सफल होने के लिए त्याग देंगे सुख-चैन! ऐसी है ये पढ़ी, नई रिपोर्ट में खुलासा

नई दिल्ली. देश के हर चौथे जेन-जेड युवा का झुकाव कृत्रिम मेधा (एआई), साइबर सुरक्षा और कंटेंट निर्माण जैसे नए जमाने की नौकरियों की तरफ है जबकि 43 प्रतिशत युवा अपने करियर में सफल होने के लिए काम और जिंदगी के बीच का संतुलन त्यागने को भी तैयार हैं. एक अध्ययन में यह निष्कर्ष निकाला गया है. जेन-जेड का मतलब आमतौर पर वर्ष 1995 और 2010 के बीच पैदा हुए लोगों से है. ‘क्वेस्ट रिपोर्ट 2024’ सपनों, करियर और आकांक्षाओं पर जेन-जेड के रुझानों की तरफ इशारा करती है. इसमें पाया गया है कि सिर्फ नौ प्रतिशत उत्तरदाता ही खुद के बिजनेस की दिशा में आगे बढ़ना चाहते हैं क्योंकि वे काम और जिंदगी के बीच स्थिरता और सुरक्षा को अहमियत देते हैं.

साइबरमीडिया रिसर्च के सहयोग से स्मार्टफोन ब्रांड आईक्यू द्वारा कराए गए अध्ययन के मुताबिक, हर चार में से एक भारतीय उत्तरदाता कॉन्टेंट क्रिएशन, डेटा एनालिसिस, एआई और साइबर सुरक्षा जैसे नए जमाने के कार्यक्षेत्र की ओर अधिक झुकाव रखता है. रिपोर्ट कहती है कि भारत में 43 प्रतिशत और वैश्विक स्तर पर 46 प्रतिशत उत्तरदाता अपने करियर में सफल होने के लिए काम और जिंदगी के बीच का संतुलन त्यागने को भी तैयार हैं.

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बस सफल होना है लक्ष्य
इसमें यह भी कहा गया है कि लगभग 62 प्रतिशत भारतीय युवा अपने सपनों को हासिल करने के लिए शौक एवं अन्य रुचियां भी छोड़ सकते हैं. रिपोर्ट कहती है कि 14 घंटे के कार्य दिवस और 70 घंटे के कामकाजी सप्ताह को लेकर छिड़ी बहस ने जेन जेड के बीच काम और निजी जिंदगी के बीच संतुलन पर चर्चा को बढ़ावा दिया है.

इन देशों में कराया गया सर्वे
यह सर्वेक्षण अमेरिका, ब्रिटेन, मलेशिया ब्राजील और भारत समेत सात देशों के 20-24 वर्ष की आयु के 6,700 युवाओं के बीच कराया गया है. सर्वेक्षण में शामिल 19 प्रतिशत भारतीय बड़ी कंपनियों में करियर आगे बढ़ते हुए देखना चाहते हैं जबकि 84 प्रतिशत भारतीय युवा अपनी नौकरियों को लक्ष्यों के अनुरूप मानते हैं. रिपोर्ट के मुताबिक, पुरुषों की तुलना में दोगुनी महिलाओं को लगता है कि महिला और पुरुष के आधार पर फर्क उनके सपनों को प्रभावित करता है.

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