बांग्लादेश की नासमझी से भारत को होगा बड़ा फायदा, आएगा अरबों का निवेश

नई दिल्ली. शेख हसीना के सत्ता से अपदस्थ होने के बाद बांग्लादेश के बुरे दिन शुरू हो गए हैं. यह मुल्क अब कट्टरता के कारण पाकिस्तान की तरह दिवालिया होने की ओर बढ़ रहा है. दरअसल, पूर्व प्रधान मंत्री शेख हसीना के निर्वासन के बाद इस देश की स्थिति अस्थिर बनी हुई है और इसका सीधा दर्द बांग्लादेश की अर्थव्यवस्था को झेलना पड़ रहा है. बांग्लादेश की इकोनॉमी की सबसे बड़ी ताकत टेक्सटाइल इंडस्ट्री यानी कपड़ा उद्योग है. लेकिन, इस मुल्क में लगातार हिंसा और अल्पसंख्यकों पर बढ़ते हमलों के कारण टेक्सटाइल इंडस्ट्री के लोगों की चिंता बढ़ा दी है और कई कंपनियां बंद होने की कगार पर हैं. ऐसे में बांग्लादेश की अर्थव्यवस्था को बड़ा झटका लग सकता है.

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चीन के बाद बांग्लादेश का नंबर 2

दरअसल, बांग्लादेश की टेक्सटाइल इंडस्ट्री चीन के बाद दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा उद्योग है. यहां कई बड़े ग्लोबल ब्रांड के कपड़े तैयार होते हैं और फिर सप्लाई होते हैं. लेकिन, बांग्लादेश में चल रही उथल-पुथल से प्रोडक्शन प्रभावित हो रहा है और इसका असर इन कपड़ा ब्रांड्स के बिजनेस पर पड़ रहा है. इस समस्या से उभरने के लिए ये ग्लोबल ब्रांड्स अब भारतीय निर्माताओं पर फोकस कर रहे हैं.

टेक्सटाइल इंडस्ट्री बांग्लादेश की जीडीपी में महत्वपूर्ण योगदान देता है, जो करीब 11 प्रतिशत है. ऐसे में अगर कपड़ा उद्योग को और गिरावट का सामना करना पड़ता है तो इससे बड़ी संख्या में नौकरियाँ खत्म हो सकती हैं, जिससे देश को भारी कर्ज लेने के लिए मजबूर होना पड़ेगा. यदि ऐसे हालात बने तो बांग्लादेश भी पाकिस्तान की तरह आर्थिक पतन की ओर आगे बढ़ सकता है.

सूत्रों ने बताई अंदर की बात

उधर, बांग्लादेश में चल रही इस राजनैतिक उथल-पुथल से भारत की चिंता बढ़ रही तो आर्थिक फायदे की संभावना भी बढ़ रही है. क्योंकि, ग्लोबल ब्रांड अपने उत्पादों के निर्माण के लिए नई जगह की तलाश में हैं. ऐसे में गुजरात का सूरत शहर एक मजबूत विकल्प के रूप में उभर सकता है. ईटी की रिपोर्ट के अनुसार, सूरत के कपड़ा उद्योग में इन ब्रांड्स की दिलचस्पी बढ़ी है.

इंडस्ट्री के अंदरूनी सूत्रों की मानें तो वैश्विक ब्रांड रेडिमेड कपड़ों के उत्पादन और आपूर्ति के बारे में पूछताछ कर रहे हैं. अगर सूरत की कपड़ा इंडस्ट्री को मैन्युफैक्चरिंग के ऑर्डर मिलते हैं तो सूरत के कपड़ा उद्योग की विकास दर मौजूदा 12 प्रतिशत प्रति वर्ष से बढ़कर 20-25 प्रतिशत हो सकती है.

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