जालना के पुंजाराम हर साल कमा रहे 4-7 लाख का मुनाफा, जानें खेती का सही मॉडल

जालना: कृषि क्षेत्र में बढ़ती चुनौतियों के बावजूद, कई किसान अपने प्रयासों और प्रयोगों से इसे लाभदायक बना रहे हैं.जालना जिले के हिवाली गांव के किसान पुंजाराम भुतेकर ने शेडनेट में सब्जी की खेती कर एक सफल उदाहरण पेश किया है.पुंजाराम भुतेकर हर साल 4 से 7 लाख रुपये तक का शुद्ध मुनाफा कमा रहे हैं, और यह उनके कुशल कृषि प्रबंधन का परिणाम है.

पुंजाराम भुतेकर की खेती का मॉडल
पुंजाराम भुतेकर, जालना के हिवरडी गांव से हैं और 2007 से शेडनेट में सब्जी की खेती कर रहे हैं.उन्होंने अपनी फसल के लिए केल, टमाटर और शिमला मिर्च जैसी तीन प्रमुख सब्जियों का चयन किया है.इन फसलों का चुनाव उन्होंने बाजार की मांग और उपयोगिता के आधार पर किया है.

टमाटर: यह एक आम सब्जी है, जिसे हर घर में रोजाना इस्तेमाल किया जाता है.इसकी मांग हमेशा बनी रहती है, इसलिए टमाटर की खेती उनके लिए लाभदायक साबित हुई है.
केल: बढ़ते स्वास्थ्य जागरूकता के चलते, केल की मांग मधुमेह और मोटापे जैसी बीमारियों से पीड़ित लोगों में अधिक हो गई है.
शिमला मिर्च: शहरी इलाकों में फास्ट फूड के बढ़ते उपयोग के कारण शिमला मिर्च की मांग में तेजी आई है.यह फसल भी उनके लिए आर्थिक रूप से लाभप्रद रही है.
शेडनेट और सरकारी योजना का लाभ
सरकारी योजना का लाभ उठाकर पुंजाराम ने शेडनेट का निर्माण किया, जो पिछले 17 वर्षों से उनकी सफल कृषि का आधार बना हुआ है.शेडनेट में सब्जियों की खेती कर वे सालाना 4 से 7 लाख रुपये के बीच की आय अर्जित कर रहे हैं.खास बात यह है कि वह अपनी सब्जियों को अलग-अलग साप्ताहिक बाजारों में खुद जाकर बेचते हैं, जिससे उनकी अतिरिक्त आमदनी होती है.

डेयरी व्यवसाय से अतिरिक्त आय
सब्जी की खेती के साथ ही पुंजाराम भुतेकर ने डेयरी व्यवसाय भी शुरू किया है.डेयरी व्यवसाय से वे प्रतिदिन 700 से 800 रुपये कमाते हैं, जबकि सब्जी व्यवसाय से उनकी रोजाना की कमाई 1200 से 1500 रुपये तक होती है.इस तरह, वह हर महीने 50 से 60 हजार रुपये की शुद्ध आय अर्जित करते हैं.

सामाजिक और व्यक्तिगत प्रभाव
अपनी आर्थिक स्थिरता के बल पर पुंजाराम ने अपनी एक बेटी और एक बेटे को उच्च शिक्षा दिलाने में सफलता पाई है.उनकी प्रगतिशील खेती के चलते सरकार ने उन्हें कृषि कृषक पुरस्कार से सम्मानित किया है.उन्होंने नए किसानों को सलाह दी है कि सब्जी की खेती एक लाभदायक विकल्प हो सकती है, लेकिन इसमें निरंतरता बनाए रखना बेहद जरूरी है.

पुंजाराम भुतेकर की यह कहानी न केवल उनकी मेहनत और दूरदर्शिता को दर्शाती है, बल्कि अन्य किसानों के लिए भी प्रेरणादायक है.

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