शराब, सिगरेट-तंबाकू के बाद तीसरी बुरी लत, हर साल 60000 करोड़ रुपये बर्बाद

मुंबई. शेयर बाजार में फ्यूचर एंड ऑप्शन ट्रेडिंग, भारतीय परिवारों की बचत के लिए बड़ा खतरा बनती जा रही है. बाजार नियामक SEBI की चेयरपर्सन माधवी पुरी बुच ने कहा कि बाजार के F&O सेगमेंट ट्रेड करने से देश के लाखों परिवारों को साल भर में 60,000 करोड़ रुपये तक का नुकसान उठाना पड़ रहा है. सिक्योरिटी एक्सचेंज बोर्ड ऑफ इंडिया (SEBI) की चेयरमैन ने नेशनल स्टॉक एक्सचेंज (NSE) की ओर से आयोजित एक कार्यक्रम में इस बात पर हैरानी जताई कि डेरिवेटिव मार्केट में इस तरह के दांव को ‘व्यापक मुद्दा’ क्यों नहीं कहा जाना चाहिए.

माधबी पुरी बुच ने कहा, ‘‘अगर फ्यूचर एंड ऑप्शन सेगमेंट में हर साल 50,000-60,000 करोड़ रुपये का नुकसान हो रहा है तो यह मैक्रो इश्यू क्यों नहीं है? यह राशि आने वाले आईपीओ, म्यूचुअल फंड या अन्य उत्पादक उद्देश्यों के लिए लगाई जा सकती थी.’’

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10 में से 9 ट्रेडर घाटे में

सेबी की एक स्टडी के मुताबिक, फ्यूचर एंड ऑप्शन करने वाले लोगों के 90 प्रतिशत सौदे घाटे में रहे. हर 10 में से 9 ट्रेडर को नुकसान हुआ. सेबी ने एफएंडओ ट्रेडिंग पर लगाम कसने के लिए कंसल्टेशन पेपर भी जारी किया, जिसमें F&O ट्रेडिंग को सीमित करने के तरीके सुझाए गए हैं.

बुच ने कहा कि भले ही शेयर बाजारों को एफएंडओ कम होने पर शुल्क कम मिल सकता है लेकिन लंबी अवधि में यह सभी हितधारकों के लिए फायदेमंद ही होगा. उन्होंने यह भी कहा कि एक्सचेंज-ट्रेडेड फंड (ईटीएफ) निवेशकों के लिए जोखिम से भरी डेरिवेटिव गतिविधि का विकल्प नहीं हो सकते हैं क्योंकि इनकी तरलता और लाभ बहुत अलग है.

इस बीच, सेबी प्रमुख ने म्यूचुअल फंड में निवेश करने के लिए बैंक ग्राहकों के समान केवाईसी (अपने ग्राहक को जानें) सत्यापन का उपयोग करने की संभावना को खारिज करते हुए कहा कि सेबी प्रतिभूति बाजार में पेटीएम जैसी गड़बड़ी की अनुमति नहीं देगा.

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