IRS Officer Story: स्‍टार बनने की राह पर चले अफसर बाबू, अब पूरा होगा बचपन का ख्‍वाब

IRS Officer Story: आसान नहीं होता अपने सपने को पूरा करने के लिए समय निकालना. खास कर तब जब आप एक सिविल सेवा के उच्च अधिकारी हो और सपना भी ऐसा कि बरसों लग जाते हैं उसे पूरा करने में एडियां घिसते हुए. जी हां-हम आपको एक ऐसे ही अफसर के बारे में बताने जा रहे हैं, जो दिन-रात तो अपनी ड्यूटी तो करता रहा लेकिन रात को समय के साथ समन्वय बिठाते हुए वो फिल्म बनाने के अपने सपने को पूरा करने में लग जाता था. लगभग दो सालों तक हर रोज 15-16 घंटे जुट कर अपने सरकारी काम और अपनी फिल्म बनाने का काम किया और अपने बचपन का सपना पूरा किया है. अब ये अधिकारी एक स्वतंत्र फिल्मेकर की लिस्ट में शुमार हो गया है. यह कहानी है सिविल सर्विसेज परीक्षा में सफल होकर भारतीय राजस्व सेवा में नियुक्त अधिकारी अन्वेष की. अन्वेष ने अपनी फिल्म ‘कथाकार की डायरी-द टेल ऑफ ऑर्डिनरी लाइव्स बनाई है.

ओडिशा के बालेश्वर जिले के अजीमाबाद में जन्मे अन्वेष एक ट्रेन्ड हिंदुस्तानी क्लासिकल सिंगर हैं. संगीत के लिए पैशन और फिल्म मेकिंग का सपना लिए अन्वेष ने स्नातक की डिग्री भाटखंड़े संगीत संस्थान, लखनऊ से प्राप्त की. फिर 2013 में यूपीएससी की परीक्षा में सफल हो कर भारतीय राजस्व सेवा में भर्ती हुए. अन्वेष कई म्यूजिक वीडियो भी बना चुके हैं और एमएक्स प्लेयर की शॉर्ट फिल्म ‘सोसायटी’ में काम कर चुके हैं. इसके अलावा उन्होंने नागेश कुकनूर की वेब सीरीज ‘सिटी ऑफ ड्रीम्स’ में छोटा सा रोल भी किया था. पिछले दो साल से अपने सपने को पूरा करने में लगे थे.

क्‍या है इस फिल्म की कहानी?
अन्वेष ने बताया कि इस फिल्म की कहानी में उड़ीसा के आदिवासी जंगलो में स्ट्रगल कर रहे लोगो से लेकर घर चलाने के लिए स्ट्रगल करते ट्रांसजेंडर जैसे आम लोगों की कहानियों को पिरोया गया है. 2013 बैच के आईआरएस अधिकारी अन्वेष को हमेशा से ही आम लोगों से जुड़ी कहानियां प्रेरित करती रही हैं. इसलिए उन्होंने सोचा कि आम जनता की कहानी को उन्हीं की मदद से बनाकर उन्हीं तक पहुंचाया जाए. अन्वेश की लिखी इस कहानी के पांच किरदार हैं जिसमें एक कैंसर पीडित , एक बच्चा, एक ट्रांसजेंडर, एक संगीतकार और एक खेल का कोच है. उनकी जिंदगी कैसे उलझती है और वो कैसे अपने लक्ष्य को पूरा करने के लिए काम करते हैं.

कहां हुई इसकी शूटिंग?
इस फिल्स की ज्यादातर शूटिंग पश्चिमी ओडिशा, मुंबई और पुणे में स्थानीय कलाकारों और तकनीशियनों के साथ हुई है. काफी कम खर्च में ये फिल्म बनी है और इसके लिए पैसे भी लोगों ने जुटाए हैं. खास बात ये है कि अनेवेष ने फिल्म का निर्देशन भी किया है, संगीत भी दिया है और साथ ही अभिनय भी किया है.

देश विदेश के फिल्मोत्सवों में कराया रजिस्टर
फिल्म ‘कथाकार की डायरी-द टेल ऑफ ऑर्डिनरी लाइव्स के बारे में पूछे जाने पर अन्वेष ने बताया कि ये लोगों की फिल्म है और वो इसे एक स्टार्टअप की तरह देख रहे हैं. हम लोगों के बिना ही यह फिल्म नहीं बना पाते. फिल्म को इफी यानि इंडिया इंटरनेशनल फिल्म फेस्टिवल्स में तो स्क्रीन करने की कोशिश करेंगे ही लेकिन साथ ही इसकी कुछ प्राइवेट स्क्रीनिंग भी की जाएगी. टोरंटो फिल्म फेस्टिवल, बूसान फिल्म फेस्टिवल और बर्लिन फिल्म फेस्टिवल में इसे दिखाने के प्रयास जारी हैं.

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