिपोर्ट के अनुसार, कोविड महामारी के दौरान जमा हुई मांग अब पूरी तरह से खत्म हो चुकी है, और अर्थव्यवस्था अपनी वास्तविक क्षमता के साथ मेल खा रही है, जिससे यह गिरावट देखी जा सकती है.

वैश्विक अर्थव्यवस्था के संदर्भ में आईएमएफ ने कहा कि मुद्रास्फीति के खिलाफ लड़ाई में काफी हद तक सफलता मिली है, लेकिन कुछ देशों में मूल्य दबाव अभी भी बना हुआ है. 2022 की तीसरी तिमाही में 9.4% पर पहुंचने के बाद, अब अनुमान है कि 2025 के अंत तक वैश्विक मुद्रास्फीति दर 3.5% पर आ जाएगी.

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वैश्विक वृद्धि दर स्थिर, लेकिन कुछ देशों में गिरावट
आईएमएफ की रिपोर्ट के अनुसार, 2024 और 2025 में वैश्विक आर्थिक वृद्धि दर 3.2% पर स्थिर रहेगी, हालांकि कुछ निम्न-आय वाले विकासशील देशों में गिरावट का खतरा देखा जा रहा है. आईएमएफ के मुख्य अर्थशास्त्री पियरे-ओलिवियर गोरिंचास ने कहा, “वैश्विक अर्थव्यवस्था मुद्रास्फीति के प्रबंधन के दौरान भी अप्रत्याशित रूप से स्थिर रही है.”

उन्नत और विकासशील अर्थव्यवस्थाओं का दृष्टिकोण
आईएमएफ की रिपोर्ट में बताया गया है कि इस साल अमेरिका की वृद्धि दर 2.8% रहने की उम्मीद है, जो 2025 तक सामान्य स्तर पर लौट आएगी. यूरोपीय उन्नत अर्थव्यवस्थाओं में अगले साल मामूली वृद्धि की उम्मीद है. उभरते बाजारों और विकासशील अर्थव्यवस्थाओं में वृद्धि 4.2% पर स्थिर रह सकती है, जिसमें एशिया से मजबूत प्रदर्शन की उम्मीद है.

क्षेत्रीय संघर्ष और व्यापार नीतियों पर चिंता
आईएमएफ ने चेताया कि क्षेत्रीय संघर्षों, खासकर मध्य पूर्व में, वृद्धि के लिए गंभीर जोखिम पैदा कर सकते हैं. आईएमएफ के अनुसार, “मुद्रास्फीति में सुधार के बावजूद, जोखिम बढ़ रहे हैं और वैश्विक दृष्टिकोण पर हावी हैं. अगर क्षेत्रीय संघर्ष बढ़े, तो यह वस्तु बाजारों के लिए गंभीर खतरा बन सकता है.”

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