नई दिल्ली. पांच दिवसीय दौरे पर भारत पहुंचे मालदीव के राष्ट्रपति मोहम्मद मुइज्जू ने सोमवार (7 अक्टूबर) को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मुलाकात की. इस दौरान दोनों देशों के बीच कई अहम समझौते हुए हैं. भारत और मालदीव ने रिश्तों को मजबूत बनाने के मकसद से सोमवार को 40 करोड़ डॉलर (करीब 3 हजार करोड़) की करेंसी अदला-बदली यानी करेंसी स्वैप (Currency Swap) को लेकर करार किया. इससे मालदीव को फॉरेन एक्सचेंज रिजर्व (Foreign Exchange Reserve) से जुड़े मुद्दों से निपटने में मदद मिलेगी. आइए जानते हैं कि क्या होता है करेंसी स्वैप.
करेंसी स्वैप का शाब्दिक मतलब होता है करेंसी/मुद्रा की अदला बदली. इस करार में 2 देश या संस्थाएं आपस में अपने देशों की करेंसी की अदला बदली कर लेते हैं ताकि अपनी अपनी वित्तीय जरूरतों को बिना किसी नुकसान के पूरा किया जा सके. करेंसी स्वैप करार के तहत एक दूसरे को विदेशी मुद्रा में कर्ज प्रदान करने के लिए सहमत होता है. रीपेमेंट एक निश्चित तिथि और विनिमय दर पर एक अलग मुद्रा में होता है. ऐसे कर्जों पर लगाई जाने वाली ब्याज दर आमतौर पर विदेशी बाजार में उपलब्ध ब्याज दर से कम होती है. आमतौर पर कोई सरकार देश में फॉरेन करेंसी की पर्याप्तता सुनिश्चित करने के लिए विदेशी समकक्षों के साथ करेंसी स्वैप एग्रीमेंट करते हैं.
ताजा करेंसी स्वैप करार के बाद भारत मालदीव को विदेशी मुद्रा में कर्ज देगा, जो अमेरिकी डॉलर हो सकता है. बदले में मालदीव को तय ब्याज दर पर भारतीय रुपये में पैसा लौटाना होगा.
1. मुद्रा भंडार में कमी रुकती है.
2. यह विनिमय दर में बदलाव होने से पैदा हुए रिस्क को कम करता है.
3. करेंसी स्वैप एग्रीमेंट से शेयर मार्केट और विदेशी विनिमय को स्थिरता मिलती है.
4. करेंसी स्वैप एग्रीमेंट के तहत संबंधित देश सस्ते ब्याज पर कर्ज ले सकता है.
FIRST PUBLISHED : October 7, 2024, 21:06 IST