नई दिल्ली. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी आज से कुवैत दौरे पर रहेंगे. 43 साल में ये पहली बार है जब कोई भारतीय प्रधानमंत्री कुवैत यात्रा पर गया हो. हालांकि अगर इतिहास के पन्नों में देखें तो भारत और कुवैत के बीच सदियों पुराने संबंध हैं. इन दोनों का रिश्ता समुद्री व्यापार से शुरू हुआ, जिसने ऐतिहासिक संबंधों की रीढ़ बनाई. अब कुवैत को भारतीय से होने वाला निर्यात 2 बिलियन डॉलर तक पहुंच गया है और वहीं दूसरी ओर भारत में कुवैत का निवेश 10 बिलियन डॉलर से अधिक है.
प्रधानमंत्री मोदी कुवैती अमीर शेख मेशल अल-अहमद अल-जबर अल-सबाह के निमंत्रण पर कुवैत की यात्रा पर हैं. अमीर से मुलाकात के अलावा प्रधानमंत्री मोदी कुवैती क्राउन प्रिंस और प्रधानमंत्री से भी बातचीत करेंगे.
भारत को जितने कच्चे तेल की जरूरत होती है, उसका 3 फीसदी हिस्सा कुवैत ही पूरी करता है. लेकिन दोनों देशों के बीच का ये रिश्ता, सिर्फ व्यापार पर आधारित नहीं है, बल्कि दोनों सांस्कृतिक बंधन से भी बंधे हुए हैं. यही वजह है कि कुवैत में बडी संख्या में भारतीय रहते हैं और वहां रोजगार करते हैं.
क्या कहता है इतिहास
आपको ये जानकर हैरानी होगी कि रुपया का इस्तेमाल करने वाला इकलौता देश भारत ही नहीं है. 20वीं सदी के मध्य तक, भारतीय रुपया का इस्तेमाल कुवैत, बहरीन, कतर, ट्रूशियल स्टेट्स और ओमान में आधिकारिक मुद्रा के रूप में किया जाता था. साल 1961 तक कुवैत में भारतीय रुपया वैध मुद्रा था. उसी साल औपचारिक रूप से राजनयिक संबंध भी स्थापित किए गए, जिससे यह साझेदारी और मजबूत हो गई.
भारतीय, कुवैत के वर्कफोर्स का एक बड़ा हिस्सा हैं और देश के व्यापारिक समुदाय में उनकी महत्वपूर्ण उपस्थिति है. कुवैत के टोटल वर्कफोर्स में 30% भारतीय हैं. कुवैत में सबसे बड़ा प्रवासी समुदाय भारतीय ही हैं. वे विभिन्न क्षेत्रों में काम कर रहे हैं, जिनमें इंजीनियरिंग, वास्तुकला, इलेक्ट्रॉनिक्स और उद्योग में वाइट कॉलर नौकरियां और स्वास्थ्य क्षेत्र में डॉक्टर और पैरामेडिक्स के रूप में काम करने वाले सबसे ज्यादा है.
बिजनेस में भारतीयों की धाक
कुवैत में भारतीय उद्योगपतियों ने अपना सिक्का जमा लिया है. कुछ 30 फीसदी के वर्कफोन में करीब 21 फीसदी भारतीय व्यापारी हैं. इनमें से कुछ ऐसे भी हैं, जिन्होंने वैश्विक स्तर पर अपनी पहचान बनाई है और कुछ को फोर्ब्स की लिस्ट में जगह मिली है.
हरभजन सिंह वेदी का नाम तो आपको याद ही होगा. जी हां, ये वही अरबपति हैं, जिन्होंने साल 1990 में कुवैत पर आक्रमण के दौरान 170,000 भारतीयों को कुवैत से सुरक्षित निकालने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी.
केजी अब्राहम भी जाने माने भारतीय व्यवसायी हैं जो एनबीटीसी (नासर मोहम्मद अल-बद्दाह एंड पार्टनर ट्रेडिंग एंड कॉन्ट्रैक्टिंग कंपनी) में भागीदार बने और इसे एक प्रमुख नियोक्ता के रूप में विस्तारित किया. वह कुवैत में हाईवे सेंटर नाम के एक सुपरमार्केट सीरीज के भी मालिक हैं. केजी अब्राहम साल 1976 में केरल से कुवैत गए थे.
कुछ अन्य बिजनेस मैन जिन्होंने कुवैत में अपनी धाक जमाई, उनमें इंटेलेक्चुअल लीडरशिप माइन्स के बिनायक पाणिग्रही, अदिति ग्रुप के दीपक लाल यादव, सिज्जील जनरल कॉमर्स एंड कॉन्ट्रैक्टिंग डॉ. अब्दुल रज्जाक रूमाने और नेशनल टेक्नोलॉजी एंटरप्राइजेज कंपनी के मुनव्वर मोहम्मद का नाम शामिल है.
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FIRST PUBLISHED : December 21, 2024, 10:59 IST