NSG Hijack Flight IC-427 Rescue Operation: 23 घंटे की दहशत और 90 सेकेंड का क्लाइमेक्स… जी हां यह कहानी है उस ऑपरेशन अश्वमेध की, जिसमें नेशनल सिक्योरिटी गार्ड (एनएसजी) के शूरवीर कमांडोज ने महज 90 सेकेंड में प्लेन हाईजैक करने वाले आतंकियों को उनके अंजाम तक पहुंचा दिया था. इस ऑपरेशन को सफलतापूर्वक अंजाम देते हुए एनएसजी कमांडोज ने न केवल दांव पर लगी 141 जिंदगियों को सुरक्षित बचा लिया था, बल्कि दुश्मन को साफ संकेत दे दिया था कि अब उसकी हर नापाक कोशिश को इसी तरह पैरों तले कुचल दिया जाएगा.
दरअसल, प्लेन हाईजैक की यह वारदात आज से करीब 31 साल पहले 24 अप्रैल 1993 में अंजाम दी गई थी. हाईजैक होने वाला प्लेन इंडियन एयरलाइंस का था और उसने श्रीनगर एयरपोर्ट से फ्लाइट संख्या IC-427 के तौर पर दिल्ली के लिए उड़ान भरी थी. IC-427 को उड़ान भरे हुए अभी कुछ ही मिनट बीते थे, तभी एक शख्स अपनी सीट से उठा, एयरक्राफ्ट हेड केबिन से अपना हैंड बैग निकाला और फिर अपनी सीट में बैठ गया.
कुछ मिनटों के बाद यह शख्स एक बार फिर अपनी सीट से खड़ा हुआ. इस बार इसके एक हाथ में पिस्टल और दूसरे में हैंडग्रेनेड था. कोई कुछ समझ पाता, इससे पहले प्लेन हाईजैक का ऐनाल कर दिया. वहीं, दोपहर करीब 2:43 बजे फ्लाइट के कैप्टन ने दिल्ली एयर ट्रैफिक कंट्रोल (एटीसी) को प्लेन हाईजैक की जानकारी दे दी. साथ ही, यह भी बता दिया कि हाईजैकर ने उसे प्लेन अफगानिस्तान के काबुल एयरपोर्ट ले जाने के लिए कहा है.
इधर, दिल्ली में प्लेन हाईजैक की खबर लगते ही क्राइसिस मैनेजमेंट ग्रुप (सीएमजी) और सेंट्रल कमेटी ने बेहतर कॉर्डिनेशन के साथ अपना काम करना शुरू कर दिया. क्राइसिस मैनेजमेंट ग्रुप (सीएमजी) सेंट्रल सेकेट्रेट से पूरी स्थिति पर नजर बनाए हुए थी, वहीं सेंट्रल कमेटी दिल्ली एयरपोर्ट से हाईजैक हुए प्लेन पर अपनी निगाह बनाए हुए थी. हाईजैकर हुआ प्लेन अभी भी भारतीय सीमा में था, लिहाजा उसे रोकने का एक चांज सुरक्षा एजेंसियों के पास था.
मामले की नजाकत को समझते ही सेंट्रल कमेटी ने सीएमजी से अनुरोध कि वह पाकिस्तानी समकक्ष अथॉरिटी से बात करें और इस प्लेन को पाकिस्तानी एयर स्पेस में दाखिल होने से रोका जा सके. सीएमजी ने पाकिस्तान से स्पष्ट तौर पर कह दिया कि यदि इस हाईजैक में उसका हाथ नहीं है, यह साबित करने के लिए उसे इस प्लेन को अपने एयर स्पेस में आने से रोकना होगा. मजबूरन पाकिस्तान को IC-427 के पायलट की रिक्वेस्ट को खारिज करना पड़ा.
पाकिस्तानी एयर स्पेस एक्सेस की इजाजत नहीं मिलने के बावजूद यह प्लेन तब तक लाहौर के इर्द-गिर्द उठता रहा, जब तक उसका फ्यूल खत्म होने की कगार में नहीं आ गया. फ्यूल खत्म होता देख प्लेन के पायलट ने हाईजैकर से कहा कि यदि वह जल्द समीपवर्ती एयरपोर्ट पर लैंड नहीं हुए तो प्लेन हवा में ही क्रैश हो जाएगा. हाईजैकर की हामी के बाद पायलट ने अगले कुछ ही पलों के बाद प्लेन को अमृतसर एयरपोर्ट पर सुरक्षित लैंड करा दिया.
वहीं, अमृतसर एयरपोर्ट पर प्लेन लैंड होने की खबर के साथ क्राइसिस मैनेजमेंट ग्रुप ने निगोशिएशन की जिम्मेदारी अमृतसर के तत्कालीन डिप्टी कमिश्नर और सीनियर सुप्रीटेंडेंट को सौंप दी. दोनों अधिकारी शाम तक लगे रहे, लेकिन हाईजैकर बात करने के लिए तैयार नहीं हुआ. वह लगातार प्लेन को रिफ्यूल करने की जिद में अड़ा रहा, जिससे वह एक बार फिर काबुल जाने की कोशिश कर सके. हाईजैकर की जिद देख शाम तक पंजाब के डीजीपी भी अमृतसर एयरपोर्ट पहुंच गए.
अब तक, सीएमजी को समझ में आग गया था कि घी सीधी उंगली से नहीं निकलेगा. लिहाजा, तत्कालीन प्रधानमंत्री पीवी नरसिंम्हा राव से इजाजत लेने के बाद एनएसजी कमांडो की स्पेशल टीम को अमृतसर रवाना कर दिया गया. 25 अप्रैल 1993 की दोपहर बातचीत की आखिरी कोशिश की गई. इस कोशिश के दौरान हाईजैकर ने गुस्से में आकर गोली चला दी. यह गोली प्लेन की दीवार को चीरती हुई बाहर निकल गई. इस घटना से सभी कुछ पलों के लिए स्तब्ध हो गए.
अब सीएमजी कमांडो ऑपरेशन के लिए तैयार हो चुकी थी. इस मिशन को ऑपरेशन अश्वमेध का नाम दिया गया. एनएसजी कमांडोज को विमान में दाखिल होने में सिर्फ तीन मिनट का समय लगा. वहीं एनएसजी को देखने के बाद हाईजैकर कुछ समझ पाता इससे पहले उसे मार गिराया गया. हाईजैकर को मारने में एनएसजी को कुल 90 सेकेंड का समय लगा. इस तरह, महज पांच मिनट में एनएसजी ने ऑपरेशन अश्वमेध को सफलता पूर्वक पूरा कर लिया.
साथ ही, इस विमान में सवार 135 पैसेंजर और 6 केबिन क्रू मेंबर को सुरक्षित प्लेन से रेस्क्यू कर लिया गया. इसके बाद शुरू हुआ तलाशी और तफ्तीश का दौर. तलाशी के दौरान, एनएसजी ने हाईजैकर के कब्जे से दो पिस्टल और एक हैंडग्रेनेड बरामद किए. ऑपरेशन अश्वमेध में मारे गए हाईजैकर की पहचान हिजबुल मुजाहिद्दीन के आतंकी जलालुद्दीन उर्फ मोहम्मद यूनुस शाह के तौर पर हुई.
इस वारदात के तार हिजबुल मुजाहिद्दीन के साथ जुड़ते ही हाईजैक से जुड़े कई सनसनीखेज तथ्य भी बाहर आना शुरू हो गए. तफ्तीश के दौरान, यह बात भी सामने आई कि उत्तर प्रदेश के अयोध्या स्थिति राम जन्मभूमि परिसर में भव्य राम मंदिर बनाने की मांग हिजबुल मुजाहिद्दीन के सीने को छलनी कर रही थी. वहीं, IC-810 को हाईजैक करने वाले हाईजैकर सतीश चंद्र पांडेय की मांग ने हिलबुल जैसे तमाम आतंकी संगठन के जख्म में नमक रगड़ने का काम किया था.
दरअसल, सतीश चंद्र की मांग थी कि बाबरी मस्जिद गिराने के आरोप में जिन कारसेवकों को गिरफ्तार किया गया है, उन्हें रिहा किया जाए और राम जन्मभूमि में भव्य राम मंदिर का निर्माण किया जाए. हाईजैकर पांडेय की इसी मांग से बौखलाकर हिजबुल मुजाहिद्दीन ने इंडियन एयरलाइंस के प्लेन IC-427 को हाईजैक करने की साजिश रची और 24 अप्रैल 1993 को हाईजैक की वारदात को अंजाम दे दिया.
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FIRST PUBLISHED : December 4, 2024, 16:45 IST